उत्तम शौच का अर्थ है पवित्रता। आचरण में नम्रता, विचारों में निर्मलता लाना ही शौच धर्म है।

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महावीर नगर विस्तार योजना दिगंबर जैन मंदिर में आज प्रातः 7:00 बजे बहुत ही भक्ति भावपूर्ण से अभिषेक एवं शांतिधारा की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। भगवान को अपने मस्तक पर रख कर लेकर जाने  एवं पांडुशीला पर विराजमान कर अभिषेक एवं शांतिधारा करने का पुण्यार्जन
 निर्मल कुमार -मधुबाला ,  अनुराग ,सरिता, आरव , महित सेठी,
पवन (C.A.)-निशा  सेठिया परिवार
महावीर प्रसाद -कमलेश  अनुल जैन गोयल परिवार शांतिधारा की गई ,   मंदिर के अध्यक्ष सिद्धार्थ हरसोरा एवं महामंत्री पारस जैन ने बताया आज मंदिर में  पुष्पदंत भगवान  का मोक्ष निर्माण लाडू  सोनम जैन द्वारा  चढ़ाया गया, और उसके बाद सायकालीन पंडित सुनील जी शास्त्री के प्रवचन हुए उन्होंने उत्तम सोच धर्म के बारे में बताया की,
उत्तम शौच का अर्थ है पवित्र हो जाना ,आचार्य ने कहा है कि यदि पवित्र बनना है तो हमारे लिए लोभ कषाय को दूर करना होगा व्यक्ति सोचता है गंगा जमुना आदि नदियों में नहाने से, कर्म क्षय हो जाते हैं और पवित्र हो जाते हैं ,परंतु यह हमारी भूल है, जब तक हम अपने अंदर रत्नत्र्य को अंगीकार नहीं करेंगे तब तक यह शरीर पवित्र नहीं माना जा सकता क्योंकि यह शरीर  ऊपर से भले ही अच्छे दिखें पर अंदर तो पवित्रता ही है इसलिए उत्तम शौच धर्म को साधु ग्रहण करते हैं और साधु के साथ-साथ श्रावक को भी अपने आपको पवित्र बनाने का प्रयास करना चाहिए , महावीर नगर विस्तार जैन मंदिर में रात्रि आचार्य विद्यासागर जी महाराज पर लघु नाटिका बच्चों द्वारा प्रस्तुत की गई, इस अवसर पर मंदिर समिति के सांस्कृतिक कार्यक्रम के सदस्य प्रदीप , श्रेयांश , मुकेश सावला, नितिन लंबावास एवं अन्य सदस्य उपस्थित रहे

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