लाडनूं के जैन विश्व भारती में पांच भवनों का शिलान्यास
जैन विश्वभारती संस्थान के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने किया सम्माननीय मुख्यमंत्री अभिनन्दन
लाडनूं। (शरद जैन सुधांशु) मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा है कि केवल अच्छी सड़कें और इमारतें ही प्रदेश का पूर्ण विकास नहीं होता है, इसके लिए अच्छे विचारों का होना भी आवश्यक है। साधु-संत समाज को आगे बढाने का काम करते हैं। यह जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय शिक्षा के माध्यम से युवा पीढी को संस्कारित करने का काम कर रहा है। यहां व्यावसायिक शिक्षा ही नहीं बल्कि मानव को मानव बनाने की शिक्षा को प्रमुखता दी जाती है। देश को इसी से विश्वगुरू बनाने की तरफ बढा जा सकता है। वे यहां जैन विश्व भारती स्थित सम्पोषणम् हाॅल में आयोजित शिलान्यास समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने अपने सम्बोधन में आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ एवं आचार्य महाश्रमण और उनके विचारों व समाज हित में किए जा रहे कार्यों का उल्लेख विस्तार से किया और कहा कि कहा कि मानव समाज की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना के जागरण का काम किया। उनका सम्बोधन पूरी तरह जैन विश्व भारती, विश्वविद्यालय एवं आचार्यों की परम्परा पर केन्द्रित रहा।
एक महान सोच से बनी जैन विश्व भारती
मुख्यमंत्री शर्मा ने आचार्य तुलसी प्रणीत अणुव्रत आंदोलन की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने इस माध्यम से सिद्धांत पक्ष को व्यावहारिक बनाया। जैन विश्व भारती भी मानव कल्याण की मूल भावना से संस्कृति के संरक्षण का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत शिक्षा केन्द्रों व शिक्षा देने वाले देश के रूप में जाना जाता रहा है। नालंदा विश्वविद्यालय में देश-विदेश के विद्यार्थी-शिक्षार्थी शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फिर से नालंदा विश्वविद्यालय को नया जीवन देकर पुरातन संस्कृति को बहाल करने का काम किया है। इस जैन विश्व भारती की स्थापना के पीछे भी महान सोच रही है। यहां शोध का काम किया जाता है। जैन दर्शन के लिए किया रहे शोध की चर्चा सभी जगह है। उन्होंने बताया कि वे लाडनूं में यहां दूसरी बार आए हैं। पहले वे भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में आए थे, तो देखा कि लाडनूं में इतना भव्य व दिव्य संस्थान मौजूद है। यहां प्राचीन भाषा व लिपियों का कार्य, ध्यान, योग और प्राच्य विधाएं इसकी पहचान बनी हुई है।
अणुव्रत अपने आप में शक्तिशाली
समारोह के विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय विधि मंत्री एवं जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलाधिपति अर्जुनराम मेघवाल ने भी जैविभा विश्वविद्यालय की सराहना की और कहा कि यहां करीब 7-8 करोड़ की लागत से नेचुरोपैथी सेंटर बनाया गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि इसमें नेचुरोपैथी के सब्जेक्ट शुरू करने के लिए राज्य सरकार एनओसी प्रदान करे। इस पर मुख्यमंत्री ने बैठे-बैठे ही अपनी सहमति दे दी। केन्द्रीय मंत्री ने आचार्य तुलसी केे कर्तृत्व की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने सन् 1949 में अणुव्रत गीत लिखा था, ‘संयममय जीवन हो…।’ मेघवाल ने इस गीत की दो पंक्तियां गाकर प्रस्तुत की और उसका महत्व बताया। उन्होंने कहा कि अणुव्रतों को आचार्य तुलसी अणुबम से अधिक शक्तिशाली मानते थे और यह सच्चाई भी है।
