भारतीय संस्कृति में साधनों की नहीं तप त्याग और साधना की पूजा होती हैं जिनका संपूर्ण जीवन देश समाज राष्ट्र को समर्पित रहा ऐसे दिव्य अनेकानेक महापुरुषों ने भरत की भारत भूमि में जन्म लेकर लोगो के जीवन नव चेतना का संचार किया है। नर से नारायण, कंकर से शंकर, पाषाण से परमात्मा, तीतर से तीर्थकर बनने का रास्ता दिखाया। विश्व शांति के अग्रदूत वर्तमान शासन नायक जन जन के आधार सत्य अहिसा जियो और जीने दो अमर संदेश के प्रणेता भगवान महावीर स्वामी की चेत्र शुक्ल तेरस को 2622 वी जन्म जयंती दिनांक 3 अप्रैल 2023 को संपूर्ण विश्व में हर्षोल्लास के मंगलमय वातावरण में मनाई जाएगी।
भगवान महावीर स्वामी ने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए, जो है– अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) चोरी नहीं करना, और ब्रह्मचर्य. महावीर स्वामी ने अपने उपदेशों और प्रवचनों के माध्यम से दुनिया को सही राह दिखाई और मार्गदर्शन दिया।महावीर शब्द की अपने आप में पूर्ण है इसका एक एक शब्द से तात्पर्य देखिए महावीर का “म” कहता है मन का सयंम रहे बना, महावीर का “ह” कहता है हाथ दया से रहे सना, महावीर का “व” कहता है धीर वीर गंभीर बने, महावीर का “र” कहता है राम कृष्ण महावीर बने।
आज से हजारों साल पहले तीर्थंकर महावीर स्वामी जी ने जो संदेश उपदेश दिया था, क्या वह आज भी उतना ही प्रासंगिक और महत्वपूर्ण है जी हां आज भी उतना ही प्रासगिक है। उनके बताए सिद्धांत आज भी अप टू डेट है आउट ऑफ डेट नहीं हुए। आज फास्ट फूड का जमाना है बच्चो को लौकिक शिक्षा के साथ आध्यात्मिक धर्म के संस्कार पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए।जीवन में महापुरुषों के जीवन चरित्र जरूर पढ़ना चाहिए। यदि पचपन में सद संस्कारो का बीजारोपण कर दिया जाता है आगे चलकर वो बच्चे विपरीत परिस्थितियों में भी साहस और दृढ़ता के साथ उसका सामना करते हुवे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते है। आज के बच्चो में सहनशीलता का आभाव होता जा रहा है। मोबाइल और सोशल मीडिया का दुष्प्रभाव बहुत ज्यादा पड़ रहा है। उनके जीवन में डिप्रेशन, मिमोरी लॉस, तनाव, चिडचीडापन, नीद कम आना, सबसे बड़ा मोबाइल के रेडिएशन से खतरा है केंसर।
संपूर्ण विश्व को कोरोना के कहर ने सादगी के साथ जीना सिखा दिया। कोरोना काल जीवन की सत्यता का बोध करा गया। हम सादा जीवन उच्च विचार से आज भी जीवन शानदार तरीके से जी सकते हैं । आज संपूर्ण विश्व बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है।आज अणु बमों की नहीं अनुव्रतो को धारण करने की परम आवश्कता है।इस विपरीत समय में भगवान महावीर स्वामी के द्वारा दिए संदेश और उपदेशों को जीवन में उतारने पर ही विश्व में शांति अमन चैन प्रेम अपनत्व ओर वात्सल्य का माहोल बन सकता हैं । जैन धर्म दर्शन अनेकांत और स्यादवाद में विश्व की समस्त समस्याओं का हल निहित है। आज मानव है पर मानवता नहीं इंसान है पर इंसानियता नहीं हैं भगवान महावीर स्वामी के बताए गए मार्ग का अनुशरण करके ही जीवन में नव चेतना का संचार जीवन को जीवंत किया जा सकता है।
-प्रस्तुति
राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी
पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार कोटा