भिंड से सोनल जैन की रिपोर्ट

0
10

वैरागी जीवों की अनुमोदना एक दिन बना देगी वीतरागी!
भावलिंगी संत आचार्यश्री विमर्श सागर जी

जैन रेजीमेन्ट परेड एवं जिनागम पंथ के ध्वजारोहण के साथ दिल्ली राजधानी में हुआ भगवती जिनदीक्षा का महा शंखनाद । 12 नवम्बर, मंगलवार की प्रातः बेला में ही राजधानी दिल्ली की गली-गली से निकलते सुसज्जित भेषभूषा में श्रावक-श्राविकाओं को देखकर लग रहा था मानो तीर्थकर भगवान के जन्म कल्याणक में देव-देवियाँ ही उपस्थित हो रहे हों। राजधानी की सबसे वृहद जैन समाज यमुनापार की सुविशाल उपस्थिति में चातुर्मास स्थल कृष्णानगर से विशाल रेजीमेन्ट परेड एवं वृहद शोभायात्रा के साथ पूज्य आचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज ससंघ एवं सभी दीक्षार्थी गण उपस्थित रहे, शोभायात्रा के अंत में 16 वें तीर्थकर श्री शान्तिनाथ भगवान का विशाल दिव्य रथ समवशरण विहार की भाँति राजधानी के मुख्य मार्गो से गुजरता हुआ “श्री जिनतीर्थ मण्डपम्” CBD ग्राउण्ड में पहुंचा । आयोजन स्थल पर
भगवती जिनदीक्षा महोत्सव का ध्वजारोहन श्री गजराज जी जैन ‘गंगवाल’ श्री जम्बुप्रसाद जैन’ गाजियाबाद’ एवं श्री शैलेष जी विनीत जी, अमित जैन होजरी परिवार के कर कमलों द्वारा हुआ। रेजीमेन्ट पोड के सुसज्जित सदस्य आकर्षण के केन्द्र बने। श्री जितेन्द्र जैन नरपतिया जी के द्वारा श्री जिनतीर्य मण्डपम् का उद्‌घाटन किया गया। आयोजन के आरंभ में श्री गजराज जैन, श्री पवन जैन गोधा एवं विजय जैन द्वारा चित्र अनापदय एवं मंगल दीप प्रज्वलित किया गया। श्री गणधर वलय विधान के मारंभ में श्री जी की शांतिधारा सौधर्म इन्द्र परिवार द्वारा एवं पूज्य आचार्य श्री का मंगल पाद प्रक्षालन समाज के प्रतिष्ठित गणमान्य जनों द्वारा किया गया एवं माँ जिनवारी शास्त्र भेंट कनक श्री टेन्ट हाउस द्वारा किया गया ।
दोपहर 03:00 बजे से वैराग्य हल्दी रस्म एवं संध्यानेना में गुरु भक्ति के बाद मेहंदी रस्म रखी गयी। प्रसिद्ध भजन गायक श्री रूपेश जैन मुम्बई द्वारा दीक्षार्थियों के समक्ष वैरागी वंदन भजनसंध्या आयोजन रखा गया ।
परम पूज्य आचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज ने विशाल धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा – अमृत वर्षा के दिन का प्रारंभ हो चुके हैं। आज से यह अमृत वर्षा निरंतर बढ़ती जाएगी। आज यह भूमि भी तीर्थ भूमि बन गयी है क्योंकि जहाँ देव-शास्त्र-गुरु विराजमान वही भूमि तीर्थभूमि हो जाती है । इस जिनतीर्थ मण्डपम् के आपका एक-एक कदम विशिष्ट कर्मनिर्जरा का साहान बनेगा। हो जाते है लिए बढ़ता हुआ। आयोजन के मध्य में पवन जैन गोधा ने सम्पूर्ण भारत वर्षीय जैन समाज का आहवान करते हुए कहा- आज तक हमने एक साथ 13 दीक्षायें नहीं देखी है। पूज्य आचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज का ही महान उपकार है जो हमें एक साथ इन दीक्षार्थियों की अनुमोदना करनेका सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। मैं आह‌वान करता हूँ कि भारत वर्ष का कोई भी परिवार इन दीक्षाओं के देखने से वंचित नहीं रहना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here