बुंदेलखंड क्षेत्र की स्मरणीय ऐतिहासिक तीर्थ यात्रा

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दिल्ली एनसीआर के 71 यात्रियों का दल अहिंसा यात्रा संघ के रूप में ब्रह्मचारिणी आभा व दीपा दीदी के सान्निध्य तथा मोतीलाल वीरेंद्र जैन के संयोजन व जिनेंद्र जैन, पीके जैन, कैलाश चंद जैन, कुलदीप जैन, वेद प्रकाश आदि के सहयोग से 7 अप्रैल को ट्रेन से झांसी पहुंचा और 8 को सुबह अतिशय क्षेत्र गोलाकोट ( शिवपुरी ) में बांध के किनारे पहाडी पर लगभग 3000 वर्ष प्राचीन अलौकिक प्रतिमाओं का दर्शन कर अभिषेक, शांतिधारा व भक्तामर विधान किया।

सैंकडों प्राचीन खंडित प्रतिमाओं के दर्शन कर यात्रियों की आंखे भर आयी। यहां दिल्ली के समाजसेवी सतेंद्र जैन ( राजधानी बेसन) द्वारा निर्मित 5-स्टार सुविधा वाले गैस्ट हाउस का लाभ लेकर गूडर में 2500 वर्ष प्राचीन मंदिर, भग्नावशेष व खंडित मूर्तियों के दर्शन कर पचराई में 1000 वर्ष प्राचीन हीरे की पालिश वाली भगवान शीतलनाथ की विशाल मूर्ति व एक ही परकोटे में 28 मंदिरों के दर्शन कर अतिशय क्षेत्र थूबोन जी ( अशोकनगर ) में भगवान आदिनाथ की विशाल मूर्ति व 26 भव्य मंदिरों के दर्शन कर ललितपुर में रात्रि विश्राम किया। अगले दिन अभिनंदनोदय तीर्थ क्षेत्रपाल में मुनिपुंगव श्री सुधासागरजी के सान्निध्य में नवनिर्मित भव्य व विशाल मंदिरों, भगवान अभिनंदन नाथ की विशाल प्रतिमा, पांच मंजिला भव्य गुफाओं में अलौकिक प्राचीन मूर्तियों के दर्शन किए।

यहां विशाल पंचरंगी ध्वज बडी शान से लहरा रहा था, यहां से उत्तर भारत की जैन बद्री कहे जाने वाले देवगढ पहुंचकर बेतवा नदी के किनारे प्राचीन दुर्ग दीवारों के परकोटे में अत्यंत प्राचीन 40 मंदिरों, 29 मानस्तंभो, 500 अभिलेखों आदि के अदभुत कला सौष्ठव व असंख्य खंडित प्रतिमाओं के दर्शन किए। यहां कईं मंदिरों में अब भी नगाडें व दुंदुभि के साथ देव दर्शन हेतु आते हैं। कईं मंदिरों में अलौकिक सुगंध का अनुभव हमने भी किया।

यहां से अतिशय क्षेत्र चांदपुर में प्राचीन शांतिनाथ मंदिर में 9वीं शताब्दी की पुरातत्व संरक्षित 21 फुट ऊंची भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा तथा यंहा विराजमान परम तपस्वी मुनि श्री सुदर्शन सागरजी के दर्शन किए। यहां से बांसी में आचार्य श्री विद्यासागरजी, सुधासागरजी व आर्यिका दृढमती जी के सान्निध्य में नवनिर्मित भव्य व अद्भुत अलौकिक मंदिर के दर्शन कर चेलना नदी के पास सुरम्य पहाडी की तलहटी में स्थित सिद्धक्षेत्र पावागिरि में मोक्ष गए चारों मुनियों स्वर्णभद्र, गुणभद्र,मणिभद्र व वीरभद्र की प्रतिमाओं, मूलनायक भगवान पार्श्वनाथ सहित 13वीं शताब्दी की मूर्तियों, तीन चौबीसी, भव्य मानस्तंभ आदि के दर्शन कर अतिशय क्षेत्र करगुंवाजी में प्राचीन परकोटे में मूलनायक पार्श्वनाथ सहित पाचों मंदिरों के दर्शन किए।

सभी जगह क्षेत्र कमेटियों ने यात्रियों का भावभीना स्वागत किया। पूरी यात्रा को सांध्य महालक्ष्मी के शरद जैन, प्रवीन जैन, अपराजिता जैन व नवभारत टाइम्स के रमेश जैन एडवोकेट ने विशेष रूप से कवर किया। यात्रियों ने सभी जगह दिल खोलकर दान किया। रात्रि में झांसी से चलकर सभी यात्री अलौकिक ऊर्जा से परिपूर्ण होकर 10 अप्रैल को सुबह दिल्ली लौट आए। आदतन मैने सभी जगह समस्त जीव-जगत के मंगल व कल्याण की कामना की। कुल मिलाकर यह यात्रा बहुत ही ऐतिहासिक व स्मरणीय रही।

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