आत्म विश्वास से उठा एक कदम भी विधाता की लेखी को मिटा सकता है,

0
113
बशर्त है – आत्म विश्वास और जीने का जुनून हो..!      प्रसन्न सागर जी महाराजऔरंगाबाद  उदगाव नरेंद्र /पियूष जैन भारत गौरव साधना महोदधि    सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का महाराष्ट्र के ऊदगाव मे 2023 का ऐतिहासिक चौमासा   चल रहा है इस दौरान  भक्त को  प्रवचन  कहाँ की
आत्म विश्वास से उठा एक कदम भी विधाता की लेखी को मिटा सकता है,
बशर्त है – आत्म विश्वास और जीने का जुनून हो..!
जीवन का कड़वा सच है कि दुनिया एक सराय है और आप हम सब मुसाफिर है। एक दिन सबको छोड़कर, खाली करके जाना ही पड़ेगा। मगर जाकर भी यहाँ बने रहने की ख्वाहिश हर एक इन्सान की होती है।उसके लिये हर संसारी और सन्यासी अपने जीवन को दाव पर लगा देता है। संसारी- दान, सेवा, परोपकार करके और सन्यासी मन्दिर, मठ, संस्था, अस्पताल, कॉलेज, तीर्थ बनवाकर। भले उसके लिए फिर उसे कुछ भी करना पड़े। ना कद का डर, ना पद का भय, ना समाज की चिन्ता, ना लोक लाज।
ये कैसी अमरता है मरने के बाद-? जो जीते जी सबका दुश्मन बन गया हो, वो मरने के बाद क्या याद किया जायेगा-? किसी ने पूछा कैसे जानें कि हम मरने के बाद स्वर्ग गये या नर्क-? हमने कहा– सीधा सा फार्मूला है। जब लोग अर्थी को लेकर मुख्य मार्गो से जा रहे हों और लोग उसकी गाथा गा रहे हों, गुणानुवाद कर रहे हों, तो समझना वह स्वर्ग गया और यदि लोग कह रहे हों कि अच्छा हुआ एक पाप कटा, तो समझना कि वह नर्क गया, भटक गया।
कभी आप खुद से पूछना-?यदि आपको पता लग जाये कि मेरे पास अब जीने के लिये चन्द दिन बचे हैं, तो उस समय आप क्या करेंगे-? क्या बदलना चाहेंगे-? यदि – हाँ तो फिर इन्तजार किस बात का है-? मौत का एक दिन सबका मुकर्रर है। इसलिए जिन्दगी को जीवन्त होकर जीयें, महज इसके साथ टाइम पास नहीं करें…!!! नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here