– भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ो को दबाने के लिए प्राचार्य व प्रबंध समिति की जानलेवा साजिश।
दिगंबर जैन कॉलेज, बड़ोत, जिला बागपत में अर्थशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ गोविंद बाबू कॉलेज में कालातीत प्रबंध समिति और प्राचार्य की मिलीभगत से भ्रष्टाचार, अवैध कार्यों और अनियमितताओ के विरुद्ध आवाज उठाते रहे हैं
जिसके परिणामस्वरूप उनके खिलाफ साजिश करके उनको पिछले ढाई साल से बिना ज़मानत, बिना वेतन और बिना जीवन निर्वाह भत्ता के बागपत कारागार में बंद करवा दिया गया है।
डॉ गोविंद बाबू ने कॉलेज में प्राचार्य डॉ विरेन्द्र सिंह और कालातीत प्रबंध समिति के भ्रष्टाचार और गैर कानूनी कारनामों और को उजागर करने के लिए शिकायतनामा, आर.टी.आई., कोर्ट कचहरी आदि का भरपूर प्रयोग किया
जिससे डॉ विरेंद्र सिंह और संयुक्त सचिव श्री डीoकेo जैन तिलमिला गए और प्राचार्य कक्ष में गोविंद बाबू के विरुद्ध एक व्यापक साजिश रची गई।
दिनाँक 11/11/21 को प्रवेश समिति में महिला से दुर्व्यवहार का आरोप लगाकर औऱ बिना सुनवाई के गोविंद बाबू को तत्काल निलंबित कर दिया गया।
कालातीत प्रबंध समिति को शिक्षक को निलंबन करने का अधिकार नहीं था तथा कुलपति का अनुमोदन भी नहीं था।
बड़ोंत पुलिस की जांच में गोविंद बाबू को निर्दोष पाया गया और प्राचार्य और प्रबंध की साजिश का शिकार पाया गया।
पुलिस जांच में क्लीन चिट के बाद गोविंद बाबू का निलंबन वापस होना चाहिए था
परंतु डॉ विरेन्द्र सिंह औऱ प्रबंधन ने गोविंद बाबू को सबक सिखाने के लिए उनका नवंबर & दिसंबर 2021 का वेतन रोक लिया जो नियमों के विरुद्ध था।
दिनाँक 26/12/21 को कुछ शिक्षकों ने माo कुलपति को पत्र के माध्यम से सूचित किया कि इस समय डॉ विरेंद्र सिंह गोविंद बाबू से इतना बौखला गए हैं
कि प्राचार्य कक्ष गोविंद बाबू के चरित्र हनन और सेवा समाप्ति की साजिश का केंद्र बन गया है।
कालातीत प्रबंध समिति अपने मूल दायित्व को त्याग कर प्राचार्य डॉ विरेंद्र सिंह के हर गलत कार्य को पूरा समर्थन दे रही थी।
शिक्षकों का संदेह सही निकला जब दिनाँक 08/03/22 को डॉ गोविंद बाबू को एक बार फिर महिला से दुर्व्यवहार के आरोप में पहले थाने में नज़रबंद किया गया
और फिर गिरफ्तार कर बागपत जेल भेज दिया गया।
अभी तक उन पर लगाए गए एक भी आरोप में उनकी सजा नहीं हुई।
तब से लगभग ढाई साल से प्राचार्य एवं प्रबंधन की साजिश के शिकार डॉ गोविंद बाबू को एक undertrial के रूप में जेल में डाल रखा है।
डॉ विरेन्द्र सिंह, जो सेवानिवृत्त प्राचार्य हैं, और श्री डीoकेo जैन, कालातीत सचिव, ने क्रूरता की सारी मिसालों को पीछे छोड़ते हुए ढाई साल से गोविंद बाबू का वेतन पास नहीं होने दिया,
उनको जीवन निर्वाह भत्ता नहीं देने दिया और उनकी ज़मानत नहीं होने दी।
जब जब उनकी ज़मानत का समय आता है, डॉ विरेन्द्र सिंह और डीoकेo जैन उन पर नए नए आरोप लगवा कर उनकी ज़मानत में अवरोध पैदा कर देते हैं।
प्राचार्य और प्रबंधन की मिलीभगत से गोविंद बाबू के जेल से बाहर आने और जीवित रहने के सारे रास्ते बंद करवा दिए गए
जिससे दिगंबर जैन कॉलेज में भ्रष्टाचार और अवैध कार्यों के विरुद्ध कोई आवाज ना उठा सके।
बिना जीवन निर्वाह भत्ते के गोविंद बाबू की पत्नी और बच्चों का जीवन दूभर हो चुका है और गोविंद बाबू ने आत्मदाह करने की बात की है।
दिनाँक 27/02/24 को कुछ शिक्षकों ने महामहिम कुलाधिपति/राज्यपाल (द्वारा कुलपति) को प्राचार्य एवं प्रबंधन द्वारा
गोविंद बाबू के विरुद्ध अमानवीय कार्यवाही, अवैध निलंबन, अवैध कारावास और जीवन निर्वाह भत्ता न देने के संबंध में पत्र लिखा था।
परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई।
दिनाँक 08/11/23 को 6 विभागाध्यक्षों और 5 शिक्षकों ने कॉलेज की गंभीर समस्याओं पर प्राचार्य डॉ विरेन्द्र सिंह से सचिव प्रबंधन के साथ मीटिंग कराने का निवेदन किया परंतु प्राचार्य ने तानाशाही अंदाज में साफ मना कर दिया।
15 अगस्त 2024 को कॉलेज में ध्वजारोहण के बाद कुछ शिक्षकों ने गोविंद बाबू को जीवन निर्वाह भत्ता दिलाने के लिए
रिटायर्ड प्राचार्य डॉ विरेन्द्र सिंह और कालातीत प्रबंध के सचिव श्री डीoकेo जैन एवं अन्य 5 पदाधिकारियों से खुलकर बहस की
परंतु उन्होंने यह कहकर अपनी घृणा को प्रकट कर दिया कि ‘गोविंद बाबू मरेगा’ और उसे ऐसे ही मरने दिया जाए।
शिक्षकों ने मंच पर उपस्थित प्राचार्य और प्रबंधन के 6 पदाधिकारियों को समझाने की कोशिश की कि आप लोग गलत कर रहे हैं
और एक शिक्षक को चारों तरफ से घेरकर मार देना चाहते हैं, परंतु शिक्षकगण गोविंद बाबू को मरने नहीं देंगे और इन्साफ दिला कर ही लेंगे।
शिक्षकों को चिंता है कि एक सेवानिवृत्त प्राचार्य तथा कालातीत प्रबंध समिति के नेतृत्व में दिगंबर जैन कॉलेज, बड़ोत का वातावरण संवेदनहीनता, जातीय भेदभाव, पदलोलुपता और उग्र भ्रष्टाचार से ग्रसित है,
और यदि तत्काल उच्च स्तरीय हस्ताक्षेप न किया गया या न्यायिक जांच ना बैठाई गई तो यहां भी संस्थागत हत्या (Institutional murder) की संभावनाएं उत्पन्न हो सकती हैं
और रोहित वेमुला कांड जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना की पुनरावृत्ति हो सकती है।