डिप्रेशन का आयुर्वेदिक इलाज-विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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Sad young woman crying in her bedroom at home. Mental health concept.

आयुर्वेदा के अनुसार रोग के स्थान दो होते हैं शरीर और मन .मन यदि दुखी होता हैं तो उसका प्रभाव मन पर पड़ता हैं और यदि शरीर दुखी होता हैं तो उसका प्रभाव मन पर पड़ता हैं .आयुर्वेद में स्वास्थ्य की परिभाषा बहुत विशद बताई गयी हैं —
समदोषः समाग्नि समधातु मलःक्रियाः !
प्रसन्नात्मेन्द्रिय मनः स्वस्थ्य इत्यभिदीयते!! इसका आशय यह हैं की शरीर की दोष ,धातु और मल की क्रियाएं सामान अवस्था में हो और इसके अलावा उनकी आत्मा ,मन और इन्द्रियां भी प्रसन्न हो तो उसे स्वस्थ्य कहते हैं .विश्व मेंअवसाद के रोगी ३५० मिलियन हैं ,उसका कारण हम भौतिक सामाजिक आर्थिक धरातल पर जीकर उनमे सुख मानते हैं .जिसके कारण बहुत लोग अपनी इच्छा या चाहत पूरी न करने के कारण निराशा ,हताशा में आ जाते हैं या नकारात्मक भावना से ग्रसित हो जाते हैं .अवसाद उदासी दुखी ,शोक के कारण होता  हैं . सामान्यतः अवसाद का कारण -ऋतू परिवर्तन ,स्मोकिंग ,थाइरोइड ,कम संतोष जनक नींद न आना ,सोशल मीडिया के कारण ,अधिक टी .वी. का देखना ,ध्वनि प्रदुषण के कारण ,अपनी इच्छा की पूर्ती का न होना ,संतुलित और ओमेगा ३ का भोजन न करना और पारिवारिक सम्बन्ध में तनाव जैसे कारण होते हैं .ऐसे रोगी के चिन्ह भी अलग दिखाई देने लगते हैं .जैसे हमेशा  दुखी रहना ,निराशावादी और जीवन के प्रति निराश ,अपने प्रति घृणा का भाव रखना और अंतरमुखी होना ,किसी भी काम में मन नहीं लगना ,उत्तेजना और एकान्तता पसंद करती करती हैं ,चिंताग्रस्त रहना ,अनिद्रा या अनियमित निद्रा ,भूख कम लगना और अनियमित जीवन शैली ,आत्महत्या के प्रति झुकाव और लापरवाह स्वभाव  का होना .अवसाद के रोगी में लक्षण हमेशा दुखी रहना और भाव होना ,दैनिक कामों में  और सामाजिकता की रूचि का अभाव,आत्म आलोचना करना ,उत्तेजना और कमजोरी का अहसास होना.हमेशा अपने कष्टों के प्रति जागरूक होना ,कम खाना खाना या अधिक खाना अनिद्रा या समय पर निद्रा न आना ,और चिकित्सा के प्रति लापरवाह .
