भगवान के जन्म कल्याणक पर नैनागिरि में छाई खुशियां

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जब संसार में अधर्म बढ़ता है तो धर्म की प्रभावना करने तीर्थंकर प्रभु का जन्म होता है- विरागसागर

बकस्वाहा / – तहसील अंतर्गत देश के विख्यात जैन तीर्थक्षेत्र, वरदत्तादि महर्षियों की निर्वाण भूमि व भगवान पारसनाथ की समोशरण स्थली में 04 दिसंबर से 10 दिसंबर तक चलने वाले महोत्सव में जन्म कल्याणक हर्षोल्लास के साथ मनाया गया । गाजे बाजे के साथ निकली भव्य शोभा यात्रा में गज पर सवार होकर इन्द्र पाण्डुक शिला तक पहुंचे मुख्य इन्द्र पात्रों के साथ सभी सामान्य इन्द्र और जैन श्रद्धालु इस दौरान शोभा यात्रा में सम्मिलित हुए, माता मरु देवी की कोख से जन्मे तीर्थंकर प्रभु आदिनाथ का अभिषेक सौधर्मेंद्र के द्वारा सुमेरु पर्वत की पांडुक शिला में 1008 कलशों से किया गया ।इस पावन अवसर पर क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने प्रभु का अभिषेक पूजन किया ।

प्रभु के जन्म से ही होती है तीनों लोकों में शांति

शास्त्रों में उल्लेख है कि जब तीर्थंकर भगवान का जन्म होता है तो उनकी पुण्य बरगणाओं के प्रभाव से स्वर्ग क्या नरकों में भी कुछ पल के लिए सुख शांति प्राप्त होती है । ज्ञातव्य है कि जैन धर्म अनुसार भरत – ऐरावत क्षेत्र में 24 तीर्थंकर का जन्म होता है इसी प्रकार वैष्णों धर्म में भी विष्णु के 24 अवतार माने गए हैं ।

गणाचार्य जी ने बताई जन्म कल्याणक की महिमा

इस महोत्सव में मंगल सानिध्य प्रदान कर रहे देश के श्रेष्ठ जैन आचार्य भारतगौरव राष्ट्रसंत गणाचार्य श्री विराग सागर जी महाराज ने इस पावन दिवस के बारे में बतलाते हुए कहा कि जब जब इस संसार में अधर्म बढ़ता है तब-तब तीर्थंकर प्रभु जन्म लेकर धर्म का नाश कर, धर्म की प्रभावना करते हैं , यद्यपि जन्म तो प्रत्येक प्राणी लेता है किंतु तीर्थंकर जैसे महापुरुषों का जन्म इसलिए आदर्श में होता है क्योंकि तीर्थंकर प्रभु जन्म लेकर अपनी आदर्श शैली व धर्मकार्यों के द्वारा स्व – पर का कल्याण करते हैं यही कारण है कि आज हम भले ही पंचकल्याणक के संस्काररोहण कर प्रतिमा को भगवत्ता प्रदान करते हैं किंतु इस क्रिया में शामिल होने वालें प्रत्येक जीव असीम पुण्य का आश्रव करते हैं ।

महिला सम्मेलन हुआ संपन्न

महोत्सव के निर्देशक उपाध्याय विरंजन सागर जी महाराज के सान्निध्य में बृहद महिला सम्मेलन संपन्न हुआ जिसमें न्यायमूर्ति श्रीमती विमला जैन भोपाल की अध्यक्षता में तथा सैकड़ों महिलाओं की उपस्थिति में डॉक्टर श्रीमती बीनू जैन लंदन , डॉ आशा जैन सागर ,श्रीमती रानू जैन पथरिया आदि अनेक महिलाओं ने महिलाओं के विकास के बारे में विचार व्यक्त किए।

महाआरती और बाल कीड़ा का हुआ मंचन

जन्म कल्याणक की संध्या की बेला में प्रभु की महाआरती आयोजित हुई ,जहां प्रभु की बालक्रीड़ा का भी मंचन हुआ । आगामी 10 तारीख तक अनेक कार्यक्रम संपन्न होंगे ।

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