आचार्य सौरभ सागर महाराज का 29 वां दीक्षा दिवस समारोह

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जयपुर। राजधानी जयपुर के दक्षिण भाग स्थित प्रताप नगर के सेक्टर 8 शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में आचार्य पुष्पदंत सागर महाराज के शिष्य एवं जीवन आशा हॉस्पिटल के प्रेरणा स्त्रोत आचार्य सौरभ सागर महाराज का ” 29 वां दीक्षा दिवस समारोह ” श्रद्धा – भक्ति और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर दिल्ली, लखनऊ, मुरादनगर, मेरठ, दहारादून, गुरुग्राम, गाजियाबाद, हिसार, ग्वालियर, भिंड, आगरा, भरतपुर, दौसा, अजमेर, उदयपुर, जसपुर (छतिसगढ़) सहित देशभर के विभिन्न शहरों से हजारों श्रद्धालुओं सम्मिलित हुए और आचार्य श्री के पाद प्रक्षालन और आरती कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।

वर्षायोग समिति गौरवाध्यक्ष राजीव जैन गाजियाबाद वालों ने बताया की आचार्य श्री के दीक्षा दिवस के अवसर पर गुरुवार को प्रातः 5.15 बजे से श्रद्धालुओ द्वारा गुरुभक्ति का आयोजन किया गया, जिसमें श्रावक और श्राविकाओं ने आचार्य श्री के द्वार पर भजन – भक्ति का गुणगान कर गुरुभक्ति की, इसके पश्चात प्रातः 6.15 बजे भगवान शांतिनाथ का स्वर्ण एवं रजत कलशों से जिनाभिषेक एवं शांतिधारा कर प्रातः 7.15 बजे मुख्य पांडाल में दसलक्षण पर्व विधान पूजन और उत्तम आर्जव धर्म पूजन कर भजन – भक्ति के साथ अष्ट द्रव्यों से पूजन किया। इसी दौरान प्रातः 8.30 बजे आचार्य श्री ने दसलक्षण और उत्तम आर्जव धर्म पर उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आशीर्वचन दिए। दोपहर मध्याह 1 बजे मुख्य पांडाल में दीक्षा दिवस समारोह का शुभारंभ हुआ जिसमें राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्या श्रीमती संगीता गर्ग, समाजसेवी रमेश चंद जैन तिजरिया, सीए अशोक जैन सहित गाजियाबाद जीवन आशा हॉस्पिटल ट्रस्ट समिति, आचार्य सौरभ सागर गुरु भक्त मंडल परिवार के सदस्यों सहित मानसरोवर, सांगानेर, बनीपर्क, बापू नगर, मालवीय नगर, टोंक रोड़, जोहरी बाजार इत्यादि जगहों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

हुआ 29 कलशों से पाद प्रक्षालन, 29 दीपों के थाल से आरती, 15 अक्टूबर से भट्टारक जी की नसियां में आयोजित होने वाले 10 दिवसीय महामंडल विधान पूजन के पोस्टर का हुआ विमोचन

वर्षायोग समिति समन्वयक आलोक जैन तिजारिया ने बताया की गुरुवार को आचार्य सौरभ सागर महाराज के दीक्षा दिवस के अवसर पर दोपहर में आयोजित मुख्य समारोह के दौरान दिल्ली, यूपी, एमपी के श्रद्धालुओ द्वारा चित्र अनावरण और दीप प्रवज्जलन कर महोत्सव की शुरुवात की गई, इसके पश्चात प्रताप नगर बालिका मंडल, महिला मंडल, जीवन आशा हॉस्पिटल, विशुद्ध वर्धनी महिला मंडल द्वारा भव्य नृत्य नाटिका का मंचन किया गया। इस दौरान प्रताप नगर जैन समाज और वर्षायोग समिति द्वारा आचार्य श्री के पूर्व के पिताजी श्रीपाल जैन और माताजी का मुकुट, माला, तिलक, पटका इत्यादि पहनाकर अभिनंदन किया गया। इस दौरान आचार्य पुष्पदंत सागर महाराज और आचार्य सौरभ सागर महाराज का अष्ट द्रव्यों के साथ पूजन किया गया और इसी बीच 29 श्रावक श्रेष्ठियों द्वारा 29 रजत कलशों से पाद प्रक्षालन और 29 दीपों के थाल से मंगल आरती की गई। कार्यक्रम के दौरान अध्यक्ष कमलेश जैन, मंत्री महेंद्र जैन, कोषाध्यक्ष धर्मचंद जैन, गजेंद्र बड़जात्या, दुर्गालाल जैन, नरेंद्र जैन आवा वाले, सुनील साखुनियां, महेश सेठी, बाबूलाल जैन इटुंदा, जिनेन्द्र जैन शाह, सर्वेश जैन सहित युवा मंडल, महिला मंडल, बालिका मंडल, समाज समिति के पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे और श्रद्धा के समर्पण भावों को धारण कर आचार्य श्री की दीक्षा जयंती में सम्मिलित हुए।

