आचार्य समाधि सम्राट परम तपस्वी शांति सागर महाराज छाणी वाले का

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समाधि दिवस 17 मई 1944 को
डूंगरपुर में हुआ था*
उनके चरणों में हम शत-शत नमन करते हैं उन्होंने जैन धर्म की अश्व परंपरा को चलाया था उनके द्वारा ही धर्म के शत उपदेश देकर संपूर्ण विश्व में एक मुनियों की अनोखी पहचान आपने बनाई थी जैन धर्म तप त्याग अहिंसा मय धर्म कैसे हैं यह उन्होंने अपने उद्बोधन में प्राणी मात्र को बताया था
आपके चरणों में शत-शत वंदन

महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान

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