आध्यात्म दर्शन ,ज्योत्षी ,मंत्र ध्यान योगविज्ञान वास्तु साहित्य में निपूर्ण श्रवण संस्कृति उन्नायक लेखक मनन चिन्तनकार तत्वचर्चा में रत आर्ष परंपरा से संरक्षक वात्सल्य करुणा के धनी जनकल्याण में रत परम पूज्य प्रज्ञाश्रवण राष्ट्संत 108 श्री देवनन्दी जी महाराज का जन्म मधय प्रदेश के सागर जिले के तहसील शाहगढ़ में हुआ ,पिता श्री प्रेमचंद जी एवं माता शीलादेवी ने जनम का नाम मूलचंद रखा उनकी रूचि शुरू से है धर्म में लगी हर दिन देवदर्शन करना पाठशाला जाना उनका नियम सा बन गया था 16 वर्ष की अवस्था में ही गृह त्याग कर 5 फरवरी 1981 को श्रवणवेलगोला में छुल्लक दीक्षा एवं 31 मार्च 1982 को मुनि दीक्षा आचार्य कुन्थु सागर जी महाराज से श्रवणवेलगोला में प्राप्त की ,धर्म के प्रति रुझान देखकर आचार्य श्री कुन्थु सागर महाराज जी ने 05 अप्रैल 1998 को आचार्य पद प्रदान किया तथा 20 नवम्बर 2025 को आचार्य कुन्थु सागर जी गुरुदेव ने अपने पद पर विराजमान करके उत्तरधिकारी नियुक्त किया | आप संस्कृत ,प्राकृत ,कन्नड़ ,हिंदी ,मराठी ,भाषाओ का ज्ञान प्राप्त कर आपने ध्यान जागरण ,वास्तु चिंतन देवशिल्प भगताम्बर भाग 1 से 5 तक ज्ञानविज्ञान आदि ग्रंथो का सृजन कर लाखो लोगो के बीच ज्ञान की गंगा बहाई ,आपके प्रवचन शैली ,ओजस्वी सुमधुर वाणी आपको आकर्षित करती है |
ज्ञानयोगी प.पू. प्रज्ञाश्रमण सारस्वताचार्य श्री १०८ देवनन्दिजी गुरुदेव ने प्राणीमात्र के सर्वांगीण कल्याण हेतु ‘णमोकार तीर्थ’ की संकल्पना साकार की है। इस क्षेत्र पर निर्माण कार्य तीव्र गति से प्रारंभ है। गुरुदेव का ससंघ ४५ वाँ चातुर्मास श्रीक्षेत्र ‘णमोकार तीर्थ’ पर सम्पन्न हो रहा है। जिन शासन प्रभाविका माता पद्मावती देवी की अनुकम्पा एवं पूज्य आचार्यश्री के निर्देशन में निर्माणाधीन इस ‘णमोकार तीर्थ’ पर चातुर्मास के मध्य निरंतर धार्मिक पूजा, विधान, संस्कार शिबिर, इ. का आयोजन सम्पन्न हो रहा हैं। *इस श्रृंखला में दि.13,14, एवं 15 अगस्त को स्वाधीनता दिवस समारोह के साथ ही हमारे परम आराध्य गुरुदेव प.पू. सारस्वताचार्य श्री १०८ देवनन्दिजी गुरुदेव का ६२ वां ‘जन्म जयन्ति’ समारोह में आप सह-परिवार विशेष आमंत्रित हैं,
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