परम पूज्य जगत गुरू कर्मयोगी स्वस्ति श्री चारूकीर्ति भट्टारक जी महास्वामी की स्मृति में अंतेवासी परम्पराचार्य श्री 108 प्रज्ञसागर जी मुनिराज के सान्निध्य तथा श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गजराज जैन गंगवाल की अध्यक्षता में एक विनयांजलि सभा का आयोजन श्री खण्डेलवाल दिगम्बर जैन मन्दिर 5 राजा बाजार नई दिल्ली.110001 में रविवार दिनांक 26 मार्च 2023 को अपराह्न 2ः00 बजे किया गया। विनयांजलि सभा मे ंदिगम्बर जैन समाज के अनेक महानुभाव प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जूम द्वारा उपस्थित हुये।
श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री पवन जैन गोधा ने उपस्थित महानुभावों का स्वागत करते हुये स्वर्गीय चारूकीर्ति भट्टारक स्वामी के जीवनए उनकी शिक्षाओं और उपदेशों पर प्रकाश डाला। स्वामी जी का व्यक्तित्व व कृतित्व सम्पूर्ण जैन समाज के लिये अनुकरणीय है। वे जीवनपर्यन्त जैन समाज के लिये कल्याणकारी कार्य करते रहे। श्री गोधा जी ने दिगम्बर जैन समाज से उनके आदर्शों व उपदेशों का अनुशरण करने का अनुरोध किया।
महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गजराज जैन गंगवाल ने अपनी तथा श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा की ओर से चारूकीर्ति भट्टारक जी को भावभीनी विनयांजलि अर्पित करते हुये कहा कि भट्टारक जी का दिनांक 23 मार्च 2023 को सम्यक समाधिमरण हुआ जो सम्पूर्ण जैन समाज के लिये अपूरणीय क्षति है। कर्मयोगी चारूकीर्ति जी का योगदान दिगम्बर समाज के लिये अमूल्य है। उन्होंने श्रवणबेलगोला में लगातार चार महामस्तकाभिषेक का सफल आयोजन किया। उन्होनें प्राकृत के अध्ययन एवं शोध हेतु प्राकृत विधापीठ की स्थापना श्रवणबेलगोला में किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने अनेक विद्यालयोंए महाविद्यालयों की भी स्थापना किया। नवनियुक्त भट्टारक जी के नेतृत्व मे दिगम्बर समाज नये कीर्तिमान स्थापित करेगाए ऐसा मेरा विश्वास है।
भट्टारक श्री चारूकीर्ति जी स्वंय प्रख्यात विद्वान थे। अनेक राजनेताओं से उनके निकट के संबध थे। वे सदैव निर्धन छात्रों व व्यक्तियों को आर्थिक मदद करते रहते थे। तीर्थ संरक्षिणी महासभा के वरिष्ठ राष्ट्रीय कार्याध्यक्षए श्री एमण्केण् जैनए चैन्नई ने श्री चारूकीर्ति जी को जूम द्वारा अपना श्रद्धा सुमन अर्पित किया। उन्होनें बताया कि श्री चारूकीर्ति जी प्राकृत के प्रकांड विद्वान थे। वे बाहुबली प्राकृत विद्यापीठ के राष्ट्रीय प्राकृत अध्ययन एवं संशोधन संस्थान श्री धवलतीर्थ श्री क्षेत्र श्रवणबेलगोला के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में जैन समाज अविस्मरणीय सेवा की।
प्रख्यात समाज सेविका एवं महिला महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्षाए श्रीमती सरिता जैनए चैन्नई ने जूम द्वारा महास्वामी जी की स्मृति में मंगल पाठ किया। उनके समाधिमरण से जैन समाज में एक शून्य हो गया है। उन्होंने श्री चारूकीर्ति जी व आचार्य विद्यानन्द जी के साथ व्यतीत अपना संस्मरण सुनाया। चारूकीर्ति जी ने कई मन्दिरों का जीर्णोद्धार कराया व निस्सहायों को आर्थिक मदद दिया। महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रकाशचन्द्र जैन बड़जात्या ने जूम द्वारा चैन्नई से भट्टारक श्री चारूकीर्ति जी को अपनी तथा महासभा की ओर से श्रंद्धा सुमन अर्पित किया। उन्होंने बताया कि महास्वामी जी करूणा पुंज थे। अपना सम्पूर्ण जीवन उन्हांेने दिगम्बर जैन समाज की उन्नति व सेवा में व्यतीत किया। ऐसे पावन चरित्र को मेरा कोटि शत श्रद्धंाजलि व नमन।
