शांति वीर धर्म स्थल स्थल भगवान महावीर का अहिंसा रथ 2550 महोत्सव आचार्य चतुर्थ पत्ता दी सुनील सागर महाराज की प्रेरणा से पूरे भारत में भिन्न-भिन्न प्रांत में भ्रमण करता हुआ जिन-जिन को भगवान
महावीर के दर्शन देते हुए मुनिसंघ
मुनि श्री श्रुतेश सागर जी महाराज
मुनिश्री सविज्ञसागर जी महाराज
छुल्लक सुप्रकाश सागर जी महाराज
शनि देव में व्रत 7:00 बजे पंचामृत अभिषेक शांति धारा करने का अनेकों भक्तों ने सौभाग्य प्राप्त
प्रचार मंत्री महावीर सरावगी जानकारी देते बताया
यह अहिंसा रथ दोपहर 3:00 बजे शांति वीर धर्म से संपूर्ण जैन समाज सानिध्य में गाजे बाजे के साथ प्रारंभ होगा यह सदर बाजार होते हुए कोटिया जी के मंदिर पहुंचेगी वहां से वापस धर्म स्थल पर पहुंचेगा
बैर बांधना जीवन के लिए अच्छा नहीं है
जैन मुनि सविज्ञसागर जी महाराज के तप किया साधना का सातवां रोज उपवास चल रहा है तप साधना में मुनि ने बताया देर आने के बाद वापस नहीं जाता आत्मा में बेर की गांठ बांध लेने से जीवन में बहुत खतरा बताया
थोड़ा सा बेबी एक दूर से बात नहीं करते करते हैं मर जाऊंगा लेकिन कभी बात नहीं करूंगा बेर बहुत बड़ा दुख का कारण है लोग छोटी-छोटी बातों में बैर बना लेते हैं जो बिल्कुल गलत है मुनि ने यह भी बताया
रहे भावना ऐसी मेरी सरल सत्य व्यवहार करूं
अपने जहां तक इस जीवन में मैं औरों का उपकार करूं
मनुष्य बैर बढ़ने से बोलचाल के सारे रास्ते समाप्त हो जाते हैं प्रेम खत्म हो जाता है सारे संबंध समाप्त हो जाते हैं और नरक जाने का मार्ग बांधना बताया जिस धागे में गांठ लगने पर छेद में पार नहीं होती वैसे ही मन में बेर की गांठ लग जाने पर संसार से पार नहीं हो सकता है संसार में भटकने वाला बेर ही है
सभी भक्तों को मुनि ने बेर छोड़ने का उपदेश दिया और प्राणी मात्र से वात्सल्य प्रेम से रहने का उद्बोधन दिया
दिगंबर जैन प्रवक्ता महावीर सरावगी