जब बच्चा पालने में होता हैं तो उसे पालना अपना संसार लगता हैं और जब वह युवा होता हैं तो उसे संसार छोटा लगने लगता हैं .युवा अपने सपनों को सच करना या देखना चाहता हैं पर कुछ सफल हो जाते हैं और अधिकांश असफल होते हैं .
किसी भी राष्ट्र अथवा देश के नवयुवक उस राष्ट्र के विकास एवं निर्माण की आधारशिला होते हैं । स्वस्थ नवयुवक ही स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं ।
इन युवकों से ही देश की वास्तविक पहचान होती है । यदि देश के नवयुवकों में चारित्रिक दृढ़ता व नैतिक मूल्यों का समावेश है तथा वे बौद्धिक, मानसिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक शक्तियों से परिपूर्ण हैं तो निस्संदेह हम एक स्वस्थ एवं विकसित राष्ट्र की कल्पना कर सकते हैं ।
परंतु यदि हमारे युवकों की मानसिकता रुग्ण है अथवा उनमें नैतिक मूल्यों का अभाव है तो यह देश अथवा राष्ट्र का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है क्योंकि इन परिस्थितियों में विकास की कल्पना केवल कल्पना तक ही सीमित रह सकती है, उसे यथार्थ का रूप नहीं दिया जा सकता है ।
विश्व एकीकरण के दौर में अन्य विकासशील देशों की भाँति हमारा भारत देश भी विकास की दौड़ में किसी से पीछे नहीं है । विगत कुछ वर्षों में देश में विकास की दर में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है । विशेष रूप से विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में आज हमारा स्थान अग्रणी देशों में है ।
इसका संपूर्ण श्रेय हमारे देश के युवा वर्ग को जाता है जिसने यह सिद्ध कर दिया है कि बुद्धि और शक्ति दोनों में ही हम किसी से पीछे नहीं हैं । हमारे देश में प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में डॉक्टर, इंजीनियर तथा व्यवसायी निकलते हैं जिनकी विश्व बाजार में विशेष माँग है ।पर योग्यता पाने के बाद अपनी आर्थिक उन्नति के लिए उन्हें विदेश जाना उचित लगता हैं .
निस्संदेह हम चहुमुखी विकास की ओर अग्रसर हैं । विश्व बाजार में अनेक क्षेत्रों में हमने अपनी उपलब्धि दर्ज कराई है । अनेक क्षेत्रों में हमने गुमनामी के अँधेरों से निकलने में सफलता प्राप्त की है । परंतु हम अपने देश के युवा वर्ग की मानसिकता, उनकी मन:स्थिति व उनकी वर्तमान परिस्थितियों का आकलन करें तो हम पाते हैं कि उनमें से अधिकांश अपनी वर्तमान परिस्थितियों से संतुष्ट नहीं हैं । हमारे युवा वर्ग में असंतोष फैल रहा है ।
देश के युवा वर्ग में बढ़ते असंतोष के अनेक कारक हैं । कुछ तो हमारे देश की वर्तमान परिस्थितियाँ इसके लिए उत्तरदायी हैं तो कुछ उत्तरदायित्व हमारी त्रुटिपूर्ण राष्ट्रीय नीतियों एवं दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति का भी है । अनियंत्रित रूप से बढ़ती जनसंख्या के फलस्वरूप उत्पन्न प्रतिस्पर्धा से युवा वर्ग में असंतोष की भावना उत्पन्न होती है । जब युवाओं के हुनर का कोई राष्ट्र समुचित उपयोग नहीं कर पाता है तब युवा असंतोष मुखर हो उठता है ।
हमारी शिक्षा पद्धति युवा वर्ग में असंतोष का सबसे प्रमुख कारण है । स्वतंत्रता के छह दशकों बाद भी हमारी शिक्षा पद्धति में कोई भी मूलभूत परिवर्तन नहीं आया है । हमारी शिक्षा का स्वरूप आज भी सैद्धांतिक अधिक तथा प्रयोगात्मक कम है जिससे कार्यक्षेत्र में शिक्षा का विशेष लाभ नहीं मिल पाता है ।और शिक्षा नीतियों की प्रयोगशालाएं बन चुकी हैं और हर सरकार अपने अनुरूप निति को क्रियान्वयन करना चाहती हैं जिसके घातक परिणाम हम भोग रहे हैं .साथ ही युवा को अपनी मनपसंद विषयों को चयन करने की कम गुंजाईश होती हैं जैसे जो डॉक्टर बनना चाहता हैं वह इंजीनियर बन जाता हैं या बनना पड़ता हैं .