भगवान महावीर 2550वां निर्वाण महोत्सव समिति के प्रवक्ता श्री दीपक जैन ने विनयांजलि देते हुये कहा कि भट्टारक श्री चारूकीर्ति जी विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। उनके बहुमुखी व्यक्तित्व को शब्दों में बयां नही किया जा सकता। परमपिता उन्हें अपने चरणों में स्थान देंए ओम शांति।
दिगम्बर जैन महासभा के उपाध्यक्ष श्री पुनीत जैन ने विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये भट्टारक श्री चारूकीर्ति जी के साथ श्र्रवणबेलगोला में गत महामस्तकाभिषेक के अवसर पर बिताये स्वर्णिम क्षणों का विवरण संस्मरण के रूप में बताया। उनका असामयिक समाधिमरण सम्पूर्ण जैन जगत के ऊपर वज्र प्रहार है। इस अपूरणीय क्षति की पूर्ति असंभव है। कार्यकत्र्ताओं का सम्मान करनाएजरूरतमंद को आर्थिक सहायता प्रदान कराना उनकी दिनचर्या थी। उन्होनें कई महामस्तकाभिषेक का श्र्रवणबेलगोला में सफल आयोजन किया जिसमें देश के प्रधानमंत्री तथा अनेकानेक राजनेताओं ने भाग लिया। ऐसी महान विभूति को मैं अपनी संवेदना और श्र्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ।
विनयांजलि सभा में भट्टारक श्री चारूकीर्ति महास्वामी को श्री सुभाष जैनए श्री प्रमोद जैनए श्रीमती सुनीता काला जैनए श्री जितेन्द्र नरपतिया जीए श्री संजय जैनए श्री स्वराज जैन.टाइम्स ऑफ इण्डियाए श्री सौभाग्यमल कटारियाए श्री शरद कासलीवालए श्री धीरज कासलीवालए जुम के माध्यम से आचार्य श्री सुनिल सागर जी महाराजए श्रीमती सरिता जैनए डॉण् श्रेयांस जैनए श्री राजेश बीण् शाहए श्री कुमुद सोनीए श्री डीण्यू ठोल्याए श्री महावीर ठोल्याए श्री सुमेर कालाए श्री पवन ध्रुवाराए श्री बसन्त जैनए श्री नन्दकुमार कालेए श्रीमती इन्दिरा बड़जात्याए आदि ने भी अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये।
अंतेवासी परम्पराचार्य श्री प्रज्ञसागर जी मुनिराज ने विनयांजलि सभा को बताया कि आचार्य श्री विद्यानन्द जी महाराज ने भट्टारक श्री चारूकीर्ति जी को समाज में व्याप्त समस्यायों के निदान का ज्ञान दिया था।
आचार्यश्री की शिक्षा का प्रतिफल था कि चारूकीर्ति जी ने अनेक विद्यालयोंए महाविद्यालयों और बाहुबली प्राकृत विद्यापीठ के राष्ट्रीय प्राकृत अध्ययन एवं शोध संस्थान की स्थापना किया। उन्होनें कई जीर्ण.शीर्ण मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया। वे विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। उन्होनें कई बार साहित्यकारों व बुद्धिजीवियों का सम्मेलन आयोजित किया। जैन पांडुलिपि का संरक्षण तथा जैन धर्म के प्रचार.प्रसार के कार्य में वे अग्रगणी थे। प्रभु उन्हें अपने चरणों में स्थान देंएआचार्यश्री ने जैन धर्म के ख्यातिप्राप्त प्रकांड विद्वान श्री हुकुमचन्द जी भारिल्ल के निधन पर अपनी विनयांजलि अर्पित किया। ऐसी मेरी प्रभु से प्रार्थना है। मैं उन्हेें अपना मंगल आशीर्वाद देता हूँ।
- स्वराज जैन