वर्धमानपुर शोध संस्थान की पहल पर

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दो शीर्ष संतों के सानिध्य में हुआ आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज के डाक टिकट का पुनः लोकार्पण।
इंदौर। आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज देश के एक ऐसे संत हुए जिन्होंने अत्यंत विकट परिस्थितियों में दिगम्बरत्व को धारण करके भारत की मूल अहिंसा विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य किया वहीं उन्होंने दीक्षा देकर दिगम्बर मुनि बनने की परंपरा को पुनः जीवित किया। उनके समकालीन आचार्य में आचार्य श्री शान्तिसागर जी (छाणी) और आचार्य श्री आदि सागर जी (अकलीकर) हुए हैं। आज जितने भी दिगम्बर जैन मुनि राज विचरण करते हुए सत्य अहिंसा धर्म की प्रभावना कर रहे हैं यह सब इन्हीं आचार्य भगवंत की देन है।
ऐसे परम उपकारी दिगम्बर जैनाचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज के सम्मान में उनके १००वें आचार्य पदारोहण वर्ष (शताब्दी वर्ष) पर भारत सरकार के डाक विभाग द्वारा हाल ही में एक विशेष डाक टिकट जारी किया गया था। जिसका पुनः लोकार्पण समारोह  विश्व वन्दनीय, युग दृष्टा आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनि राज के परम प्रभावक शिष्य शंका समाधान प्रवर्तक मुनि श्री प्रमाण सागरजी महाराज एवं विनम्र वाणी के उद्घोषक मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में इंदौर एवं देपालपुर पंच कल्याणक महोत्सव समारोह में बदनावर के वर्द्धमानपुर शोध संस्थान के सदस्यों के द्वारा करवाया गया। जिसमें शोध संस्थान के संयोजक ओम पाटोदी, श्रीमती कीर्ति पाटोदी, स्वप्निल जैन, अभय संघवी जैनिज्म फिलेटेलिक सोसायटी, धर्म प्रभावना समिति, विनम्र वाणी परिवार एवं सद्भावना परमार्थीक न्यास के सदस्य उपस्थित थे।
उक्त जानकारी देते हुए जैनिज्म फिलेटेलिक सोसायटी के ओम पाटोदी एवं जयंत डोसी ने बताया कि यह डाक टिकट जैन तीर्थ होम्बुज मठ के भट्टारक स्वस्ति श्री देवेन्द्र कीर्ति स्वामी जी के आशीर्वाद एवं जैनिज्म फिलेटेलिक सोसायटी भारत के वरिष्ठ उपाध्यक्ष महावीर कुंदुर हुबली के अथक प्रयासों से जारी हुआ। स्वामी जी की भावना के अनुसार देश के हर शहर, नगर, गांव जहां पर मुनि संघ आर्यिका माताजी विराजमान हैं उन सभी जगह से इस डाक टिकट का लोकार्पण किया जाएगा।
कार्यक्रम का संयोजन ब्रम्हचारी श्री अनिल भैय्याजी, अशोक भैय्याजी एवं तरुण भैय्याजी जी ने किया। कार्यक्रम में श्री निर्मल कुमार पाटोदी, जयंत डोसी, अभय पाटोदी, श्रीमती ऋषिका चर्चित पाटोदी, आशीष जैन, संतोष मामाजी, प्रांजल जैन का विशेष सहयोग रहा।

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