विद्वानों का आगमन शातिशय पुण्य का उदय है। – मुनि श्री आदित्य सागर महाराज

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भीलवाड़ा, 2 दिसंबर- श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर ट्रस्ट आरके कॉलोनी के तत्वाधान में श्रुत संवेगी मुनिश्री आदित्य सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में श्रीमद् दिगंबर जैनाचार्य राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी 1 दिसंबर से 2 दिसंबर को सफलतापूर्वक संपन्न हुई।
शुरुआत में दीप प्रज्वलन कर मंगलाचरण किया गया।
    मुनिश्री आदित्य सागर महाराज संबोधित करते हुए कहा कि सामूहिक पुण्य के उदय से ज्ञान का दीपक प्राप्त हुआ है। विद्वानों का भीलवाड़ा नगर में आगमन शातिशय पुण्य का उदय है। वस्तु का अभाव में वस्तु की कीमत होती है। विद्वानों के ज्ञान का आदान-प्रदान करने के लिए जगह-जगह संगोष्ठी की जाती है। उन्होंने कहा कि जिन दर्शन की रक्षा के लिए जैन सिद्धांत को आगे बढ़ाना है। प॓थ आग्रह को छोड़कर सिद्धांतों को महत्व देना है। उन्होंने कहा कि सगोष्टी मंगलकारी है, निरंतर चलती रहनी चाहिए। विद्वानों के मार्गदर्शन से युवा विद्वानों की संगोष्ठी होना चाहिए।
डॉ श्रेयांश जैन बड़ौत ने कहा कि मुनि श्रीआदित्य सागर महाराज नवीन विचारों के प्रतिभा है। मुनि परंपरा हमेशा जीवंत करने के लिए आचार्य शिरोमणि श्री शांति सागर जी महाराज के बताइए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए।
डॉक्टर कमलेश जैन ने कहा कि आध्यात्मिक साधना के बल से ही भारत देश जगतगुरु बन सकता है। पंडित विनोदक कुमार जैन ने कहा कि करुणा, वात्सल्य, प्रेम के धनी मुनिश्री आदित्य सागर जी महाराज का ज्ञान आचार्य कुंदकुंद भगवान के समान वृद्धि होती रहे, आगे मोक्षगामी बने।
संगोष्ठी में निर्देशकडॉक्टर श्रेयांश कुमार जैन बड़ौत , डॉक्टर शीतल चंद जैन जयपुर, डॉक्टर श्रियांश कुमार जैन जयपुर, डॉक्टर आशीष कुमार जैन सागर, ब्रह्मचारी अनिल भैया जयपुर, डॉक्टर नरेंद्र कुमार जैन टीकमगढ़, ब्रह्मचारी धर्मेंद्र भैया जयपुर, संयोजक पंडित विनोद कुमार जैन रजवास, डॉक्टर सुनील कुमार जैन ललितपुर, डॉक्टर कमलेश कुमार जैन जयपुर, डॉक्टर बाहुबली कुमार जैन इंदौर, डॉक्टर पंकज कुमार जैन इंदौर, डॉक्टर आशीष कुमार जैन दमोह, डॉक्टर सोनल कुमार जैन दिल्ली, पंडित राजेंद्र कुमार जैन महावीर सनावद, डॉक्टर शिखर चंद जैन दिल्ली, पंडित अमित कुमार जैन मडदेवरा एवं अविरल जैन भीलवाड़ा ने श्रीमद् दिगंबर पूर्वाचार्य के व्यक्तित्व एवं कर्तव्य विषय पर अपने-अपने आलेखो पर विचार प्रकट किये।
समापन पर बाहर से आए सभी विद्वानों का माल्यार्पण कर, शाल उढ़ाकर, मोमेंटो देकर भावभिना सम्मान किया गया।

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