विश्व शाकाहार दिवस —- विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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दुनियाभर में आज शाकाहार दिवस मनाया जा रहा है. खुशी की बात ये है कि दुनिया अब शाकाहार की ओर बढ़ने लगी हैपिछले कुछ साल के आंकड़ों पर भरोसा करें तो दुनिया में शाकाहारियों की तादाद बढ़ रही है. हालांकि मांसाहारियों की तुलना में अब भी खासी कम है.इस दिवस पर सभी मानव जाति को शुभकामनाएं ,
बढ़ रहे हैं शाकाहारी
दुनिया में तेजी से प्लांट बेस यानि वनस्पति आधारित खानपान के तौरतरीके बढ़ रहे हैं. लोग इसे तेजी से अपना रहे हैं. ये आंदोलन का रूप ले रहा है, जिसे काफी पसंद भी किया जा रहा है.
दुनिया की सबसे बड़ी फूड फैक्ट्री नेस्ले का अनुमान है, “वनस्पति आधारित खानों का क्रेज अब बढेगा.” एक और कंपनी जस्टइट के सर्वे का कहना है, “दुनिया में 94 फीसदी हेल्दी फूड आर्डर बढा है.” एक अन्य अमेरिकी कंपनी ग्रबहब का डेटा कहता है, “अमेरिका में दुकानों और मॉल्स से हरी सब्जियां ले जाने की संख्या बढ रही है.”
गूगल ट्रेंड्स का सर्च डाटा कहता है, ” वर्ष 2014 से 2018 के बीच दुनियाभर में असरदार तरीके से शाकाहार की ओर लोगों का रुझान बढा है. इजराइल, आस्ट्रेलिया, आस्ट्रिया, कनाडा और न्यूजीलैंड में शाकाहारी बढ़ रहे हैं.”
ग्लोबडाटा की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, “अमेरिका में शाकाहारी लोगों में 600 फीसदी की बढोतरी हुई है.” रिपोर्ट कहती है, “वर्ष 2014 में अमेरिका में केवल एक फीसदी लोग शाकाहारी होने का दावा करते थे लेकिन वर्ष 2017 में ये संख्या छह फीसदी हो चुकी है. ब्रिटेन में एक दशक पहले की तुलना में वेजन 350 फीसदी बढे हैं.”
कनाडा में वर्ष 2017 में शाकाहार पर सबसे ज्यादा सर्च हुई. पहली बार कनाडा की नई फूड गाइड का मसौदा तैयार हुआ, इसे कनाडा की सरकार ने 2017 में रिलीज किया, जिसमें हरी सब्जियों और वनस्पति आधारित खानों की पैरवी की गई
हर जगह बढ़ रहा है शाकाहार का बाजार
नीलसन की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, पुर्तगाल में पिछले एक दशक में शाकाहारियों की संख्या 400 फीसदी तक बढ़ी है. चीन की सरकार अपने लोगों को मांसाहार के लिए हतोत्साहित कर रही है. उसका कहना है कि मांसाहार की खपत को 50 फीसदी तक कम किया जाना चाहिए.
रिसर्च कहता है कि चीन में शाकाहार का बाजार 17 फीसदी की दर से 2015 से 2020 के बीच बढने की उम्मीद जाहिर की जा रही है. हांगकांग में 22 फीसदी लोग शाकाहारी खाने और हरी सब्जियों की आदत डाल रहे हैं.
आस्ट्रेलिया में वर्ष 2014 से 2016 के बीच 02 फीसदी शाकाहार उत्पाद लांच किए गए. आस्ट्रेलिया दुनिया का तीसरा तेजी से बढ़ता शाकाहार का बाजार है. अमेरिका में फास्ट कैजुअल रेस्टोरेंट एक लाख दस हजार मील हर महीने परोसता है और वो इसे दुनियाभर में फैलाने की योजना बना रहा है. मैकडोनाल्ड्स् ने स्वीडन, फिनलैंड सहित कई देशों में मैकवेजन बर्गर लांच किये हैं. पिज्जा हट ने ब्रिटेन में वेजन चीज पिज्जा पेश किया
फ्रेंड्स ऑफ़ अर्थ नामक संस्था के मुताबिक दुनियाभर में 50 करोड़ लोग ऐसे हैं जो पूरी तरह से शाकाहारी हैं लेकिन तादाद बढ़ रही है. दुनिया के सबसे ज्यादा शाकाहारी भारत में हैं, हालांकि ये आंकड़े पुराने हैं. माना जा रहा है कि वर्ष 2018 में शाकाहार के प्रति सबसे ज्यादा ट्रेंड देखा गया है लिहाजा शाकाहारियों की तादाद भी और बढ़ चुकी होगी.