डिप्रेशन या अवसाद को मूड डिसऑर्डर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इसे किसी व्यक्ति की रोजमर्रा की गतिविधियों में हस्तक्षेप करने वाली उदासी, हानि या क्रोध की भावनाओं के रूप में वर्णित किया जा सकता है।
वैसे लोग विभिन्न तरीकों से डिप्रेशन का अनुभव करते हैं। डिप्रेशन आपके दैनिक काम में हस्तक्षेप कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप आपकी उत्पादकता कम हो सकती है। यह संबंधों और कुछ पुरानी/जीर्ण स्वास्थ्य स्थितियों को भी प्रभावित कर सकता है।
अश्वगंधा(विंटर चेरी )
प्राचीनकाल से ही अश्वगंधा हमारे लाइफ में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह औषधीय में उपयोग किया जाने वाला एक प्रकार का जड़ी बुटी है। माना जाता है कि अश्वंगनाधा में मौजूद स्टेरॉयड लैक्टोन, सैपोनिन्स, एल्कालोइड और फेनोलॉइड जैसे सक्रिय यौगिकों की उपस्थिति के कारण तनाव और चिंता से छुटकारा पाने में सहायता करता है।
यह हमें एंटीडिप्रेसेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-एंजाइटी जैसे गुण प्रदान करता है। ये गुण भावनात्मक और शारीरिक थकान के कारण तनाव को कम करने में मदद करते हैं। यह निरंतर मूड स्विंग्स को भी संतुलित करता है और मानसिक सतर्कता, ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाता है। यह सामान्य शारीरिक कार्य को बहाल करने में मदद करता है। अश्वंगंध को पाउडर या फिर तरल पदार्थ के रूप में खा सकते हैं।
ब्राह्मी(बोपिना मोंनिएरी )
ब्राह्मी एक प्रकार की औषधि है जिसका हर भाग हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। ब्राह्मी एक छोटा सा बारहमासी जड़ी बूटी है जो तनाव को ठीक करने में मदद करता है।
आयुर्वेद में ब्राह्मी का बहुत ही महत्व है। ब्राह्मी एक अनुकूलन के रूप में कार्य करता है, जिसका अर्थ यह है कि यह शरीर को नई या तनावपूर्ण परिस्थितियों में अनुकूलित करने में मदद करता है। माना जाता है कि, यह मस्तिष्क में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाने के लिए माना जाता है जो मन को शांत रखने में मदद करता है और चिंता और घबराहट से राहत देता है।
पुदीना(स्पीयर मिंट)
पुदीना या पुदीना सदियों से मेन्थॉल की उपस्थिति के कारण तंत्रिका तंत्र विकारों का इलाज करने के लिए प्रयोग किया जाता है, क्योंकि इससे फ्रेज्लेड नर्व्स को शांत करने में मदद मिलती है और इसका ठंडा प्रभाव पड़ता है यह विटामिन ए और विटामिन सी, मैग्नीशियम, मैंगनीज, कैल्शियम, आयरन, फोलेट, तांबे और पोटेशियम सहित खनिजों से भरा हुआ है। मेन्थॉल आपके दिमाग को शांत रखकर अनिद्रा का इलाज करने में मदद करता है और आपको शांति देता है।
डिप्रेशन के अलावा पुदीना मांसपेशी और जोड़ों के दर्द से छुटकारा दिलाने में बहुत ही सहायता करता है। यह श्वसन लाभ के साथ मौसमी एलर्जी में भी राहत प्रदान करता है। इसके अलावा यह ऊर्जा में वृद्धि और व्यायाम प्रदर्शन में सुधार करता है।
पेरूवियन जिंगसेंग
पेरूवियन जिंगसेंग एक जड़ी बूटी है जो पोषक तत्वों से भरी हुई है। यह विटामिन, एमिनो एसिड, विभिन्न खनिजों और फाइटो न्यूट्रिएंट्स का एक समृद्ध स्रोत है जो सहनशक्ति को बढ़ाता है और अत्यधिक चिंता को कम करता है। इसके अतिरिक्त, पेरूवियन एक प्राकृतिक ऊर्जाविद है और लोगों को सुस्ती से उबरने में मदद करता है।
इसके अलावा अवसाद के रोगियों को एकांत में न रहकर समूह में या अपने निजी मित्रों के साथ जिनसे अपनी निजता उजागर कर सके रहना चाहिए.साथ में सत्साहित्य काअध्ययन मनन चिंतन करना चाहिए .
विद्यावाचस्पति डॉक्टर  अरविन्द प्रेमचंद जैन  संरक्षक  शाकाहार परिषद् A2 /104  पेसिफिक ब्लू ,नियर  डी मार्ट ,होशंगाबाद रोड भोपाल 462026  मोबाइल 09425006753

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