विश्व दृष्टि दिवस – विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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विज्ञान अभिशाप के साथ वरदान भी होता हैं .वरदान के कारण हम तकनीकी से भरपूर होकर जानकारियां प्राप्त करने में सहज हो गए हैं पर —- विगत ४० वर्षों में टी .वी कंप्यूटर ,मोबाइल ,इंटरनेट की अधिकता और जंक फूड्स के कारण पौष्टिक आहार न मिलने से वर्तमान में नेत्र रोग सम्बन्धी समस्यायें पहले से अधिक हो रही हैं .इनके उपयोग से न केवल नेत्र रोग ,कर्ण रोग ,मानसिक रोग भी बढ़ गए हैं .कोई भी काम की अधिकतता नुकसान दायक होती हैं .
जिन लोगों को स्वस्थ आंखें मिली हैं वे उनकी सेहत पर ज़्यादा ध्यान नहीं देते। यही वजह है कि हर साल अक्टूबर के दूसरे गुरुवार को हर साल विश्व दृष्टि दिवस मनाया जाता है ताकि लोगों को आंखों की सेहत के प्रति जागरुक किया जा सके।इस साल यह आज के दिन यानी 14 अक्टूबर को मनाया जा रहा है.
आंखें किसी नियामत से कम नहीं होतीं। इनकी वजह से आप इस ख़ूबसूरत दुनिया को देख पाते हैं, लोगों को पहचान पाते हैं। दुनियाभर में लाखों ऐसे लोग हैं, जिनकी या तो पास की या फिर दूर की नज़र कमज़ोर है। हज़ारों ऐसे हैं जो या तो जन्म से या फिर किसी वजह से नेत्रहीन हैं। सिर्फ भारत में ही दुनिया के 20% से ज़्यादा आबादी नेत्रहीन हैं। जिन लोगों को स्वस्थ आंखें मिली हैं, वे उनकी सेहत पर ज़्यादा ध्यान नहीं देते। यही वजह है कि हर साल अक्टूबर के दूसरे गुरुवार को हर साल विश्व दृष्टि दिवस मनाया जाता है, ताकि लोगों को आंखों की सेहत के प्रति जागरुक किया जा सके। इस साल विश्व दृष्टि दिवस 14 अक्टूबर तो मनाया जा रहा है।
“वैसे तो आंखों में अगर कोई छोटी सी भी दिक्कत होती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना ही चाहिए, लेकिन अगर आप समय-समय पर वैसे ही अपनी आंखों का चेकअप करवाते रहें, तो भविष्य में होने वाली किसी भी दिक्कत का पहले से पता लगा सकते हैं या फिर उससे बच सकते हैं। आंखों का नियमित रूप से चेक-अप करवाने की कई वजह ज़रूरी नहीं है। नियमित रूप से आंखों की जांच करवाना ज़रूरी होता है।
टाइम के साथ लोगों को फोन या लैपटॉप आदि में स्क्रीन टाइम बढ़ता जा रहा है, इस वजह से आंखों पर काफी दबाव पड़ता है। स्क्रीन से होने वाली दिक्कत से बचने के लिए सामान्य नियमों को फॉलो करना होता है, जिसमें स्क्रीन को ज़्यादा देर न देखना और बीच-बीच में ब्रेक लेना शामिल है। इसके अलावा 20-20-20 रूल को फॉलो करना चाहिए। इसमें आप स्क्रीन पर 20 मिनट काम करने के बाद 20 फीट दूर तक देखें और फिर 20 सेकेंड का रेस्ट लें। साथ ही बीच में आंखों को झपकाना न भूलें। लाइट को कम रखें और लैपटॉप या मोबाइल फोन को आंख के एंगल से थोड़ा नीचे रखें। इसके अलावा अपने बैठने के तरीके का भी ध्यान रखें।
इस दौरान बच्चों पर खास ध्यान रखने की ज़रूरत है, क्योंकि ऑनलाइन क्लास या एंटरटेनमेंट के चलते बच्चे भी स्क्रीन पर टाइम ज़्यादा बिता रहे हैं। इसलिए कोशिश करें कि वो फोन की बजाय फिज़िकल गेमिंग पर ध्यान दें और फोन का इस्तेमाल कम करें। अगर ज़रूरी है तो उन्हें बताएं कि बीच-बीच में आंखों का झपकाना ज़रूरी है, लगातार स्क्रीन पर न देखें। ऐसे में उनका खास ध्यान रखें और बीच-बीच में बच्चों को कुछ देर का रेस्ट भी दें। उन्हें भी अच्छे से बैठकर पढ़ने के एंगल पर ध्यान रखने के लिए कहें।
‘अक्सर होता है कि लोगों को आंखों में जलन, आंख की वजह से सिर दर्द होना, आंखों से ज़्यादा पानी गिरना या ड्राई आंखों की दिक्कत आती हैं, जिन्हें लोग किसी न किसी का कारण मानकर इग्नोर कर देते हैं, जैसे गर्मी की वजह से आंखों में जलन, स्ट्रेस की वजह से सिर दर्द। इनमें से कोई लक्षण दिखते हैं और आपको लगता है कि लंबे समय से आपको इन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, तो आपको बिना देरी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। दरअसल, ऐसी बीमारियों का समय पर इलाज होना ज़रूरी है। आंखों में ड्राईनेस एक नहीं कई कारणों से होती है, इसलिए ऐसा होने पर डॉक्टर से संपर्क करके इसकी वजह जानें और उसका इलाज करवाएं।
नेत्र रोग के बचाव् हेतु हरी साग सब्जी ,बादाम ,अखरोट आदि भी उपयोग करे .रेडीमेड खाद्यान्न नुकसानदायक होते हैं .
आयुर्वेदानुसार— त्रिफला चूर्ण को रात में पानी में भिगोकर सुबह आंख धोना चाहिए .
त्रिफला घृत १० ग्राम सुबह शाम दूध से
सप्तामृत लौह २ -२ गोली सुबह शाम पानी से
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३

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