आज हम विश्व पर्यावरण दिवस मना रहे हैं। इस भरत के भारत में पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन का सबसे बड़ा संदेश यदि दिया है श्री रामचरित्र मानस के अंतर्गत सीता माता ने दिया है। वनवास के दौरान सीता मां ने जब लव कुश से कहा कि जंगल जाओ और लकड़ी लेकर आओ लव कुश गीली लड़कियां लेकर आ गए सीता मां ने कहा कि जब सूखी लकड़ियों से काम चल सकता है तो फिर गीली लकड़ियों लकड़ियां क्यों लाए हो। प्रकृति में जितने भी जीव चींटी से लेकर हाथी तक जो तुम्हें दिखाई दे रहे हैं ये पर्वत वन उपवन नदी झरना प्रकृति की हर विरासत आपकी अपनी है आपका परिवार है।उसको आपने ही परिवार की तरह से मानो । सृष्टि के समस्त जीवो को आप अपना मानो। सच ही कहा सीता माता जी ने दृष्टि अपनी बदलो सृष्टि बदल जाएगी सबको अपना मानो सब आपके हो जाएंगे। खेल मात्र दृष्टि का सोच का चिंतन का है बस। जीवन में सदैव सोच सकारात्मक रखे। सोच के अनुसार ही जीवन बनता है। आज वर्तमान समय में जल जंगल और जमीन का भरपूर दोहन किया जा रहा है धरती मां का जल स्तर नीचे जाता जा रहा। प्रकृति में विकृति पैदा नहीं करे। प्रकृति के साथ रहे। जब जब मानव ने प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया है उसकी विकृति के रूप में अतिवृष्टि, अनावृष्टि, सुनामी, ओलावृष्टि, भूकंप, कोरोना फ्लैग जैसी महामारियों का सामना करना पड़ा।जल है तो कल है पानी को प्रदूषण से बचाना है । महात्मा गांधी ने कहा था कि पृथ्वी हर व्यक्ति की आवश्यकता को पूरा कर सकती है परंतु लालच को नहीं। वेदों में कहा गया है कि पृथ्वी हमारी मां है हम उसके बेटे हैं।पर्यावरण संकट मात्र सरकारी योजनाओं से कदापि सम्भव नहीं होगा बल्कि जन जन के सहयोग से हो सम्भव हो पाएगा। आज जितने भी हाई वे है उन सब के आप पास आवासीय कॉलोनियों बनाई जा रही है।पर्यावरण हमें सांस लेने के लिए हवा, पीने के लिए पानी और खाने के लिए भोजन देता है। लेकिन औद्योगीकरण, वनों की कटाई और प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग के कारण पृथ्वी को नुकसान हो रहा है। प्रदूषण बढ़ रहा है, वन्यजीव गायब हो रहे हैं और जलवायु तेजी से बदल रही है। परी और आवरण से मिलकर पर्यावरण शब्द बना है जिसका अर्थ होता है चारों ओर से घिरा हुआ। यानि आस पास। नदी, तालाब, भूमि, वायु, पौधे, पशु-पक्षी आदि पर्यावरण मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। पर्यावरण मनुष्यों के साथ-साथ धरती के सभी जीवों के जीवन को प्रभावित करता है।यदि हमें पर्यावरण को संरक्षित करना है तो खूब पेड़ लगाए पानी बचाए कचरा न फैलाए । चारों ओर हरियाली हो जीवन की आन बान शान हरियाली है । प्रकृति में विकृति नहीं लाएं प्रकृति में संस्कृति लाए। इन्हीं मंगल भावनाओ के साथ
प्रस्तुति
राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी
पारस जैन “पार्श्वमणि” पत्रकार कोटा
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