भारत                – 30 से 40 फीसदी शाकाहारी
ताइवान            – 14 फीसदी
आस्ट्रेलिया        – 11 फीसदी
मैक्सिको            – 19 फीसदी
इजराइल           – 13 फीसदी
ब्राजील             – 14 फीसदी
स्वीडन             – 10 फीसदी
न्यूजीलैंड          – 10.3 फीसदी
जर्मनी              – 10 फीसदी
कितनी तरह के भोजन करने वाले
दुनिया में तीन तरह का भोजन करने वाले लोग हैं. पहले जो मांसाहार करते हैं, यानी नॉन -वेजिटेरिअन   . दूसरे जो शाकाहारी हैं- यानी वेजेटेरियंस  और तीसरे वो लोग हैं जो शाकाहारी हैं और जानवरों से प्राप्त किए जाने वाले पदार्थ  जैसे दूध का सेवन भी नहीं करते. ऐसे लोगों को (वीगन) कहा जाता है.
मांसाहार कम होने पर फायदे
– भोजन में मांसाहार की मात्रा कम करने से दुनिया भर में हर साल करीब 66 लाख 73 हज़ार करोड़ रुपये बचाए जा सकते हैं जबकि ग्रीन गैस उत्सर्जन में कमी आने से 34 लाख करोड़ रुपये बचाए जा सकेंगे.
– कम कैलोरी वाला भोजन करने से मोटापे की समस्या कम होगी. स्वास्थ्य पर लगने वाले खर्च में कमी आएगी.
– फल और सब्ज़ियों का उत्पादन बढ़ने से भारत सहित दक्षिण एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था को जबरदस्त फायदा होगा
– अमेरिका की नेशनल  अकादमी  ऑफ़  साइंसेज  के एक नए रिसर्च के मुताबिक, अगर पूरी दुनिया में शाकाहार को बढ़ावा मिले तो धरती को ज्यादा स्वस्थ, ज्यादा ठंडा और ज्यादा दौलतमंद बनाया जा सकता है.
मांसाहार उत्पादन में ज्यादा पानी
– एक अनुमान के मुताबिक जानवरों को पालने के लिए उन्हें जो भोजन दिया जाता है, वो अगर इंसानों को मिलने लगे तो दोगुने लोगों का पेट भर सकता है. इसी तरह मीट प्रोडक्ट्स को खाने की टेबल तक पहुंचाने में सब्जियों के मुकाबले 100 गुना ज़्यादा पानी का इस्तेमाल किया जाता है.
– आधा किलो आलू उगाने में 127 लीटर पानी लगता है जबकि आधा किलो मांस का उत्पादन करने के लिए 9 हज़ार लीटर से ज्यादा पानी बर्बाद होता है जबकि आधा किलो गेंहूं का आटा बनाने में 681 लीटर पानी का इस्तेमाल होता है.
– फ्रेंड्स ऑफ़ अर्थ  नामक संस्था के मुताबिक मीट प्रोडक्ट्स पैदा करने के लिए हर साल करीब 6 लाख हेक्टेयर जंगल काट दिए जाते हैं ताकि उस ज़मीन पर जानवरों को पाला जा सके.
– कुल मिलाकर अगर वैज्ञानिक रिपोर्ट्स को आधार बनाया जाए तो ये कहना गलत नहीं होगा हफ्ते में सिर्फ एक दिन के लिए शाकाहार को अपनाकर भी, धरती को बचाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा सकता है, क्योंकि मांसाहार कम होने से ग्लोबल वार्मिंग में कमी आएगी, और धरती के वातावरण को ठंडा बनाने में मदद मिलेगी.
शाकाहार से भी बनती है मसल्स
शाकाहारी भोजन में मसल्स बनाने के लिए सभी जरूरी पोषक तत्व होते हैं. सब्जियों से मिलने वाली कार्बोहाईड्रेट और वसा बीमारियों से बचाव करती है, साथ ही प्रोटीन से आपकी मसल्स का निर्माण होता है. सब्जियों में शरीर के लिए फायदेमंद विटामिन्‍स, एंटीऑक्सीडेंट और अमीनो एसिड भी पाया जाता है.
