उन्हें याद करें, जो घर नहीं लौटे मुनि श्री अक्षयसागर जी महाराज

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सदियों की गुलामी के पश्चात् 15 अगस्त सन् 1947 के दिन  भारत देश आजाद हुआ था। पहले हम अंग्रेजों के गुलाम थे। उनके बढ़ते हुए अत्याचारों से सारे भारतवासी त्रस्त हो गए और तब विद्रोह की ज्वाला भड़की और भारत देश के अनेक वीरों ने प्राणों की बाजी लगाई और अंतत: आजादी पाकर ही चैन लिया। सदियों के त्याग और बलिदान , राष्ट्र के बलिदान की बेदी पर हंसते-हंसते चढ़ने वाले, कुछ मानव पुष्पों के समर्पित होने के बाद, गुलामी की जंजीर टूट गई और पंद्रह अगस्त  को हमारी स्वतंत्रता की प्रथम उषा बेला का आगमन हुआ।
राष्ट्रध्वज हमारे यश, मान, स्वतंत्रता और आदर्श का चिह्न है :  जिन भवनों और इमारतों पर 15 अगस्त के पूर्व तिरंगा झंडा लगाने का हमें अधिकार नहीं था, पंद्रह अगस्त को उन्हीं पर ध्वजारोहण हुआ। दिल्ली का लाल किला, 1857 का विजय स्मारक, असेम्बली का भवन और वाइसराय का भवन कितने दिनों से उस तिरंगे की प्रतीक्षा कर रहा था।
15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर हिन्दुस्तान में जगह-जगह हवा में लहराता झंडा हमें स्वतंत्र भारत का नागरिक होने का अहसास कराता है। आजादी से लेकर आज तक भारत देश ने कई उतार-चढाव देखे है और हर प्रकार की परिस्थिति में अपने गौरव को बढ़ाया है व विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान बनाई है। स्वतंत्रता दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है। आज से 77 वर्ष पूर्व उन्हीं पर राष्ट्रध्वज गौरव के साथ फहराया गया। राष्ट्रध्वज हमारे यश, मान, स्वतंत्रता और आदर्श का चिह्न है। यह ध्वज सन्देशवहन का साधन है।  राष्ट्रध्वज का केशरिया रंग हमें यह बताता है कि जब तक हम त्याग और बलिदान नहीं कर पाएंगे तब तक देश की रक्षा  नहीं होगी। सफेद रंग हमें यह बताता है कि अहिंसा और सत्य मार्ग के बिना हमारी भारतीय संस्कृति टिक नहीं सकती। हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है, इसलिए प्रकृति और निसर्ग की रक्षा हमें करनी चाहिए। ध्वज के बीच में जो चौबीस आरेवाला नीले रंग का धर्मचक्र हमारे लिए गतिमान और उन्नति का प्रतीक माना जाता है। यह हमें यही बताता है कि देश को रुकना नहीं, सदा गतिमान चलते रहना चाहिए।
अहिँसा के बल पर मिली आजादी :
15 अगस्त हमारे भारत के इतिहास में ही नहीं समग्र संसार के इतिहास में बड़ा महत्व का स्थान रखता है। इस दिन भारत हिंसा के बलपर नहीं, अहिंसा के बलपर स्वतंत्रता को प्राप्त करके सारे संसार के सामने रखा कि भारत के पास एक ऐसा अमोघ शस्त्र है , जो विश्व में किसी अन्य राष्ट्रों के पास नहीं है।
वीर-वीरांगनाओं को याद करने का दिन :
हमें आजादी दिलाने के लिए न जाने कितने वीर वीरांगनाओं ने अंग्रेजों की अमानवीय यातनाओं व अत्याचारों का सामना किया और देश की आजादी के लिए अपनी आहुतियां दी। यह दिन ऐसे ही वीर-वीरांगनाओं को याद करने का दिन है।
