बुराई छोड़ो आंदोलन (स्वतंत्रता दिवस )

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तन की स्वतंत्रता चारित्र का निखार है,
मन की स्वतंत्रता विचारों की बहार है।
घर की स्वतंत्रता समाज का श्रृंगार है,
पर देश की स्वतंत्रता अमरता की पुकार है ।
गुरु माँ ने कहा कि – देश तो आजाद हो गया परंतु देश के अंदर फैली राजनीति की गंदी बू समाप्त नहीं हुई। सत्ताधारियों ने सत्य को खोकर , सत्ता के लोलुपता में आकर देश में क्रूरता एवं अत्याचार की गंदगी फैलाकर मूक पशुओं एवं निरिह प्राणियों पर जुल्म करना प्रारंभ कर दिया। मूक पशु – पक्षी भी गुलामी की जंजीर में कैद हैं। उन पर अत्याचार हो रहे हैं । आखिर वे भी देशवासी हैं । उन्हें भी स्वतंत्रता मिलनी चाहिए , उन्हें भी स्वतंत्र रहने का अधिकार है । उनके स्वाधीन होने पर ही देश वास्तव में स्वाधीन हो सकता है ।
माताजी ने कहा – आज मैं बहुत खुश हूं क्योंकि भारत के भविष्य के बीच मौजूद हूँ। जिस राष्ट्र के बच्चेअनुशासित और आज्ञाकारी तथा शिक्षक आस्थावान एवं समर्पित होते हैं उस राष्ट्र का वर्तमान सुखद एवं भविष्य उज्जवल होता है। देश के प्रति आत्मीय भावना पैदा करने वाला आज का गौरवशाली मूल्य दिन है। आज का दिन देश की स्वाधीनता की याद दिलाने वाला ऐतिहासिक दिन है।इस धरा पर जब किसी अन्यायी ने अन्याय किया उसको नष्ट करने के लिए महान पुरुषों ने जन्म लिया। जैसे – रावण के द्वारा हुए अत्याचार को रोकने के लिए राम ने अवतार लिया , कंस के द्वारा हुई अनीति को दूर करने के लिए श्रीकृष्ण ने जन्म लिया , अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने के लिए गांधीजी , सुभाषचंद्र बोस , जवाहरलाल नेहरू, भगत सिंह जैसे महान पुरुषों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । भारत देश , सारे देशों से निराला है । दुनिया में भारत जैसा दूसरा देश नहीं है। भारत में एक ऐसा बेटा है जिसने अपने अंधे माता – पिता को कंधे पर बैठाकर तीर्थयात्रा कराई। ऐसा श्रवण कुमार दुनिया के किसी देश के पास है ? नहीं है । अमर और गौरव गाथा है इस देश की।गुरु माँ ने उपस्थित जनसमूह को समझाते हुए कहा कि – आज बुराई छोड़ों आंदोलन प्रारम्भ करना होगा जिस तरह पूरे भारत में अनेकों राज्य हैं इस तरह इस शरीर में अनेकों बुराई के राज्य समाये हैं। जैसे अंग्रेजो को देश से बाहर कर हमने भारत देश को गुलामी से बचाया । वैसे ही हमें अपनी देह से बुराईयां निकालकर फेंकना है। तभी भारत व शरीर स्वतंत्र व स्वच्छ रह सकते हैं। देश को स्वतंत्र व स्वच्छ रखने से पहले स्वयं को साफ व स्वतंत्र रहना होगा ,आपके जीवन में कोई बुराईयां हो तो आज ही निकाल फेंकिये ,बीड़ी , सिगरेट, जर्दा , गुटखा , मद्यादि सब नरक निगोद में ले जाने वाले हैं आपके जीवन को नष्ट कर देते हैं । इसलिए इन्हें अंग्रेजों की तरह बाहर निकाल दो अन्यथा ये तुम्हें बाहर कर देंगे।
माताजी ने उदाहरण देकर बताया कि – महात्मा गाँधी ने जिस अहिंसा के बल पर देश को आजादी दिलायी उसकी प्रेरणा उन्हें जैन संस्कारों से ही मिली थी । उन्होंने जैन मुनि से प्रतिज्ञा ली थी कि मैं कभी अपने जीवन में मांस – मदिरा का सेवन नहीं करूंगा। आज स्वतंत्रता दिवस पर मैं उस सरकार से कहती हूं कि जिन बूचड़खानों के कारण निर्बल पशुओं की हत्या कर उनकी स्वतंत्रता को छीना जा रहा है , उस हिंसा को पहले रोके । और जगह-जगह धर्म के नाम पर हो रही हिंसा पर ब्रेक लगाइए क्योंकि कोई भी धर्म हो वह प्राणीमात्र के कल्याण की ही बात करता है , उनकी हत्या करने में धर्म नहीं है । आज जो जैन संतों की खुलेआम हत्याएं हो रही हैं तीर्थों पर हमले हो रहे हैं उसके लिए पूरे जैन समाज को संगठित होकर विरोध करना चाहिए । अन्यथा हमारी स्वतन्त्रता , हमारी शान , हमारे तीर्थ , हमारे सन्त इस राजनीति की बुराइयों में घुलकर मिट्टी हो जाएंगे और हम सब ऐसे ही देखते रह जाएंगे ,माताजी ने विद्यार्थियों को भविष्य के जीवन विकास हेतु संदेश दिए कि संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों ,संस्थाओं राष्ट्रध्वज व राष्ट्रगान का आदर करें, स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्चआदर्शों को संजोए रखें , उनका पालन करें । भारत के प्रभुता , एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अपने जीवन में अपनाये। बच्चों का जीवन पाठशाला है और जीना ही शिक्षा है , जिस दिन कुछ नया और अच्छा नहीं सीखा , उस दिन हम पाठशाला गये ही नहीं और वह दिन जियें ही नहीं ।
आगे माताजी ने कहा कि आज के प्रवचन मैं एक संत की हैसियत से नहीं अपितु राष्ट्रभक्त के रूप में भी बोल रही हूं । आज मेरी भाषा संत के साथ – साथ भगत सिंह जैसे राष्ट्रभक्त की भाषा भी है। आज मेरे कंठ से संत के साथ – साथ देशभक्त स्वतंत्रता सेनानी के भी शब्द निकल रहे हैं। भारत देश किसी जमीन का टुकड़ा नहीं अपितु जीता – जागता इंसान का स्वरूप है। सभी भारतीय उठो और जागो एक नई रोशनी के साथ अपने धर्म , राष्ट्र व समाज को जागरूक और कुरूतियों से बचाने का प्रयास करें, हमारा भारत देश इसलिए पूजनीय है क्योंकि किसी देश ने सन्तों व भगवन्तों को जन्म नहीं दिया एक मात्र भारत के पास ये विभूति है । इस धन को नष्ट मत होने दो इन्हें सहेज कर रखों।

राजाबाबु गोधा जैन गजट संवाददाता राजस्थान

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