विश्व में सबसे अधिक जागरूक जैन मुनि और आर्यिकायें हैं .कारण जैन धर्म हिंसा और परिग्रह के विपरीत अहिंसा और अपरिग्रहवाद का समर्थक हैं .में यह नहीं कहता की सब जैन हो जाए पर पर्यावरण के प्रति जागरूकता /सचेता जैन मुनियों से सीखा जा सकता हैं .वे प्रत्येक क्षण अहिंसा के प्रति जाग्रत होते हैं और अल्पतम संग्रह मात्र पिच्छी और कमंडल के अलावा कुछ नहीं .जल का भी सीमित उपयोग करते हैं .आज विश्व में जो भी प्रतिस्पर्धा हो रही हैं उसमे पांच पाप यानी हिंसा ,झूठ ,चोरी ,कुशील और परिग्रह और इनका इलाज़ अहिंसा ,सत्य ,अस्तेय ,ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह में हैं .इनका पालन खुले मन से करना होगा .
विश्व पर्यावरण दिवस एक अभियान है, जो प्रत्येक वर्ष 5 जून को, विश्वभर में पर्यावरण के नकारात्मक प्रभावों को रोकने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। इस अभियान की शुरुआत करने का उद्देश्य वातावरण की स्थितियों पर ध्यान केन्द्रित करने और हमारे ग्रह पृथ्वी के सुरक्षित भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण में सकारात्मक बदलाव का भाग बनने के लिए लोगों को प्रेरित करना है।
विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास
विश्व पर्यावरण दिवस की घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा मानव पर्यावरण के संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अवसर पर 1972 में हुई थी। हालांकि, यह अभियान सबसे पहले 5 जून 1973 को मनाया गया। यह प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है और इसका कार्यक्रम विशेषरुप से, संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित किए गए वार्षिक विषय पर आधारित होता है।
इंसान का जीवन धरती के वातावरण के कारण अस्तित्व में है। हमारे सांस लेने के लिए हवा से लेकर खाने पीने तक की हर जरूरी चीजें वातावरण उपलब्ध कराता है और धरती पर जीने के लिए अनुकूल माहौल देता है। यह सब प्रकृति की देन है। प्रकृति और पर्यावरण से ही ब्रह्मांड सुचारू रूप से चल पाता है।
इंसान का जीवन धरती के वातावरण के कारण अस्तित्व में है। हमारे सांस लेने के लिए हवा से लेकर खाने पीने तक की हर जरूरी चीजें वातावरण उपलब्ध कराता है और धरती पर जीने के लिए अनुकूल माहौल देता है। यह सब प्रकृति की देन है। प्रकृति और पर्यावरण से ही ब्रह्मांड सुचारू रूप से चल पाता है। प्रकृति तो हमें जीने के लिए बहुत कुछ देती है लेकिन इसके बदले में इंसानों ने प्रकृति का सिर्फ दोहन किया और पर्यावरण को प्रदूषित किया। जिससे प्रकृति को तो नुकसान हो ही रहा है, साथ ही जनजीवन का अस्तित्व भी खतरे में है। ऐसे में हर इंसान का कर्तव्य है कि वह पर्यावरण को सुरक्षित रखने का प्रयास करें। ग्लोबल वार्मिंग, मरीन पॉल्यूशन के बढ़ते खतरे और बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करें, ताकि पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। इसके लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। ऐसे में इस विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर प्रकृति के संरक्षण को लेकर 5 संकल्प लीजिए, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए वातावरण रहने योग्य बन सके।
पहला संकल्प
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर पहला संकल्प लें कि घर से निकलने वाले कचरे को सही स्थान पर पहुंचाएंगे। हर दिन हमारे घर से बहुत सारा कचरा निकलता है। जिसको लोग इधर-उधर फेंक देते हैं। इसके कचरा या तो जानवरों के पेट में जाता या फिर नदियों में बह जाता है। इस कारण हमारी नदियां भी प्रदूषित होती हैं। कचरे को इधर उधर न फेंकें बल्कि उसे कूड़ेदान में ही डालें। सूखे और गीले कचरे को अलग अलग करके उसे फेंके, ताकि उसका सही तरीके से इस्तेमाल हो सके।
दूसरा संकल्प
किसी व्यक्ति का जीवन सांस लेने से चलता है और सांस लेने के लिए शुद्ध हवा की जरूरत होती है। इसलिए विश्व पर्यावरण दिवस पर संकल्प लीजिए कि सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा हो, इसके लिए हम पेट्रोल-डीजल के बदले ई वाहन का उपयोग करेंगे। ज्यादा से ज्यादा पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करेंगे।
तीसरा संकल्प
प्रकृति पेड़ पौधों पर निर्भर है। लेकिन आजकल अंधाधुंध पेड़ पौधों की कटाई हो रही है। पेड़ पौधों की कटाई से ऑक्सीजन की कमी होने के साथ ही मौसम चक्र भी बिगड़ रहा है। इस कारण कई भीषण प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में संकल्प लें कि पेड़ पौधों की कटाई बंद करके अधिक से अधिक पौधारोपण करेंगे, ताकि प्रकृति को अब तक हुए नुकसान का भरपाई हो सके।
चौथा संकल्प
वातावरण को शुद्ध और सुरक्षित रखने में पेड़ पौधे, धरती, मिट्टी, जीव-जंतु, जल आदि की अहम भूमिका है। इसलिए विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर इस सभी का आभार व्यक्त करते हुए प्रार्थना करें कि पर्यावरण का संतुलन हमेशा बना रहें और संकल्प लें कि पर्यावरण को संतुलित और सुरक्षित रखने के लिए जो कुछ भी करना पड़े, आप करेंगे।
पांचवां संकल्प
पॉलीथिन या प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगाने का प्रयास करेंगे। प्रकृति के सबसे बड़े दुश्मन पॉलीथिन और प्लास्टिक ही हैं। ऐसे में खुद तो आप इनका इस्तेमाल नहीं करेंगे, साथ ही किसी अन्य को पॉलीथिन या प्लास्टिक का इस्तेमाल करते देखेंगे तो उसे भी पर्यावरण के प्रति जागरूक करेंगे।
हमारे पर्यावरण की स्थिति प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के कारण दिन प्रति दिन गिरती जा रही है। बेहतर भविष्य के लिए पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हमें हमारे देश में पर्यावरण के अनुकूल विकास को बढ़ावा देना चाहिए।
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३
Unit of Shri Bharatvarshiya Digamber Jain Mahasabha