15 अगस्त कितना पुण्य का दिन है, यह हम केवल शब्दों में वर्णन नहीं कर सकते क्योंकि यह राष्ट्रीय पर्व है। इस दिन भारत के इतिहास में नया परिवर्तन हुआ था, सदियों से राज्य करनेवाली सत्ता का अंत हुआ और अपने भारतीय शासन का पुनः निर्माण हुआ।
दृढ़ संकल्प से मिली आजादी :
भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य क्या है? इस भारत भूमि के प्रति अपनी जिम्मेदारी क्या है? स्वतंत्रता का महत्व क्या है? यह प्रश्न प्रत्येक नागरिक के सामने जब आएगा तभी इसका महत्व माना जायेगा, क्योंकि आजादी के आंदोलन , देशप्रेम उनकी जीवनगाथाएँ , उनके दुःख भरे अनुभव, कई लोगों के परिवारों की बर्बादी , जेल में कंकड़ और पत्थर से मिली रोटियां और हंटरों से कोड़े खाए, अनेकानेक यातनाएं सह लीं, अत्याचार सहन किए, लेकिन सभी का एक लक्ष्य था-,हमें देश को आजाद कराना है। मर जायेंगे, मिट जाएंगे पर आजादी लेकर ही रहेंगे, ऐसे दृढ़ संकल्प से ही हमारा देश आजाद हो पाया।
आज हम उन्हें याद करें, जो घर नहीं लौटे, क्योंकि फांसी के फंदे , जेल की दीवारें और गोलियों की बौछारें उन्हें भयभीत न कर पायीं। वे जंजीरें उनको बांध नहीं सकीं, परिवार की बर्बादी के बाद भी वे अपने लक्ष्य से विचलित नहीं हुए। भारत के अनेक सपूतों ने अपने प्राणों का बलिदान देकर इस स्वतंत्रता का चिराग जलाया है।
स्वतंत्रता की अक्षुण्णता बनाए रखें :
राष्ट्र की उन्नति हमारा प्रधान लक्ष्य होना चाहिए।  हमारी स्वतंत्रता का प्रधान ध्येय धार्मिक आचरण, राष्ट्रीय चारित्र को उन्नति देने वाला है। व्यक्ति के आचरण से राष्ट्र का निर्माण होता है। आज यह बात मैं इसलिए बता देना चाहता हूँ कि आज के कई नेता और पहले के नेता में बहुत अंतर है । हर जनप्रतिनिधि का फर्ज है कि वह अपने और अपने लोगों का प्रतिनिधि बनने की बजाय अपने क्षेत्र की सम्पूर्ण जनता के प्रतिनिधि बनें और देश के सभी जनप्रतिनिधियों को न्यायप्रिय शासन करना चाहिए, जिसमें समाज के हर तबके के लिए स्थान हो तभी हमारी स्वतंत्रता अक्षुण्ण रह पाएगी।
स्वतंत्रता की आड़ में स्वच्छंदता  :
आज राष्ट्र का जीवन हमारी युवा पीढ़ी पर निर्भर है और युवा पीढ़ी ही हमारे देश की सबसे बड़ी निधि है, लेकिन महाभारत के अभिमन्यु जैसे व्यसनों के चक्रव्यूह में आज के युवक फंसते जा रहे हैं । अभिमन्यु को चक्रव्यूह में जाने का तो ज्ञान था, लेकिन वापस लौंटने का नहीं। वैसे आज के युवक व्यसनों के चक्रव्यूह में फसते जा रहे हैं। कितना फसते जा रहे हैं, यह परिवार, समाज और पुलिस अधिकारी जानते हैं। आज की युवा पीढ़ी स्वतंत्रता की आड़ में स्वच्छंदता की ओर बढ़ रही है, जो घातक है। इसलिए स्वतंत्रता के मायने तभी हैं जब स्वतंत्रता में मर्यादा, चरित्र और समर्पण का भाव हो। अगर स्वतंत्रता में मर्यादा, चरित्र और समर्पण ही नहीं है तो यह आजादी नहीं बल्कि एक प्रकार का छुट्टापन होता है।
यह शरीर देश की संपत्ति : हमारे दादा गुरु आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने कहा था कि- यह शरीर देश की संपत्ति है। हमें अपने समय, पैसे का सदुपयोग के साथ शरीर का भी सदुपयोग करना चाहिए।
