उत्तम त्याग धर्म –
ष्अजमेर 4 सितम्बर, 2025 अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा अजमेर संभाग के महामंत्री कमल गंगवाल व संभाग संयोजक संजय कुमार जैन ने बताया कि दिगम्बराचार्यो ने कहा कि – जो वस्तु अपनी नहीं है उसमें ‘मेरा’ पन छोडना, त्याग कहलाता है । वह त्याग जब सम्यगदर्षन के साथ होता है, तब उत्तम त्याग धर्म कहलाता है । कई जगहों पर त्याग को दान के पयार्यवाची शब्द की तरह प्रयोग किया जाता है । परन्तु दोनो में कुछ अन्तर इस प्रकार है: त्याग पर (दूसरी) वस्तु की मुख्यता किया जाता है दान अपनी वस्तु की मुख्यता से किया जाता है पर वस्तु हमारी न थी, न है और न होगी । हमने मात्र अपने ज्ञान में उसको मान रखा है । त्याग मात्र उसे अपना मानना छोडना के भाव का नाम है ।पण्डित द्यानतराय जी ने दान चार प्रकार का चार संघ को दीजिये । धन, बिजुली उनहार, नर भव लाहो लीजिये। आहार दान, औषधि दान, अभय दान और ज्ञान दान । धन तो बिजली की चमक के सामने नाषवान है । अतः मनुष्यभव में इसका दानदेकर लाभ ले लेना चाहिये। आगे पण्डितजी लिखते है – जिस प्रकार कुंए का जल यदि प्रयोगमें नहीं आये तो, सड जाता है उसी प्रकार यदि घर में धन एकत्रित हो जाए और उसे श्रेष्ठ कार्य में नहीं लगाये तो वह नष्ट हो जाता है।
अनन्त चर्तुदर्षी 6 सितम्बर को जैन प्रतिष्ठान बंद रहेंगें ।
गंगवाल व जैन ने बताया कि दसलक्षण धर्म की श्रृंखला के अन्तर्गत 6 सितम्बर को अनन्त चर्तुदर्षी पर्व एंव भगवान वासुपूज्य स्वामी का मोक्ष कल्याणक दिवस के अवसर सभी जिनालयो में निर्वाण मोदक लाडू चढाया जायेगा । इस दिन सभी श्रावक-श्राविकायें व्रत, उपवास करते है विषेष पूजा अर्चना करते है तथा सांय 4 बजे सभी नसियांजी में कलषाभिषेक सम्पन्न होते है एवं जैन धर्मावलम्बी अपने अपने प्रतिष्ठान बंद कर धर्म की प्रभावना करते है।
संजय कुमार जैन संभाग संयोजक 9828173258