विश्व महासागर दिवस -विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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विश्व महासागर दिवस हर वर्ष ८  जून को मनाया जाता है। महासागर हमारी रोजमर्रा  की जिंदगी में बहुत बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सांस लेने के लिए जिस तरह हमारे फेफड़े जरूरी है उसी तरह महासागर हमारे ग्रह के लिए जरूरी है। यह हमारे ग्रह के फेफड़े हैं। विश्व महासागर दिवस दुनिया भर की सरकारों को लोगों को समुद्र में आर्थिक गतिविधियों और मानवीय कार्यों के प्रभाव के बारे में बताता है। तेल के द्वारा जहाजों से होने वाले प्रदुषण, हानिाकारक तरल पदार्थ, सीवेज, कचरे और जहाजों के कारण हो रहे वायु प्रदुषण की जांच जैसे मुद्दों का समाधान करने के लिए १९७३  में समुद्री संगठन का गठन किया गया था। दुनिया को महासागरों की भूमिका याद दिलाए रखने के लिए हम विश्व महासागर दिवस मनाते हैं। महासागरों की सुरक्षा के लिए विश्वव्यापी आंदोलन को विकसित कर दुनिया के सभी महासागरों के स्थायी प्रबंधन के लिए एक परियोजना के माध्यम से दुनिया की आबादी को एकजुट लाना है।
इतिहास और महत्वः विश्व महासागर दिवस का इतिहास विश्व महासागर दिवस का सुझाव कनाडा सरकार ने १९९२   में रियो डी जनेरोयो में हो रहे पृथ्वी शिखर सम्मेलन में दिया था. इसके बाद २००२  में द ओशन प्रोजेक्ट ने विश्व महासागर दिवस को विश्व स्तर पर समन्वित करना शुरु किया। कई नेटर्वक और संगठनों के योगदान से इस वैश्विक कार्यक्रम को सभी क्षेत्रों में विकसित करने के लिए साल भर चलने वाली आउटरीच की शुरुआत की गई। इसके साथ ही आयोजकों और प्रतिभगियों के लिए एक वेबसाइट शुरु की गई। द ओशन प्रोजेक्त और विश्व ओशन नेटर्वक द्वारा एक सार्वजनिक याचिका पर लिए गए हजारों हस्ताक्षरों से प्रोत्साहित होकर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक तौर पर २००८  में ८  जून को विश्व महासागर दिवस के रूप में मान्यता देते हुए एक प्रस्ताव परित किया। २००९   में इस संयुक्त राष्ट्र ने भी मान्यता दे दी। विश्व महासागर दिवस को विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। इसमें चिड़ियाघरों और एक्वैरियम में विशेष तरह के कार्यक्रम किए जाते हैं, समुद्र तट और नदियों की सफाई, स्कुलों में विभिन्न प्रकार की गतिविधियां और फिल्म समारोहों  आदि शामिल है। यह उत्सव सभी को एक साथ लाकर महासागरों के महत्व को समझाता है। विश्व महासागर दिवस महासागरों के जीवित और निर्जीव संसाधनों के उपयोग और सतत विकास में संयुक्त राष्ट्र और अंतराष्ट्रिय कानुन की भूमिका को लेकर जागरूकता बढ़ाने का काम करता है। यूनेस्को का अंतरसरकारी समुद्र विज्ञान आयोग (आईओसी) और आधिकारिक संयुक्त राष्ट्र विश्व महासागर दिवस पोर्टल DOALOS के साथ साझेदारी में समन्वय करता है, जो की ८  जून को महासागर जागरूकता कार्यक्रमों के लिए समर्थन में सहायक है।
महासागर के कुछ मुख्य तथ्य •
हमारी पृथ्वी का ७० % से अधिक भाग महासागरों से घिरा है। यह महासागर हमारे जीवन का मुख्य स्रोत है जो मानवों के साथ-साथ पृथवी पर हर जीवन का पोषण करते हैं। • महासागर हमारे ग्रह के कम से कम 50% ऑक्सीजन का अकेले उत्पादन करते हैं। यह अधिकांश जैव विविधता का घर है और उसके साथ दुनिया भर में प्रोटीन का मुख्य स्रोत भी। महासागर हमारी अर्थव्यवस्था   के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। २०३०  तक में लगभग ४०  मिलियन लोगों को महासागर-आधारित उद्योगों द्वार नियोजित किया जाएगा। • महासागर हमारे द्वारा उत्पादित लगभग ३० % कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है। जो ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को कम करता है। लेकिन इस तरह घुलती  कार्बन का स्तर समुद्र के जल को अम्लीय बना रहा है। • तीन अरब से अधिक लोग अपनी आजीविका के लिए महासागरों पर निर्भर करते हैं। • समुद्र का केवल एक प्रतिशत हिस्सा ही कानूनी तौर पर संरक्षित है। • पृथ्वी पर ऑक्सीजन का ७० % निर्माण महासागरों से होता है। • हमने विश्व के केवल ५ % महासागरों की खोज की है। • ९० % ज्वालामुखीय गतिविधियां महासागरों में होती है। • समुद्री प्रजातियों के विश्व रजिस्टर (WoRMS) के अनुसार वर्तमान समय में कम से कम २३६ ,८७८ नामित समुद्र प्रजातियां है।
पांच महासागर कौन से है?
