अन्तर्मना ने कहा मंदिरो में दुनियां की दौलता और सुख-सुविधाओं को मांगने वाले को भिखारी से भी गया गुजरा बताया और प्रार्थना करने वाले पुजारी है और कामना करने वाला व्यापार है। धन ओर आरोग्य के लिये .प्रार्थना करना भक्ति नहीं है यह तो दुकानदारी है। ऐसे दुकानदारों का मंदिर में प्रवेश वर्जित होना चाहिये जो ईश्वर से प्रेम करना चाहते है उन्हें ऐसी – पाचनायें शीघ्र, छोड़ देनी चाहिये!
अन्तर्मना ने बताया कि सचमुच में वह मूर्ख है गंगा के किनारे रहकर पानी के लिये कुंआ खोदता है, जो हीरो की ‘वान में आकर कांच के टुकड़े खोजता है। परमात्मा गंगा और हीरों की खान है परमात्मा से केवल परमात्मा मांगना – सर्वोतम प्रार्थना है ! अन्तर्मना के कहा कि ईश्वर के चरणों में बैठकर
-प्रार्थना करो वहीं त्पार्थना करो यही प्रार्थना हो कि मेरे प्रभु! मुझे सदैव अपने चरणों में रखना ! भगवान से उनके श्री चरण की सेवा भक्ति माँगना योंकि दुनियाँ के सारे सुख अनिंद यही मिलते है और प्रभु के चरणो में बैठकर यही प्रार्थना करना ओर कहना कि हे भगवन! तूने जो सुख- नमुद्धि, धन, वैभव दिया है उसमें से कुछ कम करना हो तो कर लेना ‘किन मेरे भगवन्। मेरी श्रद्धा कभी कम मत करना मेरी श्रद्धा हमेशा बढ़ाते रहना। प्रभु से भक्ति का दान मांगना ! सत्ता और सत्कार नहीं, अपितु श्रद्धा मांगना।
नरेद्र अजमेरा पियूष कासलीवाल