जयपुर। शहर के नारायण सिंह सर्किल स्थित भट्टारक जी की नसियां में पिछले 10 दिनों से चल रहे 256 मंडलीय श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान पूजन और विश्वशांति महायज्ञ आचार्य सौरभ सागर महाराज के सानिध्य एवं पंडित संदीप जैन सजल के निर्देशन में मंगलवार को जयकारों की दिव्यघोष के साथ मंगलवार को संपन्न हो गया। इससे पूर्व 10 वें दिन की शुरुवात प्रातः 6.15 बजे से श्रीजी के स्वर्ण एवं रजत कलशों के साथ प्रारंभ हुई इसके बाद विश्व में शांति की कामना के साथ शांतिधारा की गई जिसका पुण्यार्जन शांति कुमार ममता सोगानी, कमलेश, प्रमोद, उत्तम जैन बावड़ी वाले एवं राजेंद्र कुमार जितेंद्र, अमित, दिव्यांश जैन कड़िला वाले परिवार द्वारा को प्राप्त हुआ। इसके पश्चात नित्य नियम पूजन कर सरस्वती पूजन और गुरुपूजन कर अष्ट द्रव्य अर्घ चढ़ाए गए।
गौरवाध्यक्ष राजीव जैन गाजियाबाद वालों ने बताया की मंगलवार को पूजन अर्घ चढ़ा आचार्य श्री के सानिध्य एवं पं संदीप जैन के निर्देशन में विश्व में शांति स्थापित हो, दुनिया के अमनचैन की भावना भाकर हवन किया और 1008 श्रद्धालुओं द्वारा हवन ने आहुति दी गई और इंद्र – इंद्राणियो द्वारा स्थापित मंगल कलशों एवं यंत्रों का वितरण किया गया। इस दौरान राजस्थान जैन सभा अध्यक्ष सुभाष जैन, महामंत्री मनीष वैद, मंत्री विनोद जैन कोटखावदा, संरक्षक अशोक जैन नेता समाजसेवी विनय सोगानी, मनोज सोगानी, देवेंद्र बाकलीवाल, मनोज झांझरी, कार्याध्यक्ष कमलेश जैन, अभिषेक जैन बिट्टू, सर्वेश जैन, अशोक जैन खेड़ली वाले, गजेंद्र बड़जात्या, दुर्गालाल जैन, महेंद्र जैन, सौम्या राहुल पाटनी, श्रीमती सीमा जैन सहित लगभग 2 हजार से अधिक श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।
अध्यक्ष आलोक जैन तिजारिया ने बताया की महोत्सव का समापन से पूर्व 10 दिवसीय आयोजन के सभी दानदाताओं, सहयोगियों, कार्यकर्ताओं सहित सभी श्रेष्ठियों का प्रतीक चिन्ह भेंट कर समिति द्वारा सम्मान किया गया। इसके उपरांत दोपहर 12.15 बजे इंद्रो द्वारा श्रीजी को मस्तक पर विराजमान कर श्रद्धालुओं के जयकारों, बैंड-बाजों के साथ शोभायात्रा निकालकर श्रीजी को मंदिर जी की मूल वेदी पर मंत्रोच्चार के साथ विराजमान किया गया। इससे पूर्व आचार्य सौरभ सागर महाराज ने प्रातः 9.30 बजे विश्व शांति यज्ञ के महत्व, विजय दशमी पर्व सहित इंसानियत और मानवता का उल्लेख करते हुए अपने आशीर्वचन दिए।
रावण ने अहंकार को धारण कर एक गलती की जिसकी सजा वह आज तक भुगत रहा है – आचार्य सौरभ सागर
आचार्य सौरभ सागर महाराज ने बुधवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि ” इस सृष्टि में मानव को देवदर्शन अवश्य करने चाहिए, हमेशा प्रभु की भक्ति में तललीन रहना चाहिए क्योंकि न्यायालय में गुनाह करने के बाद माफी नहीं मिलती लेकिन जिनालय में गुनाह करने के बाद भी माफी मिल जाती है जिससे मानव प्रायश्चित कर अपना जीवन बिता सकता है। ”
पूज्य गुरुदेव विजय दशमी के अवसर कहा कि ” आज असत्य पर सत्य की जीत का दिन है, आज बुराई पर जीतने का दिन है। इंसान आज तक एक गलती के लिए इतने वर्षो से रावण को जलाते आ रहे है, किंतु रावण वह व्यक्ति था जिसने अहंकार में आकर सीता का अपहरण तो कर लिया किंतु उनके साथ कभी उनकी मर्जी जाने गलत आचरण नही किया क्योंकि एक जैन मुनि से उन्होंने संकल्प लिया था की वह किसी भी स्त्री को बिना उनकी मर्जी जाने कुछ भी नहीं करेगा। सीता के अपहरण के बाद रावण के भाव में आया तो था की उसने बहुत बड़ी गलती कर दी, किंतु अहंकार के भाव के कारण उसने दुनिया के सामने झुकना मंजूर ना कर लड़ना मंजूर किया। इसलिए आजतक सजा भुगत रहा है। ”