विराग–विशुद्ध–विभा सभागार का शिलान्यास हर्षौल्लास के वातारण में हुआ
जिस धन का उपभोग कर लिया जाता है, वह मिट्टी समान हो जाता है, जबकि धर्मभूमि में लगाया गया धन अनंत गुना फल देता है।
गुरु मां गणिनी विभा श्री माताजी
कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में प.पू. गणिनी आर्यिका विभा श्री माताजी ससंघ के सान्निध्य में विराग–विशुद्ध–विभा सभागार का शिलान्यास रविवार प्रातः 9 बजे सम्पन्न हुआ। मुख्य शिलान्यास कमला बाई, रूपचंद जी एवं चेतनप्रकाश जी बंसल परिवार द्वारा किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में समाजजनों ने भाग लिया।
आर्यिका विभा श्री माताजी ने अपने प्रवचन में कहा कि धन का वास्तविक सदुपयोग तभी सार्थक है जब उसे धर्म एवं समाजहित में लगाया जाए। उन्होंने कहा कि जिस धन का उपभोग कर लिया जाता है, वह मिट्टी समान हो जाता है, जबकि धर्मभूमि में लगाया गया धन अनंत गुना फल देता है। माताजी ने मितव्ययिता का संदेश देते हुए कहा कि समाज के धन को उसी सावधानी से खर्च करना चाहिए जैसे व्यक्ति अपने घर की तिजोरी का करता है।
माताजी ने प्रतिदिन पुण्य संचय को जीवन का आवश्यक नियम बताते हुए कहा कि “बूँद–बूँद से घड़ा भरता है”, इसलिए सुबह–शाम नियमित पुण्य कार्य करते रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि आचार्य भगवान ने पुण्य के दो मुख्य कार्य बताए हैं—प्रतिदिन भगवान की पूजा और साधु–संतों की सेवा में दान। विगत 35 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी पारस जैन पार्श्वमणि ने बताया कि शिलान्यास के अवसर पर चेतन प्रकाश जी, रूपचंद जी बंसल परिवार, विनोद टौरड़ी, मनोज जैसवाल, राजमल पाटौदी, आशीष जैसवाल, महावीर अजमेरा सहित अनेक पुण्याजकों ने आयोजन में सहयोग दिया। पंडित जितेंद्र शास्त्री और स्वतंत्र भैया का सम्मान किया गया तथा भक्तामर महिला मंडल द्वारा पुस्तक का विमोचन किया गया।अनिल ठोरा ने पारस जैन “पार्श्वमणि” को बताया कि इस अवसर पर सकल सकल समाज के सरंक्षक राजमल पाटौदी,विनोद टोरडी,अध्यक्ष प्रकाश बज,महामंत्री पदम बडला,अनिल ठौरा, ताराचंद बडला, राजेन्द्र बज,अंकित जैन,दीपक डीसीएम,रितेश सेठी, अशोक पहाडिया,पारस आदित्य सहित कई लोग उपस्थित रहे।
प्रस्तुति
पारस जैन “पार्श्वमणि” पत्रकार
कोटा
9414764980














