आचार्य श्री प्रसन्न सागर महाराज के श्रीमुख से गूंजते दिव्य मंत्रों की मुग्धता में भक्त लीन

0
69
औरगाबाद  नरेंद्र/पियूष जैन.     उदगांव में कुंजवन महोत्सव में वैराग्य पथ के पथिक की गोद भराई की रस्म हुई। इसके साथ ही मंदिर शुद्धि एवं प्रभु का गर्भ कल्याणक मनाया गया। वास्तु विधान, जाप विधि, चतुर्दिक्षु हवन की धूम के साथ संध्याकाल में भव्य सांस्कृतिक कार्यकमों के माध्यम से अष्टकुमारियों द्वारा जिनमाता की सेवा, मंगलस्नान व वस्त्राभूषण भेंट किये गये।
उत्कृष्ट सिंहनिष्कीडित व्रतकर्ता-साधना महोदधि आचार्यश्री 108 गुरूवर्य प्रसन्न सागर जी महाराज के सान्निध्य में मंदिर जी में चल रहे कुंजवन महोत्सव में जाप, अभिषेक शांतिहवन के साथ पंचकल्याणक विधान में भक्तों ने अपनी भक्ति का चरम प्रकट किया। गर्भ कल्याणक पूजा के दौरान भक्त झूम उठे, गाजे बाजों के साथ पूजा का आनंद में भाव विभोर होते भक्तों से वातावरण में आनंद भक्ति की अनुपम धारा बहने लगी। आचार्य श्री प्रसन्न सागर महाराज के श्रीमुख से गूंजते दिव्य मंत्रों की मुग्धता में भक्त लीन होते रहे। इस दौरान जुलुस के रूप में घट यात्रा भी निकाली गई। घटयात्रा के दौरान महिलाओं ने पीताम्बर वस्त्र धारण कर पावनता पवित्रता की लहरों से लोगों को धर्म शक्ति का अहसास कराया। इस दौरान आचार्य श्री ने अपने प्रवचनों के दौरान भक्तों को भगवान के वैराग्य और वैभव त्याग के महत्व से अवगत कराते हुये कहा कि जैसे भगवान की आसक्ति पर पदार्थों में नहीं रहती, ऐसा ही प्रयास ग्रहस्थ आश्रम में रहते हुये, वैभव के बीच रहते हुये, मानव को करना चाहिए, उपलब्ध है तो ठीक है, नहीं उपलब्ध है तब भी ठीक है। जैसे भावों के साथ जीवन को जीने वाले लोगों के सामने कैसी भी परिस्थिति हो वह सभी को हालतों को सहज भाव से पार कर जाते हैं। गुरूवर्य के प्रवचनों के साथ 81 कलशों द्वारा सौभाग्यवती महिलाओं एवं कुमारिका कन्याओं ने दिव्य औषधियों से प्रोक्षणविधि वेदीन्यास की क्रियाओं को मंदिर जी में पूर्ण किया। दोपहर में दीक्षार्थी के माता-पिता एवं दीक्षार्थी की गोद भराई की रस्में हुई। इन रस्मों को महिलाओं ने पूर्ण किया। इस दौरान चहुओर दीथार्थी का बहुमान किया गया। इसके बाद वास्तु विधान, जापविधि चतुर्दिक्षु हवन मंदिर जी में किया गया। विधान के दौरान लोग मंत्रों के साथ श्लोकों पर झूमने लगे, गाने लगे, मस्त होकर प्रभु के चरणों में अपना सभी कुछ अपर्ण करने के भाव भाने लगे। संध्याकाल में आनंद यात्रा में भक्तों ने अपनी भक्ति को विभिन्न आयामों में प्रकट किया। रात्रि में सांस्कृतिक कार्यकमों की धूम रही। इसमें अष्टकुमारिकाओं द्वारा प्रभु की माता की सेवा की गई। माता की सेवा के माध्यम से प्रत्येक कुमारिकाएं अपने आपको सौभाग्यशाली महसूस कर रही थी। मंगल स्नान के बाद माता को वस्त्राभूषण इत्यादि भेंट किये गये। माता के 16 स्वप्न देखना एवं उनके फल क्या-क्या कैसे-कैसे होते हैं। यह बताया गया। जिनमाता ने कुमारिकाएं के मन में उत्पन्न होने वाली शंकाओं का समाधान कर उनको संतुष्ट करना सौधर्म इंद्र के द्वारा कौशाम्बी नगर में गर्भकल्याणक से पूर्व की क्रियाओं को पूर्ण कराना व गर्भकल्याणक विधि संस्कार आदि की क्रियाएं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से पूर्ण की गई। देर रात्रि तक प्रभु भक्ति में लीन भक्तों ने इन सभी कार्यक्रमों के माध्यम से प्रभु के प्रति अपनी कृतज्ञाता को प्रकट किया। कार्यकम आयोजक श्री ब्रहम्नाथ पुरातन दिगंबर जैन मंदिर टस्ट कुंजवन उदगांव.                                      नरेंद्र  अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here