विज्ञान सुविधा देता है और धर्म संस्कार*- *प्रो अनेकांत

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(श्रीलालबहादुरशास्त्री केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में योगविज्ञानविभाग द्वारा आयोजित ज्ञान सभा में जैन धर्म और विज्ञान पर गोष्ठी )
नई दिल्ली ,29फरवरी 24,श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय(केंद्रीय) संस्कृत विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग में प्रो . वीरसागर जैन जी की अध्यक्षता में क्रमिक रूप से चलती आ रही ज्ञान सभा का भव्य आयोजन किया गया । जिसमें सर्वप्रथम प्रतिभा मिश्रा जी के संयोजन में शोधार्थी निशा द्वारा मंगलाचरण किया गया तथा कार्यक्रम को अग्रसित करते हुए सभा में उपस्थित अनेक गुणों तथा पुरस्कारों से शोभायमान मुख्य वक्ता प्रो. अनेकांत कुमार जैन जी के द्वारा “जैन दर्शन में विज्ञान” इस विषय पर विशेष व्याख्यान दिया गया जिसमें  प्रो.अनेकांत कुमार जैन जी ने जैन दर्शन और विज्ञान का एक अनूठा तालमेल बताते हुए दर्शन और विज्ञान एक ही सिक्के के दो पहलू हैं तथा दर्शन का अर्थ तत्त्वज्ञान है  इस विषय को श्रोताओं के मध्य बहुत ही सूक्ष्मता से रखा साथ ही आचार्य जी ने इस विषय को एक सूत्र में पिरोते हुए बहुत ही सरलता से यह समझाया कि धर्म के क्षेत्र में ही विज्ञान का पल्लवन हुआ है तथा धर्म एक विवेक है और विज्ञान शक्ति है ।बिना विवेक के शक्ति आत्मघाती होती है । विज्ञान हमें सुविधाएं देता है तथा धर्म हमें संस्कार देता है बिना संस्कार के सुविधाएं व्यर्थ हैं । धर्म के बिना विज्ञान और विज्ञान के बिना धर्म – दोनों अधूरे हैं । उन्होंने कहा कि गणित के क्षेत्र में जैन महावीराचार्य ने , आचार्य यतिवृषभ,आचार्य वीरसेन ने जो योगदान दिया है वह आधुनिक गणित को आश्चर्य में डालता है । उन्होंने जैन दर्शन की द्रव्यमीमांसा और आचार मीमांसा की तुलना आधुनिक विज्ञान से करते हुए कई तथ्य उद्घाटित किये । आचार्य जी ने जैनदर्शन और विज्ञान परिपोषित कई आधुनिक ग्रंथों तथा शोध पत्रिकाओं से भी सभी को अवगत कराया तथा अपना अमूल्य समय देकर विद्यार्थियों का ज्ञानावर्धन किया। अंत में लक्ष्मी भगत जी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ ज्ञान सभा का सफल समापन हुआ।
इस कार्यक्रम का कुशल आयोजन  योग विज्ञान विभाग के आचार्य डॉ विजय घोसाई जी ने किया तथा प्राकृत विभाग की प्रो कल्पना जैन ,योग विज्ञान विभाग के डॉ रमेश तथा अनेक अध्यापक एवं शोधार्थी उपस्थित हुए । जैन दर्शन विभाग के सभी शोधार्थियों की भी उपस्थिति  महत्त्वपूर्ण रही ।
– रितिका पाल,शोधार्थी

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