केक, पिज़्ज़ा आइसक्रीम खाएं मौत और नपुंसकता को बुलाओ

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भारत वर्ष एक स्वछन्द देश हैं यहाँ सब प्रकार की छूट हैं जैसे अपराध हो,mभ्र्ष्टाचार में, अनुशासनहीनता, मिलावट आदि जितनी जितना अधिक कर सको वह सब संभव हैं .दूसरा हमारे देश दूसरे देशों का पिछ्छलग्गू हैं .जैसे अमेरिका के यहाँ जो सामग्री अनुपयोगी होती हैं उसे हम अन्धाधुकरण के कारण उसे सहर्ष स्वीरकाते हैं .जो सामान गुणवत्तायुक्त और उपयोगी हो उसे जरूर स्वीकार करे पर आजकल आक्रामक बाजारीकरण के कारण हम भारतीय उन अनुपयोगी और खतरनाक सामग्रियों को स्वीकारते हैं और अपने आपको मौत के मुंह में धकेलते हैं .

हमारे देश में पहले बिना रसायन युक्त खाद्य सामग्रियों का उपयोग होने से बहुत अधिक सीमा तक सुरक्षित और निरोग रहते थे. जैसे हमारे घरों में आटे बेसन से बनी सामग्रियां बहुत अधिक बनती थी ,तेल ,घी भी शुद्ध गुणवत्तायुक्त होता था जिस कारण हमें शुद्ध और साफ़ खाद्य सामग्रियां मिलती और बनती थी . समय के करवट बदली और बाज़ारीकरण के कारण नमकीन ,मिठाई सरल सुगमता से मिलना शुरू हुई . हमारी निर्भरता बाज़ार पर हो गयी .और अब पूरे वर्ष जो मिठाई नमकीन चाहिए वह मिलती हैं.

इसके बाद इतने विशाल देश में कोई भी वस्तु का बाज़ार बहुत बड़ा होने से आप आक्रामक बाज़ारीकरण का सहारा लेकर, टीवी मोबाइल समाचार पत्र पत्रिकाओं के द्वारा जो विज्ञापन शुरू किये और उन्होंने भारतीयों की नब्ज़ टटोलकर सेंधमारी की और वे सफल हुए .यहाँ तक तो ठीक था पर जो खाद्य सामग्री परोसी जा रही हैंवह एक प्रकार से जहर परोसा जा रहा हैं उनमे ऐसे ऐसे रसायनों का उपयोग किया जाता हैं जिससे वे उनके व्यसनी के साथ अपने शरीर में जहर पहुंचा रहे हैं और हमें रुग्ण बनाने की योजना हैं जिससे देश रोगी रहे और हम दवा और डॉक्टरों के चंगुल में रहे और हमारा धन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष में विदेश जा रहा हैं .

रेड डाई नंबर ३ –

यह रसायन आइसिंग, न्यूट्रिशनल शेक ,कैंडी जैसे ३ हज़ार उत्पादों में उपयोग किया जाता हैं अमरीका में १९९० से प्रतिबन्ध हैं. यह बच्चो में अतिप्रतिक्रियावादी व व्यवहार सम्बन्धी समस्यायें बढ़ा देती हैं .कोल्ड ड्रिंक में इस्तेमाल होने वाला ब्रोमिनेट वेजिटेबल आयल थाइरोइड हार्मोन पर असर डालता हैं.

टाइटेनियम डाइऑक्साइड-

इम्यून सिस्टम को कमजोर करता हैं कैंडी ,पनीर पिज़्ज़ा ,आइसक्रीम जैसे जमे सामग्रियों में इस्तेमाल होता हैं इ .यु देशों ने प्रतिबंधित कर दिया हैं यह डी .एन ए संरचना को प्रभावित करता हैं यह रिप्रोडेक्टिव सिस्टम को भी प्रभावित करता हैं .

पोटेशियम ब्रोमेट-

मेटाबोलिज्म को धीमा कर देता हैं, ब्रेड जैसी बैक चीज़ों में इसका उपयोग होता हैं इसका उपयोग कैंसर कारक हैं यदि ठीक से न पकाया जाय तो यह आंतों में चिपक जाती हैं और किडनीफेल हो सकती हैं .पेस्ट्री और टाट्रीला में उपयोग होने वाला प्रोपाइल पैराबेन एंड्रोक्राइन ग्रंथियों और रिप्रोडेक्टिव सिस्टम को प्रभावित करता हैं .

इसके अलावा टाइटेनियम डाइऑक्साइड का देश में खाने की चीज़ों में जमकर इस्तेमाल हो रहा हैं जबकि ये प्रतिबंधित हैं. इसके साथ ये प्रतिबंधित सामग्रियों का उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों में प्रयुक्त हो रहा हैं .पहले यह सोचा जाता था की मांसाहार ही स्वास्थ्य के लिए हानि कारक होता हैं पर अब हम चारो तरफ से मौत से घिरे हैं .

इससे बचने का एक मात्र उपाय हैं जितना कम से कम इन बाजार की सामग्री का उपयोग करे और घरों में तैयार नमकीन पकवानों को खाये उतने सुरक्षित रहेंगे .इस प्रकार हमारा स्वास्थ्य धन की बर्बादी से कोई नहीं बचा सकता और किडनी कैंसर जैसे रोग होने से कमाया हुआ धन भी काम नहीं आएगा .

-विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन ,संरक्षक शाकाहार परिषद्

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