अन्तराष्ट्रीय विश्व भारतीय राष्ट्रीय डाक दिवस— विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

0
92

भारतीय डाक का इतिहास करीब डेढ़ सौ साल पुराना है. शुरुआत ब्रिटिश हुकूमत के दौर में हुई थी. डाक सेवा अंग्रेजो ने भारत में शुरू की थी। साल १७६६ में लार्ड क्लाइव ने पहली बार भारत में डाक व्यवस्था को शुरु किया था। विभाग के रूप में १ अक्तूबर १८५४ में स्थापना की गई। भारत का पहला डाकघर कोलकाता में साल १७७४ को वारेन हेस्टग्सिं द्वारा स्थापित किया गया। जिसके बाद सन १७८६ में मद्रास में डाकघर का निर्माण हुआ। सन् १७९३ में बम्बई प्रधान डाकघर की स्थापना हुई. १८६३ में रेल डाक सेवा का प्रारंभ हुआ।
तकनीकी युग में हम सभी मोबाइल फोन का उपयोग करते है। स्मार्ट फोन मानव जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। साल २००४ तक हर भारतीय डाक विभाग पर निर्भर थे। ऐसे नहीं है कि डाक का अस्तिव समाप्त हो गया। बदलते परिवेश के साथ डाक विभाग में भी बदलाव कर दिए गए है।
पहले पोस्ट कार्ड ,अंतर्देशीय पत्र ,लिफाफा का इंतज़ार रहता था ,जबसे मोबाइल के चलन हुआ पोस्टकार्ड ,अंतर्देशीय पत्र ,लिफाफा का आकर्षण कम हो गया पर उनका अहसास अजीबोगरीब होता था .
डाक विभाग में अब सभी प्रकार के ऑनलाइन कार्य होने लगे है जैसे – बैंकिंग कार्य, स्पीड पोस्ट, स्पीड कुरियर, ऑनलाइन मनी ट्रांसफर्र आदि। डाक द्वारा हम पत्र भेजा करते थे और मनीऑर्डर, टेलीग्राम आदि की सहायता लिया करते थे. लेकिन आज के समय में इन्टरनेट, कुरिअर के माध्यम से हम वस्तुओं को भेज सकते हैं व मिनटों में संदेश प्राप्त कर सकते हैं. डाक का महत्त्व आज भी है और इसी महत्त्व को दर्शाने के लिए प्रत्येक वर्ष डाक दिवस मनाया जाता है.
भारतीय डाक के कर्मचारियों को समर्पित करने के लिए यह दिवस प्रत्येक वर्ष १० अक्तूबर को मनाया जाता है. विश्व में यह डाक दिवस ९ अक्टूबर को मनाया जाता है. इसका उद्देश्य ग्राहकों को इसके डाक के प्रति जागरूक बनाना है. इस दिन विभाग श्रेष्ठ कार्य करने वाले डाकियों और अफसरों को पुरस्कृत भी किया जाता है.
भारत का पिन कोड सिस्टम
पिनकोड में पिन पोस्टल इंडेक्स नंबर के जानने के लिए डाले जाते हैं। ६ -अंकीय पिन प्रणाली को श्रीराम भीकाजी वेलणकर ने १५ अगस्त १९७२ को केंद्रीय संचार मंत्रालय में एक अतिरिक्त सचिव द्वारा पेश किया गया था। पिन कोड के पहले अंक में क्षेत्र के निशान हैं। दूसरा अंक उप-क्षेत्र को दिखाता है। तीसरा अंक जिले की पहचान करता है। अंतिम तीन अंक डाकघर को दर्शाते है। इसलिए किसी भी प्रकार के शासकीय या निजी पते पर पिन कोड आवश्यक रूप से डाले जाने को कहा जाता है।
भारतीय डाक का महत्व
भारत में पहली बार चिट्‌ठी पर टिकट लगाए जाने की शुरुआत साल १८५२ में हुई. इन दिनों महारानी विक्टोरिया के चित्र वाला टिकट १ अक्टूबर सन १८५४ में जारी किया गया.
१८८० में मनी ऑर्डर की सेवा शुरू हुई.
१९७२ को पिन कोड की शुरुआत हुई और १९८६ को स्पीड पोस्ट की सेवा प्रारम्भ की गयी.
२००० में ग्रीटिंग पोस्ट की शुरुआत हुई, २००१ में इलेक्ट्रॉनिक फण्ड ट्रान्सफर सेवा शुरू हुई, जिसके बाद से २००२ में इन्टरनेट आधारित ट्रैक एवं टैक्स सेवा की शुरुआत हुई.
साल २००३ में बिल सेवा प्रारम्भ की और २००४ में ई – पोस्ट सेवा की शुरुआत की और इसी वर्ष लोजिस्टिक्स पोस्ट सेवा भी प्रारंभ की गई.
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here