कुछ शाकाहारी खाद्य पदार्थों की जिनके सेवन और वर्क आउट से आप आकर्षक और मजबूत मसल्स पा सकते हैं. प्रोटीन के लिए चना, दाल, बादाम, काजू, अनाज और मटर का सेवन फायदेमंद रहता है. बटरमिल्‍क भी मसल्स बनाने में मददगार है. छाछ में नाम मात्र की वसा होती है, यह भी मसल्स निर्माण में सहायक है
इतिहास क्या कहता है
शाकाहार के शुरुआती रिकॉर्ड ईसा पूर्व छठी शताब्दी में प्राचीन भारत और प्राचीन ग्रीस में पाए जाते हैं. लेकिन प्राचीनकाल में रोमन साम्राज्य के ईसाईकरण के बाद शाकाहार व्यावहारिक रूप से यूरोप से गायब हो गया.
कौन सा धर्म खानपान पर क्या कहता है
हिंदू धर्म – हिंदू धर्म में शाकाहार को श्रेष्ठ माना गया है. ये विश्वास है कि मांसाहारी भोजन मस्तिष्क और आध्यात्मिक विकास के लिए हानिकारक है. हिंदू धर्म पशु-प्राणियों के अंहिसा के सिद्धांत को भी मानता है. हिंदू शाकाहारी आमतौर पर अंडे से परहेज़ करते हैं लेकिन दूध और डेयरी उत्पादों का उपभोग करते हैं, इसलिए वे लैक्टो-शाकाहारी हैं. हालांकि अपने संप्रदाय और क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार हिंदुओं के खानपान की आदतें अलग होती हैं.
जैन धर्म- ये दृढ तरीके से शाकाहार पर जोर देते हैं. यहां तक शाकाहार में कुछ ऐसी सब्जियां नहीं खाते, जो जड़ की होती हैं, क्योंकि वो इसे पौधों की हत्या के रूप में देखते हैं. वे फलियां और फल खाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं.
बौद्ध धर्म- बौद्ध धर्म शाकाहार पर विश्वास करता है. लेकिन थैरवादी या स्थविरवादी आमतौर पर मांस खाया करते हैं. महायान बौद्ध धर्म में, ऐसे अनेक संस्कृत ग्रंथ हैं जिनमे बुद्ध अपने अनुयायियों को मांस से परहेज करने का निर्देश देते हैं. तिब्बत और जापानी बौद्धों के बहुमत सहित महायान की कुछ शाखाएं मांस खाया करती हैं जबकि चीनी बौद्ध मांस नहीं खाते.
सिख धर्म- सिख धर्म के सिद्धांत शाकाहार या मांसाहार पर अलग से कोई वकालत नहीं करते. भोजन का निर्णय व्यक्ति पर छोड़ दिया गया है. कुछ सिख संप्रदाय से संबंधित “अमृतधारी” मांस और अंडे के उपभोग का जोरदार विरोध करते हैं.
यहूदी धर्म- मांस त्याग की पैरवी करता है और इसे नैतिक तौर पर गलत बताता है. हालाँकि यहूदियों के लिए मांस खाना न आवश्यक है और न ही निषिद्ध.
ईसाई धर्म- मौजूदा ईसाई संस्कृति सामान्य रूप से शाकाहार नहीं है. हालाँकि, सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट और पारंपरिक मोनैस्टिक शाकाहार पर जोर डालते हैं.
इस्लाम- व्यक्तिगत तौर पर मांस का स्वाद पसंद न करने वालों को शाकाहार चुनने की आजादी प्रदान करता है.
उपरोक्त आधार के अलावा मानव शरीर की संरचना मांसाहार के लिए नहीं हैं .शाकाहार यानि शांति कारक और हानि रहित .इसको  अपनाने में लाभ हैं .
आये इस दिन हम संकल्प ले की हम स्वयं शाकाहारी बने और और कम से एक व्यक्ति को शाकाहार बनाने प्रेरित करे. कोई भी शाकाहार परिषद् का सदस्य बन सकता हैं जो पूर्णतया शाकाहारी ,अहिंसा प्रेमी और जीवदया के प्रति दया का भाव रखता हो
(लेखक वर्ष १९८५ से अहिंसा शाकाहार जीवदया के क्षेत्र में कार्यरत हैं ,उनके द्वारा हजारों लोगों को व्यक्तिगत रूप से और लेखों के माध्यम से जागरूक किया ,वर्ष १९८५ में आयोजित विश्व अहिंसा शाकाहार जीवदया के सम्मलेन में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व किया  था.उनके द्वारा शाकाहार जाग्रति बुलेटिन भी प्रकाशित किया गया था )
विद्यावाचस्पति  डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन ,संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104  पेसिफिक ब्लू, नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026  मोबाइल 9425006753

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