हर सिक्के के दो पहलु होते हैं .भारत ने यह महान सफलता प्राप्त की .सम्मेलन सफलतम हुआ .इसमें विश्व स्तर के सभी राष्ट्र प्रमुख आये और उनका स्वागत और आवभगत भारतीय संस्कृति और परम्परा के अनुसार किया गया .इसमें लगभग ४२०० हजार करोड़ रूपया खर्च हुआ .इससे बहुत सी स्थायी निर्माण हुआ और इससे भारत की बहुत शक्तिशाली छवि उभर कर आयी .
जिस भावना से यह सम्मेलन आयोजित किया गया उसमे महात्मा गाँधी के सत्य -अहिंसा की बात पर ज़ोर दिया गया और राजघाट जाकर उसकी समाधि पर पुष्प-अर्पण किया गया .यह भी बहुत अनुकरणीय परम्परा का निर्वहन किया गया .
आज विश्व में अशांति ,युध्य का भय ,मंहगाई ,भ्रष्टाचार ,बेरोजगारी भुखमरी जैसी समस्यायें मुंह बाएं खड़ी हैं और ये कभी ख़तम नहीं होने वाली हैं .युध्य एक ऐसी मज़बूरी समस्या हैं जिसमे अस्तित्व का प्रश्न रहता हैं .युध्य मानव इतिहास का अनिवार्य अंग रहा हैं और रहेगा ,यह युध्य व्यक्ति ,परिवार ,समाज ,जाति ,शक्ति प्रदर्शन ,विस्तारवादी नीति ,वर्चस्व की लड़ाई के कारण होते हैं .और इसमें शोषित और शोषक होते हैं .
आज विश्व में तीन मुख्य विषय जिन पर विश्व स्तरीय राजनीती छाई हैं —रक्षा सौदा ,पेट्रोल
डीज़ल और फार्मा क्षेत्रों में ,यहाँ भी विकास की बात जरूर हुई पर इसके पीछे ये मुख्य कारण हैं .आज हम महात्मा गाँधी ,महावीर ,कृष्ण ,राम आदि आदि भगवानो संतों की बात करते हैं उनके गुणगान गाते हैं पर उनकी बात नहीं मानते .आज नहीं हजारों वर्षों से शांति ,अहिंसा ,दया ,सत्य जीवन में उतारने के प्रवचन देते हैं और दे रहे हैं पर उन पर कौन चलना चाह रहा हैं .यदि इन महापुरुषों के वचनों को जीवन में उतार ले तो विश्व समस्यायों से मुक्त हो जायेगा पर नहीं ,कारण जब तक रोग रहेगा ,इलाज़ की जरुरत होगी और उसके लिए दवा होना जरुरी हैं .
आज अमेरिका इंग्लैंड फ्रांस जर्मनी आदि शस्त्र ,पेट्रोल, फार्मा उत्पादन देश विश्व में हथियार आदि की बिक्री के लिए मेहनत करते हैं .शांति ,युध्य विराम निःशस्त्रीकरण की बात करते हैं और हर वर्ष हथियारों की संख्या बढ़ती जाती हैं ,ऐसा क्यों ?परमाणु बम्ब का निर्माण नित्य नए असरकारी ढंग के बन रहे हैं .
इस सम्मेलन में एक बात बहुत अच्छी और प्रशंसनीय रही की विदेशी मेहमानों को पूर्णतया शाकाहारी व्यंजन परोसे गए जिससे भारत की प्रतिभा प्रदर्शित हुई सम्मान भी बढ़ा .भारत में भोजन की इतनी अधिक संख्या हैं जो विदेशों में नहीं होंगी ,पर …पर इस आयोजन में हज़ारो निरीह जानवरो जैसे कुत्ते ,सूअर गायों आदि जानवरों की इतनी निर्दयता से हत्याएं और यातनाएं दी हैं जो अकल्पनीय हैं .
क्या उन्हें सुरक्षित और मानवीय संवेदनाओं से होकर नहीं कार्यक्रम स्थल से हटाया जा सकता था .उनकी हायऔर अपनी कुरूपता छुपाने हज़ारों लोगों को बेघर किया गया और झूठी वाह –वाही पाने जितनी अधिक क्रूरता कर सकते थे, किया .एक तरफ अहिंसा की बात करना और दूसरी ओर निरीह जानवरों को यातना देना कितना उचित हैं ?
वैज्ञानिकों द्वारा सिद्ध किया जा चूका हैं की निरीह जानवरों की हत्यायों से जो आइंस्टीन पैन वेब्स वर्षों तक वातावरण में उपस्थित रहती हैं .उनकी दर्दनाक चीख बहुत समय तक रहती हैं .क्या यह किया जाना कितना जरुरी होता हैं .
इन निरीह जीवो की हत्यायों और क्रूरता की हाय आयोजकों को कितने जन्म तक भोगना होगा यह तो नहीं पता .पर इस हिंसा की चीख उन्हें चैन से नहीं सोने देंगी .एक तरफ अहिंसा की बात करना और एक तरफ हिंसा उन निरीह जानवरों की करना यह सब ढकोसला हैं .इससे सम्मेलन का सफल होना महत्वहीन हैं .कोरे भाषणों से ताली बजवाने से कुछ नहीं होता हैं .
मन वचन और कर्म में एकाकार होना ही सच्ची कथनी हैं .नेताओं की फोटो बहुत सुन्दर होती हैं पर अंदर की क्ष किरणे घिनौनी होती हैं .आगे से महात्मा गाँधी ,राम कृष्ण महावीर बुद्ध का यशोगान करना बंद करो .अहिंसा सब जीवों के कल्याण में हैं .स्वार्थ में हिंसा ही होती हैं .वैसे शासक नरकगामी होते हैं .प्रमाण सचित्र हैं
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल 09425006753
Unit of Shri Bharatvarshiya Digamber Jain Mahasabha