उत्तम संयम धर्म

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व्रतो को धारण करना मन की कसाइयों का त्याग करना है उत्तम संयम धर्म है
13 सितंबर शुक्रवार 2024 जैन मुनि श्रुतेशसागर जी ने महाराज
शांति वीर धर्म स्थल पर पयुषण पर्व में 1008 आदिनाथ भगवान का इंद्र इंद्र मंडल विधान श्रीफल चढ़ाए गए

मन में मनुष्य के कसाई होने से उसका स्वरूप बिगड़ जाता है दूसरे के प्रति मन में विचार बुरे उत्पन्न करना ही मुनि ने कसाई बताया है
बिना संयम का मनुष्य पशु के समान है जीवन में मनुष्य ही संयम ले सकता है देवों में भी संयम नहीं मिलता संयम के बिना मनुष्य की गाड़ी बिना ब्रेक वाली गाड़ी होती है
बिना संयम धर्म के खाली खोखे होता है इस प्रकार मनुष्य का जीवन 84 लाख योनि के बाद मनुष्य जीवन प्राप्त हुआ है
इंद्रियों पर संयम करना ही संयम धर्म है
क्षुल्लक सुप्रकाश जी सागर महाराज ने बताया संयम धर्म दो प्रकार का होता है ,प्राणी संयम इंद्रिय संयम जिओ पर दया करना व्रत को धारण करना भाव को ग्रहण करना यह सब संयम धर्म है
मनुष्य में इंद्रियों के भोग के संस्कार पड़े हुए हैं इसलिए वह संयम धर्म ही नहीं करना चाहता इसे ग्रहण करने से मनुष्य को बहुत फायदे हैं
राजुल महिला मंडल ने भव्य प्रस्तुतियां दी
शांति वीर धर्म स्थल पर रात्रि 7:30
आधुनिक बच्चों की वेशभूषा की प्रस्तुति दी
चंदनबाला को हथकड़ी में झगड़ा गया मुनि के आहार की भावना बनाने पर चौका लगाने पर चंदनबाला की हथकड़िया टूट गई
स्वस्ति भूषण माताजी के नाम पर छोटी बालिका ने हाथ में पिछी लेकर सफेद वस्त्र धारण करके माताजी रूप के अंदर शहर में भ्रमण किया मंच पर विधि विधान करके माताजी का आहार कराया
महावीर कुमार जैन सरावगी
दिगंबर जैन समाज प्रवक्ता

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