नई दिल्लीः दिगंबर जैन लाल मंदिर चांदनी चौंक के सरस्वती भवन में आयोजित विशाल धर्मसभा में आर्यिका दक्षमती माताजी को अनेक संतों के सान्निध्य में विनयांजली अर्पित की गई। माताजी का समाधिमरण 7 जून को सांयकाल गणिनी आर्यिका चंद्रमती माताजी व आचार्य श्री अतिवीरजी महाराज के सान्निध्य में अत्यंत धर्म-ध्यानपूर्वक महामंत्र णमोकार सुनते हुए हो गया था।
8 जून को सुबह विमानयात्रा निकालकर निगमबोध घाट पर उनका विधि-विधान पूर्वक अंतिम संस्कार किया गया। 9 जून को लाल मंदिर में आयोजित सभा में आर्यिका चंद्रमती माताजी ने बताया कि 7-11-1959 को जन्मी दक्षमती ने 17 वर्ष की उम्र में घर का त्याग किया और 27 वर्ष की उम्र में दीक्षा ली। उनकी साधना के संस्मरण सुनाते हुए माता जी के नेत्र नम हो गए। आचार्य श्री अतिवीर जी ने कहा कि उनकी अदभुत समाधि हुई है। वे अंतिम स्वांस तक चेतना से जुडी थी। आचार्य अनेकांत सागरजी ने कहा कि उन्होने असाध्य रोग होते हुए भी आत्मा को तपाया और संयम को प्राणों से भी प्रिय माना। मुनि श्री अनुपम सागरजी, आत्मीय सागरजी, पीठाधीष सुरेंद्र कीर्ति जी, आर्यिका धर्मेश्वरी माताजी, सुदर्शनमती माताजी, अभेदमती व अजितमती माताजी ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किए।
जैन समाज दिल्ली के अध्यक्ष चक्रेश जैन ने कहा कि उनकी साधना अदभुत थी। लाल मंदिर के मैनेजर पुनीत जैन ने बताया कि लाल मंदिर में संत निवास का निर्माण और मंदिर को सुबह से शाम तक खुलवाने का उनका स्मरणीय कार्य रहा है। तीर्थंकर महावीर विवि के वाइस चांसलर सुरेश जैन, आदिनाथ चैनल के पवन गोधा, नवभारत टाइम्स के रमेश जैन एडवोकेट, शरद व धीरज कासलीवाल, जिनेंद्र जैन- कूचासेठ, कुलदीप जैन- निर्माण विहार, विकास जैन, पवन जैन- गुडगांव, पदम जैन- लारेंस रोड, सुमन पांडया, जिनराज जैन, मुकेश जैन, मुनेश जैन, संजय जैन, मीठालाल, वर्षा जैन- सूरत, सुनंदा जैन, संदीप जैन, विवेक जैन, लाभचंद जैन ने भी श्रद्धांजली अर्पित की। ज्योति, सोनिया व कविता जैन ने अश्रुपूरित नयनों से उनके संस्मरण सुनाए। संचालन पंडित दीपक शास्त्री व सतेंद्र जैन ने किया।
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