” कुटिलता और मायाचारी का परित्याग ” ही उत्तम आर्जव धर्म – आचार्य सौरभ सागर

गुरुवार को दस धर्म के तीसरे दिन आचार्य सौरभ सागर महाराज ने सभा को संबोधित करते हुए अपने आशिर्वचनों में कहा कि ” मन वचन काय की कुटिलता का परित्याग करके चित्त में सरल निष्कपट भाव धारण करना ही उत्तम आर्जव धर्म कहलाता है. आर्जव धर्म के समान संसार में कुछ भी प्रशंसनीय नही है आज प्रत्येक प्राणी मायाचार से ग्रस्त है यह माया ही प्राणियों को संसार में भटकाती है जिस प्रकार छोटी सी, चिंगारी सारे घर को जलाकर भस्म कर देती है उसी प्रकार कुछ अंशो में यदि हम चल कपट रखते है, व्रत, संयम, तप के द्वारा उपजित पुण्यकर्मो को छण भर में नष्ट कर देती है. अपने मन में जेसा विचार हो वैसा ही दूसरो से वचन से कहो, उसी प्रकार काय की चेष्टा करो, यही सुख देनेवाला निश्चय धर्म है. जो व्यक्ति मायाचारी होता है वह टेढ़ा – मेढ़ा और कुटिल होता है।”

आचार्य श्री ने अपने उपदेश में कहा की ” हम आज तक मायाचारी से ठगते आये है, माया ठगनी न ठगी,ठगया सारा संसार. जिसने माया को ठगा उनकी जय जयकार जो उस मायाचारी की पोल खोल दे माया को ठग दे वह गुरु होता है और जो मायाचारी में फँस जाए वह भेद होता है ठगना नही हमारे जीवन में कितनी मायाचारी है. हमारी प्रत्येक क्रिया मायाचार से युक्त वह व्यक्ति कभी भी अपने जीवन में सफल नही हो सकता है क्योकि जो मायाचारी होता है उस व्यक्ति का कोई सम्मान नही करता. उत्तम आर्जव धर्म हमे यह शिक्षा देता है कि छल- कपट को छोड़ दो, अपने जीवन में सरल सहज बनो तभी तुम्हारा कल्याण संभव है।

समिति कोषाध्यक्ष धर्मचंद जैन ने बताया की शुक्रवार को आचार्य श्री के सानिध्य में ” उत्तम शौच धर्म ” पर्व मनाया जाएगा। इस दौरान प्रातः 6 बजे से कलशाभिषेक, शांतिधारा कर विधानपूजन का आयोजन होगा। शुक्रवार को जैन धर्म के 8 वें तीर्थंकर भगवान पुष्पदंत स्वामी का मोक्ष कल्याणक पर्व भी मनाया जायेगा। इस दौरान पुष्पदंत भगवान का पूजन कर अष्ट मंगल पाठ के गुणगान के साथ 8 किलो का निर्वाण लड्डू चढ़ाया जायेगा एवं ” उत्तम शौच धर्म ” पर मंगल प्रवचन होंगे।

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