औरंगाबाद उदगाव नरेंद्र /पियूष जैन भारत गौरव साधना महोदधि सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का महाराष्ट्र के ऊदगाव मे 2023 का ऐतिहासिक चौमासा चल रहा है इस दौरान भक्त को प्रवचन कहाँ की
गल्तियाँ हमेशा क्षमा की जा सकती है,, अगर आपके पास उसे स्वीकार करने का साहस हो..!
वह क्षमा उत्तम है – जिसमें रंच मात्र भी क्लेश और संक्लेश परिणाम ना हो, क्षमा करने के बाद। क्षमा करने वाला बड़ा होता है और नहीं करने वाला छोटा होता है। प्रेम-मैत्री उनमें होती है, जिनमें क्षमा करने का साहस हो और क्षमा मांगने की हिम्मत।
पृथ्वी की तरह सहनशील बनो, लोग खोदते हैं, पीटते हैं, पांवों से रौंदते हैं, उस पर मल मूत्र का विसर्जन करते हैं, तब भी वह कभी क्रोध नहीं करती। सदा क्षमा ही करती है। इसलिए संस्कृत में पृथ्वी का नाम क्षमाभी है। क्रोध करो परन्तु बच्चों जैसा।क्रोध करने के बाद अहंकार नहीं आना चाहिए।जहाँ क्रोध में अहंकार आ गया, तो मानकर चलना, पतन भी शुरू हो गया। इसलिए —
मनुष्य की शोभा रूप से है।
रूप की शोभा गुण से है।
गुण की शोभा ज्ञान से है।
और ज्ञान की शोभा क्षमा से है – क्योंकि क्षमा आत्मा का स्वभाव है, इसलिए रिश्ते वही अच्छे हैं जहाँ समझ होती है,, समझौते नहीं।
याददाश्त का कमजोर होना बुरी बात नहीं है..
बड़े बेचैन रहते हैं वे लोग, जिन्हें हर बात याद रहती है…!!!
नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल