विकृति का विनास एवं विशुद्धि के विकास का नाम है दसलक्षण महापर्व: गुरु मां

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नाहरलागुन: परम पूज्य 108 श्री प्रमुख सागर जी महाराज की आज्ञानुवर्तिनी शिष्या 105 प्रतिज्ञा श्री माताजी, 105 प्रेक्षा श्री माताजी एवं क्षुल्लिका 105 परमशांता श्री माताजी का मंगल चातुर्मास अरूणाचल प्रदेश की राजधानी इटानगर के प्रमुख नगर नाहरलागुन में चल रहा है। चातुर्मास के तहत 1008 श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में अभिषेक शांतिधारा के बाद नित्य चल रहे प्रवचन में आज गुरु मां ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य के बुरे कर्मों के कारण विनाश काले विपरीत बुद्धि आती है। उस समय उसके पापों का उदय होता है। उस समय वह अच्छे कार्य भी करता है तो उसकी बुद्धि बुरे कार्यों की ओर दौड़ती है। इसलिए मनुष्य को अपने जीवन काल में सदैव अच्छे कार्य करते रहना चाहिए। गुरु मां ने कहा कि तप-त्याग-संयम का दस लक्षण महापर्व का शुभारंभ 08 सितंबर से होने जा रहा है और 17 सितंबर को इसका विधिवत समापन होगा। यह जानकारी अरूणमय पुष्प प्रमुख वर्षायोग समिति द्वारा दी गई है।

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