अमृत एवम सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगी गुरु पूर्णिमा

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मुरैना (मनोज जैन नायक) प्रतिवर्ष गुरू पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आषाढ़ मास में पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।
वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया कि इस बार गुरु पूर्णिमा अमृत योग एवं सर्वार्थ सिद्धि योग में रविवार के पड़ रही है ।
धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से गुरु पूर्णिमा एक है।
यह दिन भगवान वेद व्यास और सभी गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है
गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान वेद व्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास को महाभारत, पुराण और वेदों का रचयिता माना जाता है। यह दिन गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान करने का अवसर है। गुरु पूर्णिमा ज्ञान और शिक्षा के महत्व का प्रतीक है। यह दिन आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रार्थना करने का अवसर है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करते हैं।गुरु का अर्थ है अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाने वाला। महर्षि वेद व्यास को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इस दिन को चुना गया है वेद व्यास ने महाभारत, पुराणों और वेदों का संकलन किया था, जिसके कारण वे ‘व्यास पूर्णिमा’ के नाम से भी यह दिन जाने जाते हैं।
गुरु पूर्णिमा का दिन साधना, ध्यान और गुरु उपदेश को ग्रहण करने का महत्वपूर्ण समय होता है।आत्मनिरीक्षण और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी ये पूर्णिमा महत्वपूर्ण मानी जाती है ।
जैन ने कहा
गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
सुबह का मुहूर्त: सुबह 05:16 से 07:14 बजे तक (गंगा स्नान)
दोपहर का मुहूर्त: 11:15 बजे से 1:23 बजे तक
शाम का मुहूर्त: शाम 6:16 बजे से 7:55 बजे तक गुरु पूजन किया जा सकता है।
गुरु पूर्णिमा पर पूजा विधि
सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थान को साफ करें। भगवान वेद व्यास और अपने गुरु की प्रतिमा स्थापित करें। दीप प्रज्ज्वलित करें और धूप-बत्ती लगाएं।फूल, फल और मिठाई अर्पित करें। गुरु मंत्रों का जाप करें । गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें।
गुरु पूर्णिमा के दिन दान करना भी अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। आप गरीबों, ब्राह्मणों, या किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति को दान दे सकते हैं।यह पर्व शिक्षा और ज्ञान के महत्व को दर्शाता है और शिक्षकों का सम्मान बढ़ाता है। गुरु पूर्णिमा समाज में आध्यात्मिक मार्गदर्शन का प्रतीक है, जिससे लोग सही दिशा में चलने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं। गुरू पूर्णिमा का पर्व गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व को उजागर करता है और हमें अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।इस दिन को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाना चाहिए, जिससे हमें ज्ञान, शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त हो सके।

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