शीघ्र शुरू होगा नेचुरोपैथी कोर्स
जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने बताया कि देश में जब कहीं भी योग का विषय नहीं था, तब 1987 में यह पहला विश्वविद्यालय था, जिसने योग विभाग की अलग से स्थापना की। इसी तरह से अहिंसा व शांति विभाग भी पहली बार यहां स्थापित किया गया। यहां प्राकृतिक चिकित्सा पर पाठ्यक्रम प्रारम्भ किया जाएगा तथा आयुर्वेद व होमियोपैथी पर शिक्षा देने का काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय अनुशास्ताओं आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ व आचार्य महाश्रमण की दूरदृष्टि की देन है। यहां मूल्य आधारित शिक्षा पर जोर दिया जाता है। यह संस्थान व्यक्तित्व निर्माण के लिए जाना जाता है। यह छोटा अवश्य है, लेकिन देश भर में प्रतिष्ठा कायम कर रखी है। मुख्य वक्ता पत्रिका समूह के डा. गुलाब चंद कोठारी ने केवल अपने लिए काम करने में नहीं बल्कि सबके हित के लिए काम करने में ही जीवन की सार्थकता बताई। उन्होंने कहा कि बीज जब अपना अस्तित्व छोड़ता है, तो वह बड़ा पेड़ बन सकता है। कोई भी पेड़ अपना फल स्वयं नहीं खाता, जो अपना फल खाए, वह किसी को क्या देगा। व्यक्ति को पेड़ की तरह देने में अपने जीवन की सार्थकता रखनी चाहिए, लेने में नहीं। उन्होंने सभी से अपील की कि हमें विकास करना चाहिए, बड़ा पेड़ बनना चाहिए और लोगो में खूब बांटना चाहिए। लेकिन साथ ही अपनी जड़ों को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। जो अपनी जड़ छोड़ देता है, उसका अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है। डा. कोठारी ने जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय में सभी धर्म व दर्शनों का अध्ययन आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने किया भामाशाहों का सम्मान
मुख्यमंत्री ने पांच भवनों के लिए भूमिपूजन व शिलान्यास किया। समारोह में उन्होंने इस भवनों के दामदाताओं भागचंद बरड़िया, रमेश चंद बोहरा, राकेश बोहर, रचना बोहरा, नवीन बैंगानी, गणेशमल बोथरा आदि का शाॅल ओढा कर सम्मान किया। समारोह में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ केन्द्रीय मंत्री व जैविभा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति अर्जुनराम मेघवाल, कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़, पत्रिका समूह के सम्पादक डा. गुलाबचंद कोठारी व जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनसुख सेठिया मंचस्थ रहे। कार्यक्रम में राजस्थान सरकार में मंत्री विजयसिंह चैधरी व मंजू बाघमार, भाजपा के प्रदेश अपाध्यक्ष व पूर्व केन्द्रीय मंत्री सीआर चौधरी, प्रदेश उपाध्यक्ष डा. ज्योति मिर्धा, प्रदेश मंत्री विजेन्द्र पूनिया, जिला प्रमुख भागीरथ चौधरी, महिला मोर्चा की वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष सुमित्रा आर्य आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सलिल लोढ़ा ने किया।
कार्यक्रम के बाद उन्होंने जैन विश्व भारती के महाश्रमण विहार में विराजित संतों के दर्शन किए। परिसर में मुख्यमंत्री ने वृक्षारोपण किया और सेमल का पेड़ लगाया। बाद में वे विश्वविद्यालय में आए और व्यवस्थाएं देखी। वहां कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने उनका भावभीना स्वागत किया। कुलपति से उन्होंने विश्वविद्यालय के विकास पर चर्चा की। आचार्य महाश्रमण आडिटोरियम में आयोजित भाजपा की जिला स्तरीय बैठक में भाग लेने के बाद मुख्यमंत्री हेलिकॉप्टर से जयपुर के लिए वापस रवाना हो गए।
प्रेषक : शरद जैन सुधांशु, लाडनूं (राज)