विमल जयन्ति पर हुआ कृष्णानगर में आयोजन

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भिंड से सोनल जैन की रिपोर्ट

*विमल जयन्ति पर हुआ कृष्णानगर में आयोजन
आचार्य श्री विमर्श सागर जी कृत प्राकृत टीका” अप्पोदया “भी 09 वीं वर्षगांठ

* दिल्ली : कृष्णा नगर के जैन मंदिर में चातुर्मास प्रक्षालन एवं उनके कर कमलों में पुण्यार्जकों द्वारा कर रहे दिगम्बर जैन परम्परा के प्रभावी आचार्य, जिनागम भेंट किया गया। “अप्पोदय” की पूजा भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री विमर्श सागर जी भगवान महावीर स्वामी दिव्य वाणी जिनवाणी मुनिराज के अनुशासित चतुर्विध संघ कभी मंगल या जिनागम भी समय-समय पर आचार्य भगवंतों आराधना की गई। साथ ही वात्सल्य रत्नाकर आचार्य श्री विमलसागर जी गुरुदेव की भी अष्ट मंगल द्रव्यों से पूजन भी गई। फिर विनयाञ्जलि सभा रखी गई। जिसमें ग्वालियर से पधारी डॉ सानिध्य में आचार्य श्री आदिसागर परम्परा के द्वारा संरक्षण और संबंधन किया जाता रहा है। वे अल्पना जैन, एवं ब्रा. आशीष जैन द्वारा सर्वमान्य आचार्य श्री विमल सागर जी सभी आचार्य भगवन श्रुतलेखन की पावन परम्परा विनयाञ्जलि प्रस्तुत भी गई उपरान्त आचार्य श्री महामुनिराज की 109 वीं जन्म जयन्ति अनेक बल देते रहे हैं इसी आचार्यों की गौरव शाली विमर्शसागर जी महामुनिराज ने अपने उद्बोधन आयोजनों के साथ धूमधाम से मनाई गई। प्रातः परम्परा में शवीं सदी को अपने ज्ञान-लेखन और में कहा आचार्य श्री विमल सागर जी काल ठीक 8:30 पर धर्मसभा का शुभारंभ एक चर्चा से गौरवान्वित करने वाले महान दिगम्बर महामुनिराज पंचम काल में भी चतुर्थ कालीन मंगल गायन के साथ हुआ। पुण्यार्जन परिवारों ने जेनाचार्य भावलिंगी संत श्री विमर्शसागर जी महासिद्धियों को धारण करने वाले महत्संत थे। आचार्य श्री विमलसागर जी के चित्र के सन्मुरप गुरुदेव द्वारा सृनित एक हजार वर्ष प्राचीन श्री निमित्त ज्ञान शिरोमणि आचार्य भगवन्त के मुख से मंगल दीप प्रज्ज्वलित कर प्रकाश की परम्परा का योगसार ग्रन्थ पर प्राकृत भाषा में “अप्पोदय टीका निकले हुये वचन सिद्ध हो जाया करते थे। सन्ध्या समादर किया। उपरान्त पूज्य आचार्य श्री विमर्श की 9 वीं बर्षगांठ पर आचार्य श्री द्वारा लिखित बेला में आचार्य श्री विमल- सागर जी की 109 सागर जी महामुनिराज के पावन चरण कमलों का पाण्डुलिपियों की बड़ी ही भव्यता के साथ मंगल दीप थालों से मंगल आरती की गई। –

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