यदि हम अपनी विशुद्धि बढ़ाना चाहते है तो प्रभु भक्ति में समर्पित हो जाना चाहिए- मुनि श्री विनय सागर जी

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श्री 1008 महावीर कीर्तिस्तंभ मंदिर में चल रहे 35 दिवसीय णमोकर पैतीसी एवं जिनस्तुति विधान में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे है यह विधान 24 जुलाई से 28 अगस्त तक चलेगा मुनि श्री 108 विनय सागर जी गुरुदेव के सानिध्य में सर्वप्रथम श्री जी का अभिषेक उसके पश्चात सभी विधानकर्ता परिवार एवम् सभी उपस्थित श्रावक श्राविकाएं के स्वास्थ लाभ के लिए शांतिधारा होती है नवें दिन अर्ध चढ़ाकर णमोकर महामंत्र विधान की पूजा की गई विधान कार्यक्रम में नाचते गाते श्रद्धालुओं में णमोकर महामंत्र  से जिनेन्द्र देव भगवान की अरधाना की कार्यक्रम के अंत में जिनेन्द्र देव भगवान की महाआरती की गई इस अवसर पर आयोजित धर्मसभा में जिन मंदिर जीर्णोद्वारक संत, प्रशांत मूर्ति श्रमण मुनि श्री 108 विनय सागर जी गुरुदेव ने कहा कि धर्म की आराधना करके जीवन में अपने भावों को उज्जवल बनाना चाहिए हमारे भाव पवित्र वा पावन होने चाहिए हमारे भावो की स्थिति ही हमारा गुणस्थान तय करेंगे हम चाहते है की उच्च गुण स्थान की प्राप्ति हो तो अपने भाव भी उत्तम रखने होंगे आगे मुनि श्री ने कहां की यदि हम अपनी विशुद्धि बढ़ाना चाहते है तो प्रभु भक्ति में समर्पित हो जाना चाहिए ओर भगवान से अपनी दूरियां घटाने का प्रयास करते हुए धर्म आराधना में लगे रहना चाहिए। निरन्तर प्रभु की भक्ति करते रहेंगे तो निश्चित रूप से एक दिन अपने भावों को विशुद्ध करते हुए राग, द्वेष,मोह, अभिमान को कम करते हुए मोक्ष मार्ग की तरफ प्रशस्त होंगे। पुण्य शुद्धि वर्धक वषायोग के नियमित कार्यक्रम श्रृंखला के तहत प्रतिदिन सुबह 6.30 बजे श्री जी का अभिषेक शांतिधारा, सुबह 07.00 बजे णमोकर पैतिसी विधान प्रारंभ,सुबह 10.00 बजे दैनिक प्रवचन, सुबह 11 बजे आहार चर्या, दोपहर 3 बजे शास्त्र स्वाध्याय चर्चा, शाम 6.30 बजे णमोकर चालीसा के बाद गुरू भक्ति एवं आरती का आयोजन हो रहा है।

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