(सोनल जैन की रिपोर्ट) श्री 1008 महावीर कीर्तिस्तंभ दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे 35 दिवसीय 35 गुरु परिवार के 35 मंडलीय णमोकर जिनस्तुति विधान के 31 वें दिन पूज्य गुरुदेव जिन मंदिर जीर्णोद्वारक संत प्रशांत मूर्ति श्रमण मुनि श्री 108 विनय सागर जी गुरुदेव के सानिध्य में चल रहा है जिसमे प्रतिदिन सुबह शाम सकेड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं जिसमे प्रतिदिन प्रातः काल की बेला में श्री जी का अभिषेक, शांतिधारा नित्य पूजन किया जाता है तत्पच्यात विधान प्रारंभ होता है संगीतकार के मधुर संगीत में श्रावक श्राविकाएं भक्ति करते है विधान के अंत में मुनि श्री ने प्रवचन मैं कहा कि महामुनिराज ने कहा कि आज के व्यक्ति को सुकून की जरूरत है,सबकुछ हैं लेकिन सुकून नही है। सच्चे विचारो से सुकून मिलता है।धर्म हमेशा साथ देता है।संपूर्ण ताकत भक्त की भक्ति में होती है जो श्रद्धा और समर्पण से अपने जीवन को सार्थक कर लेती है।कभी शिकायत नही करना की गुरु का आशीर्वाद नही मिला शिकायत ये रखना की हम आर्शीवाद नही ले पाए।उपादान के बिना निमित्त जीरो है।उपादान के अभाव में अभाव ही जीवन में रहता है।उपादान जाग्रत होने पर समस्याएं घुटने टेक देती हैं।जो व्यक्ति सदमार्ग में आगे बढ़ने के कदम न उठाए वह अपराधी हैं।
पूज्य गुरुदेव के सानिध्य में 08 सितंबर से श्री 1008 महावीर कीर्तिस्तंभ मंदिर में श्रावक संस्कार शिविर लगाया जाएगा
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