चैत्र शुक्ला नवमी, वी. सं.२५५०, बुधवार, दि.१७ अप्रैल,२०२४
सिद्धक्षेत्र मांगीतुंगी जी से मोक्षगामी राम भगवान प्रतिमा स्थापित है उसके बाद विदर्भ का सर्व प्रथम वाशिम जिल्हा में मालेगांव जहागीर में श्री १००८ आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में सर्वज्ञ पद्म सिध्द साक्षात श्री १००८ प्रभू राम भगवान अतिशय सुंदर मनमोहन ऐसी प्रतिमा विराजमान है
जगत के स्वामी वीतरागी सिद्ध प्रभु, सर्वज्ञ पभू (पद्म सिद्ध) श्रीराम भगवान के जन्मोत्सव पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
जैन रामायण – पद्म पुराण
जैनों की मान्यता नुसार ६३ शलाका महापुरुषों में २४ तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती, ९ बलभद्र, ९ नारायण और ९ प्रतिनारायण होते हैं। बलभद्र और नारायण भाई-भाई होते हैं और प्रतिनारायण ३ खंड का मालिक अर्ध्दचक्री सम्राट होता है। नारायण अर्ध्दचक्री सम्राट प्रतिनारायण को युद्ध में पराजित कर स्वयं अर्ध्दचक्री सम्राट बनते हैं। यह प्रकृतिजन्य शाश्वत नियम है।
इस अवसर्पिणी काल के आठवे बलभद्र राम थे, आठवे नारायण लक्ष्मण थे और आठवे प्रतिनारायण रावण थे।
२०वे तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रतनाथजी के काल में जन्म लेनेवाले राम और लक्ष्मण अयोध्या के इक्ष्वाकुवंशी अर्थात सूर्यवंशी राजा दशरथ के पुत्र थे। राजा दशरथके अतिशय पराक्रमी दादा राजा रघु के नाम पर इक्ष्वाकुवंश का नाम रघुवंश पड़ा
श्री सिध्दक्षेत्र मांगीतुंगी महाराष्ट्र दिगंबर जैन गुफा में विराजमान श्री १००८ रामचंद्रजी भगवान सर्वज्ञ पद्म सिध्द वीतारागी राम, परमेष्ठि राम, त्याग की मूरत राम, केवलज्ञानी राम, बलभद्र राम, सिद्ध प्रभू राम, निग्रंथ राम, दिगंबर भेशी राम, अस्त्र-शस्त्र के राम, अहिंसक राम, यह हमारा राम वीरतागी प्रभु जय श्री राम की जय हो।
@✍️विनोद रोकडे जैन मालेगांव