आचार्य श्री ने उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज के दिन कुछ न कुछ त्याग जरूर करना चाहिए। सबसे बड़ा त्याग कुछ समय के लिए अपने घर परिवारका त्याग करना है। अगर ये त्याग कर लिया तो सब कुछ त्याग कर सकते हो बिना त्याग के आप ऊँचाईयो को प्राप्त नहीं कर सकते आज तक जितने भी लोग सफलता हासिल किए हैं तो मात्र त्याग के बल पर ही किए है जो जितनामत्याग ज्यादा करेगा वो उतना ही ऊँचाईयों को प्राप्त करेगा। एक बच्चा भी अगर आगे बढ़ता है तो उसे भी मोबाईल, टीवी खेलकूद का त्याग करना पड़ता है । तब वो अपने लक्ष्म में आगे बढ़ पाता है। किसी को अच्छाईयों का त्याग करना पड़ता है तो किसी को बुराईयों का । कोई आलस का त्याग करता है, कोई नींद का त्याग करता है, कोई खाने का त्याग करता है कोई किसी न किसी चीज का त्याग करता है। जैन धर्म के अनुसार त्याग का मतलब चार प्रकार का दान त्यागीव्रती साधुओं के लिए करना चाहिए आहारदान औषधि दान शास्त्र दान अभय दान | आज तत्त्वार्थ सूत्र करने का वाचन श्रमण प्रत्यक्ष सागर जी ने किया।
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