व्यसन से मुक्त युवा पीढ़ी ही देश का भविष्य : चिंताजनक है कि युवा पीढ़ी आज व्यसनों की ओर बढ़ती जा रही है।  हमारे शास्त्रों में व्यसनों को नरक का द्वार माना गया है, इन व्यसनों से बचाव ही देश की प्रगति होगी।  एक अध्ययन के अनुसार एकबार शराब पीने से 50 मिनिट की आयु कम होती है। अमेरिका के डॉ स्पेन्स ने लिखा है कि एकबार बीड़ी सिगरेट पीने से 18 मिनिट आयु कम होती है और एकबार गुटखा खाने से 6 घंटे आयु कम होती है। इसलिए व्यक्ति की मौत जल्दी  हो जाती है और कई बहनें विधवा हो जाती हैं।
शिक्षा का उद्देश्य जीवन निर्माण हो :
किसी भी देश की प्रगति में शिक्षा का भी बड़ा महत्व होता है, लेकिन विडम्बना है कि आज पढ़ाई का बोझ बढ़ता जा रहा है लेकिन वह पढ़ाई जीवन के काम नहीं आ पा रही है, नौकरियां पाना मात्र शिक्षा का उद्देश्य नहीं होता है। नैतिक शिक्षा का अभाव देखा जा सकता है। आज का युवा कल का नागरिक होता है, आज का युवा कल का राष्ट्र निर्माता है। इसलिए युवाओं को स्वतंत्रता के सही मूल्यांकन के लिए योजनाएं कार्यान्वित होनी चाहिए।
संत, सैनिक और शहीद :
संत और सैनिक का सम्बंध बहुत निकट का होता है। सैनिक  देश की सुरक्षा के लिए सदैव डियूटी पर तैनात रहता है तो संत भी देश के कल्याण की भावना भाता है, लोगों कोसत्पथ दिखाते हैं।  संत, सैनिक और शहीद इन तीनों का एक ही कार्य होता है। सब प्राणिमात्र का कल्याण और सुख-शांति की भावना करते हैं। मैंने देखा है जहां संत और सत्ता एक साथ चलती है वहाँ आशातीत विकास होता है, उन्नति के नए मार्ग खुलते हैं।
स्वतंत्रता की वेदी पर शहीदों के गिरे हुए एक-एक बूंद की कीमत जाननी पड़ेगी, तब ही 15 अगस्त यानि स्वतंत्रता दिवस का मूल्यांकन हो सकता है।
सुखी रहें सब जीव जगत के कोई कभी न घबरावे।
बैर, पाप, अभिमान छोड़ जग नित्य नए मङ्गल गए।।
एक जिम्मेदार और शिक्षित नागरिक बनने के लिए हों संकल्पित :
आज हमें शपथ लेनी चाहिये कि हम कल के भारत के एक जिम्मेदार और शिक्षित नागरिक बनेंगे। हमें गंभीरता से अपने कर्तव्यों को निभाना चाहिये और लक्ष्य प्राप्ति के लिये कड़ी मेहनत करनी चाहिये तथा सफलतापूर्वक इस लोकतांत्रित राष्ट्र को नेतृत्व प्रदान करना चाहिये।स्वतंत्रता के मायने तभी हैं जब उसमें मर्यादा, चरित्र और समर्पण का भाव हो।
स्वतंत्रता के मायने तभी हैं जब उसमें मर्यादा, चरित्र और समर्पण का भाव हो
 स्वतंत्रता दिवस प्रसन्नता और गौरव का दिवस है। इस दिन सभी भारतीय नागरिकों को मिलकर अपने लोकतंत्र की उपलब्धियों का उत्सव मनाना चाहिए और एक शांतिपूर्ण, सौहार्दपूर्ण एवं प्रगतिशील भारत के निर्माण में स्वयं को समर्पित करने का संकल्प लेना चाहिए।
(लेखक प्रखर वाणी के धनी और संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य हैं। वर्तमान में मड़ावरा जिला ललितपुर में चातुर्मासरत हैं)
 संलग्न : परम पूज्य मुनिश्री का छायाचित्र)

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