परिणामस्वरूप देश में बेकारी की समस्या दिनों-दिन बढ़ रही है । शिक्षा पूरी करने के बाद भी लाखों युवक रोजगार की तालाश में भटकते रहते हैं जिससे उनमें निराशा, हताशा, कुंठा एवं असंतोष बढ़ता चला जाता है । देश में व्याप्त भ्रष्टाचार से भी युवा वर्ग पीड़ित है ।
सभी विभागों, कार्यालयों आदि में रिश्वत, भाई-भतीजावाद आदि के चलते योग्य युवकों को अवसर मिल पाना अत्यंत दुष्कर हो गया है । इसके अतिरिक्त हमारी राष्ट्रीय नीतियाँ भी युवाओं के बीच असंतोष का कारण बनती हैं । ये नीतियाँ या तो दोषपूर्ण होती हैं या उनका कार्यान्वयन सुचारू रूप से नहीं होता है जिससे इसका वास्तविक लाभ युवा वर्ग को नहीं मिल पाता है ।
आज देश का युवा वर्ग कुंठा से ग्रसित है । सभी ओर निराशा एवं हताशा का वातावरण है । चारों ओर अव्यवस्था फैल रही है । दिनों-दिन हत्याएँ, लूटमार, आगजनी, चोरी आदि की घटनाओं में वृद्धि हो रही है । आए दिन हड़ताल की खबरें समाचार-पत्रों की सुर्खियों में होती हैं । कभी वकीलों की हड़ताल, तो कभी डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक आदि हड़ताल पर दिखाई देते हैं । छात्रगण कभी कक्षाओं का बहिष्कार करते हैं तो कभी परीक्षाओं का । ये समस्त घटनाएँ युवा वर्ग में बढ़ते असंतोष का ही परिणाम हैं।समय पर परीक्षाओं का ना होना या इंटरव्यू देने के बाद बरसों नियुक्ति पत्र न मिलना .
देश के युवा वर्ग में बढ़ता असंतोष राष्ट्र के लिए चिंता का विषय है । इसे समाप्त करने के लिए आवश्यक है कि हमारे राजनीतिज्ञ व प्रमुख पदाधिकारीगण निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर देश के विकास की ओर ध्यान केंद्रित करें एवं सुदृढ़ नीतियाँ लागू करें । इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उनका कार्यान्वयन सुचारू ढंग से हो रहा है या नहीं ।पर हर क्षेत्र में राजनैतिक हस्तक्षेप होना अनिवार्य हैं .बिना उनके पत्ता भी नहीं हिल सकता .
भ्रष्टाचार में लिप्त अफसरों व कर्मचारियों से सख्ती से निपटा जाए । देश भर में स्वच्छ एवं विकासशील वातावरण के लिए आवश्यक है कि सभी भर्तियाँ गुणवत्ता के आधार पर हों तथा उनमें भाई-तीजावाद आदि का कोई स्थान न हो । हमारी शिक्षा पद्धति में भी मूलभूत परिवर्तन की आवश्यकता है । हमारी शिक्षा का आधार व्यवसायिक एवं प्रयोगात्मक होना चाहिए जिससे युवा वर्ग को शिक्षा का संपूर्ण लाभ मिल सके ।
देश का युवा वर्ग स्वयं में एक शक्ति है । वह स्वयं एकजुट होकर अपनी समस्याओं का निदान कर सकता है यदि उसे राष्ट्र की ओर से थोडा-सा प्रोत्साहन एवं सहयोग प्राप्त हो जाए । युवाओं की नेतृत्व शक्ति कई बार सिद्ध की जा चुकी है । वर्तमान में हमारे लोकप्रिय प्रधान मंत्री ने विगत ५ वर्ष पहले अपने घोषणा पत्र में यह उल्लेखित किया था की प्रतिवर्ष २ करोड़ नौकरियां देंगे पर देने की बजाय बेरोजगारी और बढी.
अभी भी वर्तमान सरकार की बेरोजगारी पर कोई स्पष्ट नीति समझ से परे हैं .आज शिक्षित बेरोजगारों की स्थिति अत्यंत दयनीय हैं और कभी कभी ऐसे लोगों को आत्महत्या करने को मजबूर होना पड़ रहा हैं .स्थितियां बहुत विकराल और विस्फोटक हैं पर राजनेता मात्र भाषण और आसश्वासन के कुछ नहीं किया जा रहा हैं .योग्य युवा कोई भी छोटी सी छोटी नौकरी करने के लिए तैयार हैं .व्यापार के लिए लागत और प्रतिस्पर्धा के कारण वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं .इसके लियर सरकारों को निश्चित समय सीमा पर कोई ठोस कदम उठाना चाहिए तभी इस असंतोष को नियंत्रित किया जा सकेगा अन्यथा देश में क्रांति की संभावना से कोई नहीं रोक सकेगा .
गरीबी सबसे बड़ा अभिशाप हैं
जो पढ़ लिख कर अन्धकार
भविष्य में जियेगा
उसे क्या सूझेगा ?
पेट की भूख और काम की तलाश
की पीड़ा उससे पूछो
जो उस पर पूर्ण आश्रित हैं
जो नेता टिकट न मिलने या
चुनाव में हारने पर फड़फड़ाता हैं
पर वे होते हैं भरे पेट
उनकी पीड़ा समझो पहले
जिनकी दम पर बने हो मंत्री
युवा बेरोजगार बहुत खतरनाक बारूद हैं
क्रांति पर उतर आएगा जब
बन जायेगा ज्वालामुखी विस्फोटक
विद्यावास्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2/१104 पेसिफिक ब्लू, नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड ,भोपाल 462026 मोबाइल 09425006753
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