मुरैना (मनोज जैन नायक) पर्यूषण पर्व की दस दिवसीय श्रृंखला में निरंतर धर्मों के दस लक्षणों की आराधना की जा रही है । इसी कड़ी में आज गुरुवार को सभी जैन धर्मांवलियों ने उत्तम त्याग धर्म की आराधना करते हुए श्री आदिनाथ भगवान का अभिषेक, शांतिधारा करते हुए अष्टद्रव्य से पूजन किया ।
इस अवसर पर मंदिर कमेटी के पूर्व मंत्री पदमचंद जैन चैटा वालों ने उत्तम त्याग धर्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिस बस्तु की या जिस चीज की हमें आवश्यकता नहीं हैं, उसे त्यागना या छोड़ देना ही उचित है । हमें अपने अंतरंग के विकारों को, मोह माया लोभ को त्यागना ही होगा, तभी जम संयम की साधना के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं। यदि हमने फालतू की बस्तुओं का, बुरे विचारों का त्याग नहीं किया तो यूहीं इस संसार सागर में गोते लगाते रहेंगे ।
आज उत्तम त्याग धर्म के अवसर पर सभी श्रावकों ने अपनी शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार किसी न किसी बस्तू का त्याग किया । नगर के श्रावक श्रेष्ठी अनिल जैन बरेह बालों ने श्री जिनेंद्र प्रभु को साक्षी मानकर जिंदगी भर के लिए (आजीवन) रात्रि में चारों प्रकार के आहार का त्याग किया । यानि कि वे आजीवन सूर्य अस्त के बाद किसी भी प्रकार की कोई खाद्य सामग्री, अन्न, पेय पदार्थ, जूस अथवा जल आदि को ग्रहण नहीं करेंगे । नवीन जैन चैटा बालों ने एक वर्ष के लिए दिन में केवल दो बार अन्न ग्रहण का नियम लिया । पदमचंद जैन ने एक साल के लिए दही बड़ा का त्याग किया । सभी उपस्थित भक्तों ने अनिल जैन एवं अन्य सभी त्याग करने वाले व्यक्तियों के पुण्य की खूब खूब अनुमोदना की।
आज प्रथम जिनाभिषेक अनिल जैन बरेह वाले, प्रथम शांतिधारा प्रवीण, नवीन, दीपक जैन एवं द्वितीय शांतिधारा संजीव जैन (रतिराम पुरा) को करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।
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