दुनिया में केवल एक वैश्विक महासागर है, जिसे पांच भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। जो इस प्रकार है- १ . प्रशांत महासागर २ . अटलांटिक महासागर ३ . हिंद महासागर ४ . आर्कटिक महासागर ५ . दक्षिणी महासागर
महासागरों का महत्व •
महासागर पृथवी के अधिकांश पौधों और जानवरों का घर है। इसमें एकल-कोशिका वाले जीवों से लेकर ब्लू व्हेल तक शामिल है। •
समुद्री पौधे हमें सांस लेने के लिए ७० % ऑक्सीजन प्रदान करता है। •
समुद्र, जलवायु को नियंत्रित करता है, सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडी हवा प्रदान करता है। •
हमें भोजन और दवाओं के साथ-साथ परिवहन भी प्रदान करता है। •
आप ग्रह पर चाहे कहीं भी रहें, समुद्र से कितनी भी दूर क्यों न हो, आपका जीवन समुद्र पर निर्भर करता ही है। महासागरों द्वारा सामना किए जाने वाले खतरे •
समुद्र के सामने जो सबसे बढ़ी समस्या है वो प्लास्टिक प्रदूषण है। प्लास्टिक की थैलियों और प्लास्टिक की बोतलों सहित केवल एक बार प्रयोग होने वाले प्लास्टिक को कम करना जरूरी है। यह कई वर्षों से विश्व महासागर दिवस का एक महत्वपूर्ण विषय बना हुआ है।
• जलवायु परिवर्तन और समुद्र का लगातार बढ़ता तापमान भी एक बड़ी चिंता का विषय है।
• बढ़ते समुद्र के तापमान से मौसम के मिजाज पर सीधा प्रभाव पड़ता है और इसे चरम मौसम की स्थिति में वृद्धि के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार माना जाता है।
• कार्बन डाइऑक्साइड में वृद्धि समुद्री जल के अम्ल स्तर को बढ़ा रही है और कई समुद्री जीवों को खतरे में भी डाल रही है।
• बढ़ते हानिकारक शैवाल के फूल जो बड़े पैमाने पर मछलीयों को मार सकते हैं और विषाक्त पदार्थों के साथ समुद्री भोजन को दूषित कर सकते हैं। भारत हमेशा से ही एक समुद्री सभ्यता रही है। • हमारे प्राचीन ग्रंथ और साहित्य, समुद्री जीवन सहित महासागरों द्वारा दिए उपहारों के बारे में बात करते हैं । आज, हमारी सुरक्षा और समृद्धि महासागरों से जुड़ी हुई है।
भारत के ”इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव” में समुद्री संसाधनों को एक प्रमुख स्तंभ के रूप में शामिल किया गया है।
भारत ‘राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव-विविधता पर उच्च महत्वाकांक्षा गठबंधन’ की फ्रांसीसी पहल का समर्थन करता है।
हम इस साल कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय संधि की उम्मीद करते हैं। • भारत सिंगल यूज प्लास्टिक को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत ने हाल ही में तटीय क्षेत्रों से प्लास्टिक और अन्य कचरे को साफ करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान चलाया है।
तीन लाख युवाओं ने लगभग १३  टन प्लास्टिक कचरे को एकत्र किया।
भारत ने अपनी नौसेना को इस वर्ष समुद्र से प्लास्टिक कचरे को साफ करने के लिए १००  जहाज-दिवसों में योगदान करने का भी निर्देश दिया है।
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन  संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104  पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026  मोबाइल  ०९४२५००६७५३

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