*संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का अतुलनीय उपकार,जीव दया के कार्य अविस्मरणीय,श्री समय सागर महाराज संघ आचार्य हैं और रहेगें, हमारे नायक हैं,निर्यापक श्रमण श्री सुधा सागर महाराज*
*विश्व में शांति और समाधान जैन समाज के जियो और जीने दो से ही संभव, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया*
संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने जगत को जो दिया है वह तीर्थंकर भगवंतों के उपकार के समकक्ष है,वरन् हम शिष्यों पर तो गुरु का उपकार तीर्थंकर भगवंतों के उपकार से भी अधिक है। निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव श्री सुधा सागर महाराज ने गुरू उपकार का उल्लेख करते हुए गृहस्थों से कहा कि गृहस्थ हमारे संघ की आंतरिक स्थिति में हस्तक्षेप करने का प्रयास न करें,हम साधु आपकी गृहस्थी में कोई हस्तक्षेप नहीं करते।
निर्यापक श्रमण श्री सुधा सागर महाराज ने अशोकनगर में कहा कि हमारे गुरू आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज आत्मसाधना में लीन होते हुए भी उनकी करुणा जगत के लिए कल्याण कारी थी। उनके हम पर इतने उपकार हैं कि हम सौ जन्मों में भी उनके उपकार से उऋण नहीं हो सकते। कुछ दिन पूर्व एक विवादास्पद जिज्ञासा में हमारे गुरू के संबंध में अनुचित कथन करते हुए कहा गया था कि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने हमें क्या दिया, उन्होंने जो हमें दिया वो तुम क्या जानो, उन्होंने समाज उत्थान,राष्ट्र उत्थान सहित जगत कल्याण का संदेश दिया, उनके निर्देशन में लाखों गायों का संरक्षण, हथकरघा के माध्यम है गरीबों को अहिंसा के साथ आत्मनिर्भर बनाया, आजीविका प्रदान की। हमारे संघ के आचार्य वर्तमान में श्री समय सागर महाराज हैं और रहेगें,संघ के नायक हैं। मुनि श्री ने कहा कि मैं जो हूं जिस रूप में में हूं उसी में पूर्णता की अनुभूति करता हूं,मैं हूं अपने आप में पूर्ण।
निर्यापक श्रमण श्री सुधा सागर महाराज के दर्शन के लिए पहुंचे केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मेरा जन्म जैन समाज में नहीं हुआ ये मेरे वश में नहीं था किंतु मैं कर्म से जैन बनना चाहता हूं। श्री सिंधिया ने कहा कि संसार के भिन्न-भिन्न स्थानों में युद्ध हो रहा है और आज परंपरागत युद्ध के रूप में भी परिवर्तन हो रहा है अब विश्व में आर्थिक युद्ध लड़ा जा रहा है। ऐसे समय में जैन समाज का जियो और जीने दो का सूत्र ही एकमात्र समाधान है।मैं कहीं भी पहुंच जाऊं मगर मैं पूज्य मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज की चरणों की धूल के बराबर भी नहीं हो सकता। अशोकनगर में मुनि श्री का चातुर्मास चंबल ग्वालियर संभाग का सौभाग्य है।
मुनि श्री ने बताया कि राजा का जन्म प्रजा की रक्षा , प्रगति के लिये होता है। राज्य व्यवस्था प्रजा के हित में ही निहित होती है। आपने आचार्य श्री विद्यासागर महाराज पर टिप्पणी करने वाले सागर निवासी संतोष जैन पटना को संदेश देते हुए कहा कि उन्हें इसी मंच से सरल भावों के साथ क्षमायाचना करना चाहिए।
*वेदचन्द जैन*