भगवान महावीर स्वामी के 2550वे वर्ष के उपलक्ष्य में अंतर्राष्ट्रीय निबंध प्रतियोगिता का आयोजन

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कुल तीन लाख इक्यावन हजार रुपये के दिए जाएंगे पुरस्कार
प्रतियोगिता में सभी जाति, धर्म के प्रतियोगी ले सकेंगे भाग
निबंध ऑनलाइन होंगे जमा
ललितपुर। धर्म जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के 2550वें निर्वाण महोत्सव वर्ष के अवसर पर, आचार्य आदिसागर अंकलिकर जागृति मंच इंटरनेशनल ने एक अनूठी निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया है। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य भगवान महावीर स्वामी के सिद्धांतों का वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिकता और महत्व को जागरूक करना है।
प्रतियोगिता के संयोजक डॉ राजेश शास्त्री व परामर्श मण्डल में शामिल डॉ सुनील संचय ने बताया कि इस प्रतियोगिता में किसी भी जाति, धर्म, या समुदाय के लोग भाग ले सकते हैं, और निबंध किसी भी भारतीय या विदेशी भाषा में लिखे जा सकते हैं। निबंध का मुख्य विषय है- “भगवान महावीर स्वामी के सिद्धांतों का वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिकता”।
निबंध जमा करने की अंतिम तिथि 21 अप्रैल, 2024 है। पुरस्कार 13 से 21 वर्ष, 21 से 40 वर्ष और 40 वर्ष से ऊपर की तीन श्रेणियों में 21,000 रुपये से 51,000 रुपये तक कुल 351000 के हैं। विशेष पुरस्कार के रूप में 24 चांदी के सिक्के प्रदान किए जाएंगे।
यदि आप प्रतियोगिता में भाग लेने में रुचि रखते हैं, तो आप महावीर स्वामी की वेबसाइट पर दिए गए लिंक पर क्लिक करके पंजीकरण कर सकते हैं। आप वेबसाइट या आयोजकों के व्हाट्सएप ग्रुप पर और अधिक जानकारी और मार्गदर्शन भी पा सकते हैं।
प्रतियोगिता के लिए एक समिति का गठन किया गया है जिसमें निर्देशक डॉ श्रेयांस कुमार जैन बड़ौत,  प्रधान संयोजक डॉ आशीष जैन आचार्य सागर, संयोजक मंडल में डॉ राजेश शास्त्री, डॉ आशीष जैन दमोह, डॉ ममता जैन , अरुण जैन, विजय शास्त्री को शामिल किया गया है इसके साथ ही प्रांतीय संयोजक, मार्गदर्शक मंडल, परामर्श मण्डल, कोर कमेटी का भी गठन किया गया है।
प्रतियोगिता के कोर मंडल में शामिल मुकेश शास्त्री ललितपुर ने बताया कि प्रतियोगिता में निबंध 500 से 1000 शब्दों में लिखना है।
भगवान महावीर के सिद्धांत आज अत्यधिक प्रासंगिक :
भगवान महावीर स्वामी ने दुनिया को सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अस्तेय, और ब्रह्मचर्य के पांच नैतिक सिद्धांत दिए, जो आज भी हमारे जीवन को सुखी और शांत बनाने में सहायक हैं। उन्होंने अनेकांतवाद, स्यादवाद, और अपरिग्रह के द्वारा विश्व को एकता, सहिष्णुता, और समृद्धि का सन्देश दिया। उन्होंने अपने जीवन भर लोगों को आत्मकल्याण के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी और उनके दुःखों को दूर करने का प्रयास किया।

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