सतपुड़ा भवन भोपाल का अग्नि काण्ड –विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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हमारे यमराज  के यहाँ किस्मत /भाग्य /कर्मों की लिखा पढ़ी के लिएश्री चित्रगुप्त जी को नियुक्ति की गई हैं  जो हमारे कर्मों सुकर्मो कुकर्मों का रिकॉर्ड रखते हैं और उनके रोजनामचे  के आधार पर हमारे मृत्युउपरांत स्वर्ग नरक में पदस्थापना की जाती हैं .वहां पर वकील अपील दलील और लाओ और आर्डर से कोई काम नहीं होता हैं .वहां पर पूर्ण ईमानदारी से होता हैं .वहां पर कभी सी सी टी वी और लाइट बंद नहीं होती ,इसके अलावा कभी एक्सीडेंट दुर्घटना नहीं होती और न गलत एंट्री होती पर -पर हमारे मनपसंद सरकार यानी मध्य प्रदेश सरकार में कोई भी काम बिना  लाओ और  आर्डर नहीं निकलता हैं .वहां भ्रष्टाचार के बिना कोई काम नहीं होता हैं .
भर्ष्टाचार के कारण यहाँ छोटा काम बड़ा बन जाता हैं और बड़ा काम होता ही नहीं मात्र सुविधा शुल्क के आधार पर .यहाँ पर नौकरी करने का वेतन मिलता हैं और काम कराने के लिए धन खरच करना अनिवार्य ही हैं .ये संस्कार नौकरी में प्रवेश करते ही यह शिक्षा मिलना शुरू हो जाती हैं .शासन में जिम्मेदारी का तय करना कम होता हैं यहाँ उत्तरदायित्त्व   ज्यादा होता हैं .जिम्मेदार अधिकारी  होते हैं और जिम्मेदारी निचले स्तर की होती हैं .
शासन में काम निचले स्तर से शुरू होकर उचले तक पहुँचने में वर्षो लग जाते हैं .कारण यहाँ कागज़/ फाइल चलती नहीं चलवाई जाती हैं उसके लिए पैसा चाहिए .कारण बिना फाइल के कोई काम नहीं होता .अधिकारी भी बिना फाइल के पंगु होता हैं क्योकि निर्णय फाइल पर लिया जाता हैं और बिना फाइल निःसहाय होता हैं .इसका मुख्य आधार छोटा बाबू ,बड़ा बाबू ,अधीक्षक ,सहायक संचालक ,उपसंचालक ,संयुक्त संचालक और संचालक और आजकल आयुक्त विभाग प्रमुख होता हैं .
सतपुड़ा भवन,वल्लभव भवन  या यहाँ तक मुख्य मंत्री या राजभवन हो या कोई भी सरकारी भवन, बंगला जिनमे सरकारी ढेके से काम होता हैं सबसे सस्ता सामान और सबसे महंगे दामों में .कारण शुरू सेकमीशन की बात से ही होती हैं और कमीशन में पूरी ईमानदारी होती ही हैं .अधिकांश अच्छे लोग सरकारी तंत्र में नहीं आना चाहते और न आते .कारण यहाँ अफसर से लेकर बाबू और बाबू से लेकर लेखपाल और फिर खजांची और चपरासी से लेकर बड़े साहब तक जैसे ससुराल में शादी में जाओ तो सबको नेंग देना पड़ता हैं वैसे ही सब टेबल में दान दक्षिणा देना होता हैं .इसलिए सरकारी विभागों में महंगा पैसा और घटिया काम होना आम बात हैं .
सरकारी भवनों में शार्ट सर्किट  होना आम बात हैं .सतपुड़ा भवन में आग लगने का मुख्य कारण घटिया सामग्री का उपयोग होना और कोई भी जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व नहीं लेना .जैसे सरकार अदृश्य होती हैं वैसे ही काम अदृश्य होता हैं .इस रोग का कोई इलाज़ नहीं हैं और न होगा .हो तब
सकेगा जब तक ईमानदारी नहीं होगी जो असंभव हैं .गंगोत्री ही अपवित्र हो गयी हैं तो गंगा कब तक पवित्र होगी .
इस अग्नि काण्ड से बहुत फायदे होंगे .कई लोग जिन्दा हैं मर जायेंगे और मरे हुए जिन्दा हो जायेंगे .कारण महत्वपूर्ण फाइल जल कर ख़ाक हो गयी और मूल   दस्तावेजों  के आधार फाइल का निपटारा नहीं होगा ,इससे भ्रष्ठाचार निश्चित बढ़ेगा और जिनके ऊपर न्यायलय में और अन्य जगहों में जांचे चल रही थी वे अपराध से मुक्त होंगे कारण मूल दस्तावेज़ के आधार पर मुकदमा जीतना निश्चित होगा .
इस काण्ड के कारण नवीन निर्माण हेतु नवीन बजट होगा और उसके नए तरीके का कमीशन निश्चित होता हैं और होगा .काण्ड में मानवीय भूल या शॉर्ट सर्किट हो सकती हैं जो टाली नहीं जा सकती थी .
सरकारी काम असरकारी नहो होते ,अ- सरकारी असरकारी होते हैं .

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