एड़ी हमारे पैर का सबसे अहम हिस्सा होता है। अगर इसमें किसी तरह की परेशानी होती है, तो चलने-फिरने में काफी ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है। एड़ी में दर्द की परेशानी उन लोगों को अधिक होती है, जो एड़ी पर ज्यादा बल डालते हैं, जिसमें डांस करने वाले लोग प्रमुख रूप से शामिल हैं। इसके अलावा ऐसे लोग जिन्हें किसी कारण से एड़ी में चोट लग जाए, तो ऐसी स्थिति में भी एड़ी में दर्द होने लगता है। एड़ी में दर्द पैरों के नीचले हिस्से पर होता है, जो हमारे पैर का पिछला हिस्सा है। कभी-कभी यह दर्द आपके एड़ी के किनारे को भी प्रभावित कर सकता है। आजकल हाई हील्स, फैशनेबल जूते और सैंडल की वजह से एड़ियों में दर्द काफी ज्यादा होने लगी है।
कारण —
कैल्शियम की कमी , मोटापा,कठिन एक्सरसाइज़
गंभीर कारण —
प्लांटर फशिया
आपकी एड़ी के नीचे दर्द का सबसे आम कारण, प्लांटर फशिया ऊतक का एक बैंड है जो आपके पैर के आर्च को नीचे की ओर चलाता है, पैर की उंगलियों को एड़ी से जोड़ता है। यह पैर को झटके को अवशोषित करने में मदद करता है, लेकिन चलने या दौड़ने से बार-बार दबाव पड़ने से इसमें सूजन पैदा हो सकती है। यह दर्द अक्सर सुबह सुबह होता है, खासकर बैठने या खड़े होने के बाद।
फैट पैड एट्रोफी
जीवन भर में, हमारे पैर 100,000 मील से अधिक की दूरी तय करते हैं। तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि प्राकृतिक कुशनिंग खराब हो जाती है, जैसे आपके स्नीकर्स की। , पतले फैट पैड आपकी एड़ी पर दबाव बढ़ाते हैं। यही कारण है कि यह एड़ी के दर्द का दूसरा सबसे आम कारण है।
अकिलीज़ टेंडन
आपके शरीर का सबसे बड़ा हिस्सा, अकिलीज़ टेंडन आपके काल्व्स को आपकी एड़ी की हड्डी से जोड़ता है। इनमें अक्सर चलने और जॉगिंग जैसी गतिविधियों के कारण होता है। काल्व्स की तंग मांसपेशियां भी इसमें तनाव जोड़ सकती हैं।
हील पेन एड़ी के नीचे या एड़ी के पीछे की तरफ होता है। इसके अलावा बिना किसी चोट के भी एड़ी में दर्द हो सकता है।
पैरों में मोच आने और तनाव के कारण भी कभी-कभी एड़ी में दर्द होता है।
फ्रैक्चर के कारण भी एड़ी में तकलीफ होती है।
लक्षण —
एड़ी के निचले या फिर पीछे की ओर दर्द महसूस होना।
चलने फिरने में दिक्कत का सामना करना।
पैर को टिकाने में परेशानी
कभी-कभी बिना कारण भी दर्द महसूस होना।
आयुर्वेदिक इलाज —-
विरेचन कर्म
विरेचन कर्म में शरीर को डिटॉक्सीफाई किया जाता है जिसमें औषधियों के द्वारा पाचन तंत्र को डिटॉक्सीफाई कराते हैं। इसके बाद स्वेदन विधि से पसीना निकलवाया जाता है, जिससे बॉडी डिटॉक्स होती है। ऐसा करने से वात का संतुलन बनता है और एड़ी में दर्द से भी आराम मिलता है।
अभ्यंग कर्म
अभ्यंग कर्म में औषधीय तेलों को शरीर पर लगातार गिराया जाता है। एड़ी में दर्द के लिए अभ्यंग कर्म के लिए पिंड तेल का इस्तेमाल होता है। इसे प्रभावित स्थान पर या संवेदनशील बिंदुओं पर तेल डाल कर किया जाता है जिससे एड़ी में दर्द से राहत मिलती है।
रक्तमोक्षण
रक्तमोक्षण जिसमें शरीर से दूषित ब्लड को निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में जोंक के द्वारा प्रभावित स्थान से खून निकाला जाता है। इसके बाद जब जोंक पूरी तरह से खून चूस लेती है तो जोंक पर हल्दी डाल कर उन्हें, त्वचा से छुड़ाया जाता है। इससे एड़ी के दर्द में राहत मिलती है।
लेप कर्म
लेप कर्म करने के लिए औषधियों का लेप तैयार किया जाता है, इसके बाद एड़ी में दर्द से प्रभावित स्थान पर लगाया जाता है। इसके लिए वच, आंवला और जौ का मिश्रण बनाकर प्रभावित स्थान पर लगाने से राहत मिलती है। प्लांटर फेशियाइटिस में हींग का लेपन प्रभावी होता है।
वात के बढ़ने पर एड़ी में दर्द हो सकता है। बढ़ा हुआ वात एड़ी की नाडियों को ब्लॉक कर देता है जिससे एड़ी में दर्द होने लगता है। शरीर में आम यानि विषाक्त पदार्थ बढ़ने पर भी एड़ी में दर्द हो सकता है। इस स्थिति में आप कुछ प्रभावशाली आयुर्वेदिक तरीकों से एड़ी में दर्द को ठीक कर सकते हैं।
– गुनगुने पानी में नमक डालकर पैरों को उसमें कुछ देर के लिए डुबोकर रखें। इससे एड़ी में जमा वात निकल जाता है और आपको दर्द से राहत मिलती है।
– हल्दी का पाउडर लें और गुड़ को पीसकर पाउडर बना लें। अब हल्दी और गुड़ का पेस्ट बना लें और रातभर के लिए एड़ी पर इस पेस्ट को लगाकर रखें। इस पेस्ट से एड़ी की सूजन को भी कम करने में मदद मिलती है।
– आधा चम्मच अजवाइन, 1 कली लहसुन की पिसी हुई और एक कली अदरक की लें। गैस की धीमी आंच पर पैन रखें और उसमें थोड़ा-सा तिल का तेल डालें। इसके गर्म होने पर बाकी सभी सामग्रियों को इसमें डाल दें। इसे मध्यम आंच पर दो से तीन मिनट तक पकाएं। इस तेल को हल्का गुनगुना होने पर एड़ी की मालिश करें। आपको ये उपाय रोज करना है।
– रात को सोने ये पहले एक गिलास दूध में घी डालकर पीने से भी एड़ी के दर्द से आराम मिलता है। घी पाचकाग्नि को तेज करती है और शरीर में जमा आम को बाहर निकालती है जिससे एड़ी में दर्द से राहत मिलती है।
इसके अलावा विषगर्भ तेल ,नारायण तेल ,वृहतवातचिंतामणि रस ,वातगजांकुश रस एरंड पाक भी लाभदायक होता हैं .
विद्यावास्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् ए 2 /१०४ पेसिफिक ब्लू नियर डी मार्ट होशंगाबाद रोड भोपाल ४६२०२६ मोबाइल 09425006753
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