विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविंद जैन भोपाल —-डॉक्टर धर्मवीर भारती पुरस्कार से सम्मानित

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के .बी हिंदी सेवा न्यास द्वारा षटम अंतरराष्ट्रीय सम्मान डॉक्टर अरविंद जैन भोपाल को डॉ धर्मवीर भारती स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को जबलपुर में हुआ था .उन्होंने बी ए एम् एस की परीक्षा प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान में पास का जबलपुर विश्वविद्यालय द्वारा स्वर्णपदक से १९७४ में सम्मानित किया गया .वर्ष १९७४ से २०११ तक मध्य प्रदेश शासन में विभिन्न पदों में कार्यरत करते हुए ३७ वर्षों से अधिक सेवा देकर उपसंचालक पद से सेवा निर्वत्त हुए सेवा निवृत्ति के उपरांत एकाकी जीवन में साहित्य को अपना सहारा बनाया और दिन रात लेखन कार्य में लगे रहते हैं —
1 .इसी क्रम में “भक्ति की शक्ति “पुस्तिका पिताजी स्वर्गीय श्री प्रेमचंद जैन की१०० वी जन्म तिथि पर प्रकाशित की .
२ इसके बाद उनके मित्र श्री नितिन जैन की प्रेरणा से “आनंद कही अनकही “आत्म कथा रुपी उपन्यास अनवरत ३७ दिनों में लगभग ४९० पृष्ठों का लिखा जिसमे सामान्य जनो को विपरीत स्थिति में कैसे जिया जाय .इसकी द्वितीय संस्करण भी प्रकशित हुआ.
३ “चार इमली”एक व्यंग्यात्मक कृति हैं जो बहुत चर्चित रही और जिसका द्वितीय संस्करण प्रकाशित हुआ .
४ “चौपाल “यह एक ग्रामीण परिवेश का घटनाक्रम चार- पाल के माध्यम लिखा गया हैं . ५” चतुर्भुज “जन और तंत्र का वास्तविक स्वरूप बहुत करीने से लिखा गया जो आज भी प्रचलन में हैं लेखक ने बहुत अच्छे ढंग से पिरोया हैं
६ “चेतना का चातक “इस कृति में लेखक द्वारा आयुर्वेद ,स्वास्थ्य ,सामाजिक मानसिक ,पहलुओं पर समय समय में प्रकशित लेखों का अमूल्य संग्रह को अत्यंत लोकोपकारी हैं .
७ “सुहाना सफर एवं अन्य ५० कहानियां ” लघु कथा काअनूठा संग्रह हैं .
८ “परिषह जयी”मुनियों की निराकुल चर्या का विवरण बहुत ही अनुपम ढंग से प्रस्तुत की
९ “स्वस्थ्य एवं सुखी जीवन के अनमोल सूत्र “वर्ष २०२२ में ९०० पृष्ठों की पुस्तक प्रकाशित
वर्ष १९८५ से लगभग ४० वर्षों से अहिंसा शाकाहार जीव दया के क्षेत्र में निःस्वार्थ भाव से बहुत काम कर रहे हैं और “शाकाहार -जाग्रति” समाचार पत्र का संपादन और संरक्षक रहे .इसके अलावा डॉक्टर अरविन्द जैन विगत ३३ वर्षों से निःशुल्क आयुर्वेद परामर्श के साथ उपलब्ध औषधियां देते हैं .उनके द्वारा श्री जैन मंदिर पटनागंज रहली सागर ,श्रीआदिनाथ जैन मंदिर नारायणनगर भोपाल ,श्री दिगंबर हबीबगंज जैन मंदिर भोपाल के अलावा दिगम्बर जैन मंदिर पिम्पले सौदागर ,पुणे में भी सहयोग देकर पुण्यार्जन किया .डॉक्टर अरविन्द जैन को आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ,आचार्य आर्जव सागर जी महाराज ,आचार्य निर्भय सागर जी महाराज ,श्री विराग सागर जी महाराज ,,आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज,आचार्य प्रमुख सागर जी महाराजके अलावा मुनि श्री मार्दव सागर जी महाराज ,,श्री प्रमाण सागर जी महाराज श्री विनम्र सागर जी महाराज ,के अलावा अनेकों मुनि श्री का आशीर्वाद प्राप्त हैं .
इसके अलावा डॉक्टर जैन के सैकंडों की संख्या में लेख पत्र ,पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होते रहते हैं जो सामाजिक ,राजनैतिक ,धार्मिक ,शाकाहार अहिंसा ,जीव दया ,स्वास्थ्य आयुर्वेद ,व्यंग्य ,समसामयिक चिंतन, विवेचन के साथ के अलावा नीति शास्त्र के साथ कविताओं में भी लिखे गए हैं .
समय समय पर कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया हैं .
मृत्यु उपरांत अपने अपनी देह दान कर दिया हैं
वर्ष २०१५ से आपके साहित्य का प्रकाशन हुआ और इतनी अल्प अवधि में आपकी उपलब्धियां प्रशंसनीय हैं
1 .इसी क्रम में “भक्ति की शक्ति “पुस्तिका पिताजी स्वर्गीय श्री प्रेमचंद जैन की१०० वी जन्म तिथि पर प्रकाशित की .
२ इसके बाद उनके मित्र श्री नितिन जैन की प्रेरणा से “आनंद कही अनकही “आत्म कथा रुपी उपन्यास अनवरत ३७ दिनों में लगभग ४९० पृष्ठों का लिखा जिसमे सामान्य जनो को विपरीत स्थिति में कैसे जिया जाय .इसकी द्वितीय संस्करण भी प्रकशित हुआ.
३ “चार इमली”एक व्यंग्यात्मक कृति हैं जो बहुत चर्चित रही और जिसका द्वितीय संस्करण प्रकाशित हुआ .
४ “चौपाल “यह एक ग्रामीण परिवेश का घटनाक्रम चार- पाल के माध्यम लिखा गया हैं . ५” चतुर्भुज “जन और तंत्र का वास्तविक स्वरूप बहुत करीने से लिखा गया जो आज भी प्रचलन में हैं लेखक ने बहुत अच्छे ढंग से पिरोया हैं
६ “चेतना का चातक “इस कृति में लेखक द्वारा आयुर्वेद ,स्वास्थ्य ,सामाजिक मानसिक ,पहलुओं पर समय समय में प्रकशित लेखों का अमूल्य संग्रह को अत्यंत लोकोपकारी हैं .
७ “सुहाना सफर एवं अन्य ५० कहानियां ” लघु कथा काअनूठा संग्रह हैं .
८ “परिषह जयी”मुनियों की निराकुल चर्या का विवरण बहुत ही अनुपम ढंग से प्रस्तुत की
९ “स्वस्थ्य एवं सुखी जीवन के अनमोल सूत्र “वर्ष २०२२ में ९०० पृष्ठों की पुस्तक प्रकाशित
डॉक्टर अरविंद जैन के उपन्यास “आनंद कही अनकही “एवं “चार इमली “के द्वितीय संस्करण भी प्रकाशित हो चुके हैं जो उनकी साहित्य सर्जन को इंगित करता है.डॉक्टर अरविंद जैन को हिंदी के विकास,उन्नयन ,संपादन ,साहित्य, कला संस्कृति शैक्षणिक ,योग रंगमंच एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय ,एवं सराहनीय भूमिका हेतु सम्मानित किया गया है बधाई
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३

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