अहार जी के बड़े बाबा भगवान शान्तिनाय स्वामी के चरणों में पहुंचे अहार जी के छोटे बाबा आचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज

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बुन्देलखण्ड के सुप्रसिद्ध सिंह दक्षेत्र अहार जी के बड़े बाना 1008 श्री शान्तिनाथ भगवान के पावन पवित्र अतिशयकारी दरबार में पहुँचे अहार जी के छोटे बाबा भावलिंगी संत आचार्य श्री विमर्श सागर जी महामुनिराज बड़े बाबा अतिशयकारी 1008 श्री शान्तिनाय भगवान के दर्शन पाते ही आचार्यश्री के साथ समस्त चतुर्विध संघ सुधी से रोमांचित हो उठा । सम्पूर्ण संघ के साथ आगन्तुक सभी बहाल भक्तों ने आचार्य श्री के साथ भाव पूर्वक अभवान शान्तिनाय स्वामी को आहू‌लादित मन-वच-काया से भक्ति की। वर्ष 2023 के जन्मभूमि न्चातुर्मास जतारा को पूर्ण कर आचार्य श्री अपने विशाल चतुर्विध संघ महित तीर्य बन्दना हेतु, दिनांक 25 नवम्बर कोई सर्वप्रथम जैन सिद्ध क्षेत्र अहारजी में पधारे । ज्ञातव्य हो, सन् 2015 में संघस्य बाल ब्रह्मचारिणी विशु दीदी, जो असाध्य रोग से पीड़ित हो गई थीं तब अहार जी के बड़े बाबा भगवान शाकिनाय स्वामी के चरणों में बैठकर आन्चार्य श्री ने भगवान की श्री शान्ति भक्ति के माध्यम से प्रभु के चरणों की आराधना की थी। बड़े बाबा के अतिशयकारी दरबार में, आन्चार्य भी के आशीर्वाद से तथा विशु दीदी की दृढ़ श्रद्धा-भक्ति-समर्पण के फलस्वरूप असाध्य रोग से पीड़ित दीदी पूर्ण स्वस्थ अवस्था को प्राप्त हुई थीं। तभी से भक्तों की श्रद्धा आपको अहार जी के छोटे बाबा कहकर पुकारती है। 25 नबम्बर 3023 को प्रातःकाल आचार्य श्री ससंघ बड़े बाबा के दरबार में पहुंचे तथा आहार चर्चा के पश्चात दोपहर 02:00 बजे से श्री शान्तिनाथ विधान के माध्यम से भगवान की दिव्यार्चना की। संध्यावेला में भगवान श्री शान्तिनाय स्वामी की महामंगल आरती की गई। 26 नवम्बर, रविवार को आचार्य श्री ससंघ अतिशय क्षेत्र पपौरा जी के लिए पद-विहार प्रारंभ करेंगे। बड़े बाबा भगवान शान्तिनाथ स्वामी के चरणों में बैठकर आचार्य श्री ने कहा- देवाधिदेव अहार जी के बड़े बाबा भगवान शान्तिनाथ स्वामी हमारे परम पिता हैं, हमारे नाथ हैं, और हम सब बड़े बाबा के ही छोटे-छोटे बच्चे हैं। हमारा मोक्षमार्ग का प्रारंभ भी बड़े बाबा के दरबार से ही हुआ आज जो भी उपलब्धियाँ हमें प्राप्त हुई वे तब भी बड़े बाबा के ही चरणों के प्रसाद से प्राप्त हुई है। भगवान शान्तिनाथ स्वामी के हम पर महान उपकार हैं। प्रभु के चरणों में बैठकर लगता है कि जैसे हम निज घर में ही बैठे हों। हम यही भावना भगवान के श्री चरणों में करते कि हे भगवन्! आपके आशीर्वाद से सभी प्राणियों के जीवन में सुख-शान्ति, समृद्धि हो, सभी को आपके ही चरणों की शरण प्राप्त हो !

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